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19वां महामस्तकाभिषेक एवं शिखर पर ध्वज स्थापना महोत्सव : 9 शिखर पर 9 ध्वजा चढ़ाई, अंतर्मुखी मुनिश्री ने कहा कि बच्चों को पढ़ाई की शिक्षा के साथ-साथ धर्म की शिक्षा भी देना बहुत जरूरी….


: मूलनायक भगवान पार्श्वनाथजी व भगवान मल्लिनाथजी का प्रथम अभिषेक और शांतिधारा हुई, श्रद्धालुअाें ने किया पुर्ण्याजन, महाराज का किया पाद प्रक्षालन

: महाराज ने कहा कि जो बच्चा धर्म के मार्ग पर चलेगा वे जीवन में कभी गलत कार्य नहीं करेगा, बच्चों को धर्म के संस्कार देना माता-पिता का सबसे बड़ा कर्तव्य होता है।इंदौर से रेखा जैन की रिपोर्ट


इंदाैर। नवग्रह जिनालय अतिशय क्षेत्र का 19वां महामस्तकाभिषेक एवं शिखर पर ध्वज स्थापना महोत्सव रविवार काे संपन्न हुआ। मुनिश्री श्री सिद्धांतसागरजी महाराज एवं अंतर्मुखी मुनिश्री श्री पूज्यसागरजी महाराज के सानिध्य में विविध अनुष्ठान हुए। विधि विधान का कार्य प्रतिष्ठाचार्य नगर पुरोहित पं. नितिन झांझरी के मार्गदर्शन में किया गया। पंकज जैन एंड पार्टी द्वारा संगीत के जरिये माहाैल काे भक्तिमयी बनाया गया। सभी अतिथियों का स्वागत दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद के अध्यक्ष नरेन्द्र – शकुंतला वेद ने किया। मंगलाचरण पंकज जैन, नितिन झांझरी ने किया। भजन रेखा जैन ने गाया। पाद प्रक्षालन नरेंद्र वेद परिवार ने किया।

नवग्रह जिनालय के संस्थापक अनुराग वेद ने बताया कि मंदिर के 9 शिखर पर 9 ध्वजा का चढ़ाने का लाभ नरेंद्र वेद, शरद सेठी, सुरेश अजमेरा, डम्मी पहाड़िया, राजमल जैन सुसनेर, गिरीश पाटोदी, रतन दादा पाटोदी परिवार, महेंद्र सेठी, पीसी जैन परिवार को प्राप्त हुआ। मूलनायक भगवान पार्श्वनाथजी का प्रथम अभिषेक और शांतिधारा करने का लाभ ललित सौरभ काल परिवार और भगवान मल्लिनाथजी  के प्रथम अभिषेक और शांतिधारा का लाभ प्रदीप पाटनी छावनी परिवार को मिला। इसके साथ ही 22 तीर्थंकर भगवानों पर भी अभिषेक और शांति धारा करने का लाभ अलग अलग परिवारों को मिला। इस दाैरान चिकित्सा के क्षेत्र में काम करने वाले डॉ. सिद्धांत जैन, डॉ. सोनाली जैन,  डॉ. रुपेश मोदी, डॉ. सुनील जैन, डॉ. धीरेन्द्र जैन, डॉ. अविरल जैन, श्री विमल नाहर, डॉ. प्रणय पाटोदी. डॉ. संजय गुजराती, डॉ. प्रत्यूष गुप्ता, प्रोफेसर डॉ. योगेंद्र नाथ शुक्ला का अभिनंदन किया गया। श्री कल्पद्रुम महामंडल विधान में बने चक्रवर्तियों का सम्मान भी किया गया। इस दाैरान विभिन्न स्थानाें से पहुंचे श्रद्धालुअाें ने मुनिश्री श्री सिद्धांतसागरजी महाराज, अंतर्मुखी मुनिश्री श्री पूज्यसागरजी महाराज एवं क्षुल्लक अनुश्रमण सागर जी महाराज से अाशीर्वाद प्राप्त किया।  दीप प्रज्जवलन अतिथियों ने किया। संचालन अशोक काला ने किया।

बच्चाें के लिए धन व संपति काे सुरक्षित रखने से अधिक उसे संस्कारी बनाना अधिक जरूरी…

अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर महाराज ने कहा कि बच्चों को धार्मिक शिक्षा देना जरूरी है। अगर आप धार्मिक शिक्षा देते हैं और भगवान का अभिषेक करवाते हैं तो बच्चों के हाथों शराब की बोतल नही आएगी। धन का सही उपयोग धर्म में ही है, वही परिवार सुख शांति ओर समृद्धि का कारण होता है। बच्चाें के लिए धन व संपति काे सुरक्षित रखने से अधिक उसे संस्कारी बनाना अधिक जरूरी है। टेक्नाॅलाेजी के समय काे देखें ताे हर बच्चा माेबाइल का अादि हाेता जा रहा है। माेबाइल का उपयाेग विवेक से करना है, इसकी जिम्मेदारी परिवार, माता-पिता व अभिभावक है। बच्चाें काे धार्मिक शिक्षा देने से वह सत्य व सद् मार्ग पर चलेगा। महाराज ने कहा कि बच्चों को पढ़ाई की शिक्षा के साथ-साथ धर्म की शिक्षा भी देना बहुत जरूरी है, क्योंकि जो बच्चा धर्म के मार्ग पर चलेगा वे जीवन में कभी गलत कार्य नहीं करेगा। उसके मन में गुरुओं एवं बड़े बुजुर्गों के प्रति भी श्रद्धा रहेगी। बच्चों को धर्म के संस्कार देना माता-पिता का सबसे बड़ा कर्तव्य होता है।

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