नगर पालिका की लापरवाही से शहर में सफाई व्यवस्था बेहाल है। जगह-जगह कचरे के ढेर और मृत जानवर पड़े रहते हैं। नगर पालिका की इस लापरवाही का खामियाजा शहरवासी तो भुगत ही रहे हैं, अब साधु-संत भी इससे अछूते नहीं रहे हैं। सड़क पर पड़े मृत जीवों के कारण विधान के लिए गुना पधारे जैन संतों को तीन दिन तक निराहार रहना पड़ा। पढ़िए यह विशेष रिपोर्ट…
गुना। नगर पालिका की लापरवाही से शहर में सफाई व्यवस्था बेहाल है। जगह-जगह कचरे के ढेर और मृत जानवर पड़े रहते हैं। नगर पालिका की इस लापरवाही का खामियाजा शहरवासी तो भुगत ही रहे हैं, अब साधु-संत भी इससे अछूते नहीं रहे हैं। सड़क पर पड़े मृत जीवों के कारण विधान के लिए गुना पधारे जैन संतों को तीन दिन तक निराहार रहना पड़ा। 16 नवंबर तक आयोजित होने वाले विधान के लिए जैन मुनि हर दिन कचरे के बीच से विहार करते हुए गुजरते हैं। गोशाला रोड पर 8 से 16 नवंबर तक विधान का आयोजन हो रहा है, जिसमें आचार्य विद्यासागरजी के शिष्य मुनि निर्दोष सागर, मुनि निरूपम सागर और मुनि निर्लोक सागर गुना में मौजूद हैं। हर सुबह जब मुनिश्री विहार के लिए निकलते हैं, तो रास्ते में उन्हें कचरे के ढेर का सामना करना पड़ता है।
जैन मुनियों का एक धार्मिक नियम होता है कि यदि वे भोजन के पहले रास्ते में मरा हुआ जीव देख लें, तो वे 24 घंटे तक निराहार रहते हैं, इसे आलाप कहा जाता है। पिछले दिनों, लगातार तीन दिन ऐसी स्थिति बनी जब मुनि विहार के लिए निकले और रास्ते में उन्हें कभी मरा हुआ चूहा, कभी मरा हुआ कुत्ता, तो कभी अन्य मरा हुआ जीव दिखाई दिया। इस कारण मुनिश्री को आलाप करना पड़ा और उन्हें निराहार रहना पड़ा।
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