सारांश
मुरैना में श्री ज्ञानतीर्थ जिनविम्ब पंचकल्याणक के निमित्त 21 लाख जाप्यनुष्ठान के समापन पर कार्यक्रम आयोजित हुआ। जैन साध्वी गणिनी आर्यिका स्वस्तिभूषण माताजी और आचार्य श्री ज्ञेयसागर जी महाराज ने सारगर्भित उपदेश दिए। मनोज नायक द्वारा लिखित खबर।
मुरैना। जैन साध्वी गणिनी आर्यिका स्वस्तिभूषण माताजी ने बड़े जैन मंदिर में आयोजित श्री पंचपरमेष्ठी विधान के दौरान धर्मसभा में कहा कि जीव दो तरह के होते हैं, भव्य और अभव्य। भव्य वह जीव होते हैं जो मोक्ष जा सकते हैं। अभव्य जीव वह होते हैं जो कभी मोक्ष नहीं जा सकते। जैसे आप मूंग के दाने उबालते हैं, उनमें से कुछ दाने कड़क रह जाते हैं जिसे ठर्रा मूंग कहते हैं, उन्हें कितना भी उबालो, वह कड़क ही रहेंगे। इसी प्रकार अभव्य जीव कितना भी प्रयास कर ले, कभी मोक्षगामी नहीं बन सकता और भव्य जीव प्रयास करने पर मोक्षगामी बन सकता है।
श्री ज्ञानतीर्थ जिनविम्ब पंचकल्याणक के निमित्त 21 लाख जाप्यनुष्ठान के समापन पर आचार्य श्री ज्ञेयसागर जी एवं गणिनी आर्यिका स्वस्तिभूषण माताजी के पावन सान्निध्य में श्री पंच परमेष्ठी विधान का आयोजन किया गया। विधान की समस्त क्रियाएं पंडित महेंद्र कुमार शास्त्री एवं संजय शास्त्री (सिहोनियाँ) ने सम्पन्न कराईं।
श्री पंचकल्याणक महोत्सव के कार्यालय का शुभारंभ
इस अवसर पर बड़े जैन मंदिर मुरैना में ज्ञानतीर्थ पर आयोजित होने जा रहे श्री पंचकल्याणक महोत्सव के कार्यालय का पांचवी बटालियन के कमांडेंट श्रीमान विनीत जी जैन (आईपीएस) मुरैना ने रिबिन खोलकर शुभारम्भ किया। कार्यालय शुभारम्भ के पश्चात मिष्ठान वितरित किया गया। श्री पंचपरमेष्ठी विधान के मध्य ज्ञानतीर्थ पंचकल्याणक महोत्सव की पत्रिका का विमोचन आईपीएस श्री विनीत जी जैन, महेंद्र कुमार शास्त्री, जगदीशचंद भैयाजी, महेशचंद बंगाली, धर्मेंद्र जैन एडवोकेट, प्रेमचंद, पवन जी, जवाहर लाल, पदमचंद, दर्शनलाल, राजकुमार, वीरेंद्रकुमार, ओमप्रकाश, सुरेश बाबूजी, मनोज नायक, विजय जैन, सुनील जैन, महेश जैन, प्रदीप जैन, सुनीत जैन, अनिल जैन सहित गणमान्य व्यक्तियों द्वारा किया गया। विमोचन के पश्चात पत्रिका की प्रथम प्रति आचार्य श्री एवं पूज्य गुरुमां को समर्पित की गई।
मंगलाचरण के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ
कार्यक्रम का शुभारंभ मंगलाचरण के साथ हुआ। प्रारम्भ में समाज के श्रेष्ठीवर्ग द्वारा चित्र अनावरण एवं दीप प्रज्ज्वलन किया गया। अंत में पूज्य गुरुदेव आचार्य श्री ज्ञेयसागर जी महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि हम सभी को एकजुटता के साथ पूज्य गुरुदेव के सपनों को पूरा करना है। आज भले ही गुरुदेव हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके आदर्श एवं सिद्धांत हम सभी के ह्रदय में विराजमान हैं और सदैव रहेंगे।
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