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सम्मेदशिखर जी : आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज के सानिध्य में मनाया मुनिसुब्रतनाथ भगवान का निर्वाण महोत्सव


अन्तर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी महाराज के सानिध्य में निमियाघाट जैन मंदिर में प्रातः गुरु भक्ति के साथ सैकड़ों लोगों ने अतिशय कारी चिंतामणि श्री पारसनाथ भगवान और श्री मुनिसुव्रतनाथ भगवान का महामस्तकाभिषेक किया। पढ़िए राजकुमार अजमेरा की विशेष रिपोर्ट…


निमियाघाट (पारसनाथ)। अन्तर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी महाराज के सानिध्य में निमियाघाट जैन मंदिर में प्रातः गुरु भक्ति के साथ सैकड़ों लोगों ने अतिशय कारी चिंतामणि श्री पारसनाथ भगवान और श्री मुनिसुव्रतनाथ भगवान का महामस्तकाभिषेक किया। अभिषेक के साथ अन्तर्मना के मुखारविंद से विश्व शांति धारा वाचन किया गया। इसके पश्चात मुनिसुब्रतनाथ भगवान की प्रतिमा के समक्ष पूजन के साथ निर्वाण लाडू भक्ति भाव के साथ चढ़ाया गया।

आलोचना सुनकर नहीं, बल्कि प्रशंसा सुनकर हो रहे हैं बर्बाद 

अन्तर्मना आचार्य श्री ने अपने प्रवचन में कहा कि एक निर्वाण कांड पढ़ने से 64 तीर्थ का दर्शन का पुण्य मिलता है और एक बार पहाड़ की वंदना करने से अनंतानंत पुण्य का संचय होता है। फूलों ने कभी भंवरे को आमंत्रित नहीं किया कि आओ मैं खिल गया हूं, मेरा मकरंद लो। सूरज कभी नहीं कहता कि मेरे में कितना तेज है। सागर कभी नहीं कहता कि मैं कितना गहरा हूं। आज हम आलोचना सुनकर नहीं, बल्कि प्रशंसा सुनकर बर्बाद हो रहे हैं। स्वयं की प्रशंसा सुनकर फूलना यानि दुःख में कूदने का निमंत्रण है। आज हमारी सबसे बड़ी कमजोरी स्वयं की प्रशंसा सुनना बन गया है। जब तक लोग हमारी प्रशंसा करते हैं, गुणानुवाद करते हैं, तब तक वो हमारे परम मित्र हैं, परम भक्त हैं, परम हितैषी हैं।

बल्कि होना ये चाहिए कि हम अपने गुणों को, सत्कार्यों को, नेक कार्यों को, इतना श्रेष्ठ बनाएं, जिससे सामने वाला आपको देखकर आपका मुरीद हो जाए। गुणों से प्रभावित होने वाले, हो सकता है कि आपके सामने आपकी प्रशंसा ना करें लेकिन मन ही मन आपको अपना आदर्श बना कर अपनी चेतना को प्रकाशित कर लेंगे। इसलिए कोई भी कार्य करें तो प्रशंसा सुनने की अपेक्षा न रखें। अपने कार्य को इतनी ईमानदारी और मनोभाव से करें कि शत्रु भी आपकी सफलता एवं समर्पण के सामने नतमस्तक हो जाए। इससे पहले दिन में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के सभी पदाधिकारियों ने आचार्य श्री को पूर्ण तैयारी की जानकारी दी। शाम को भव्य गुरुभक्ति की गई। इस कार्यक्रम में विशेष रूप से आकाश जैन, बिट्टू जैन भोपाल, कोडरमा से आशीष जैन, पिंटू जैन, संजय, राज कुमार अजमेरा, धनबाद से वंदना -मनोज जैन, गिरिडिह से राजन साह आदि उपस्थित थे।

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