वर्तमान समय में शिष्य द्वारा गुरु को दी गई सच्ची विनयांजलि का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करते हुए मुनि श्री विनम्र सागर जी महाराज ने आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज द्वारा रखी गई स्वर्ण भद्र कूट मंदिर की आधारशिला को पूरा करने का संकल्प लिया और इस दिशा में उल्लेखनीय प्रयास किए। मुनि श्री विनम्र सागर जी महाराज ने चातुर्मास के दौरान इंदौर में आयोजित कार्यक्रमों में शिष्य और गुरु के रिश्ते को मजबूत करने, जैन धर्म के सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार और समाज को सही दिशा देने का कार्य किया। पढ़िए वीर निकलंक के संपादक आनंद कासलीवाल की कलम से……
इंदौर। वर्तमान समय में शिष्य द्वारा गुरु को दी गई सच्ची विनयांजलि का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करते हुए मुनि श्री विनम्र सागर जी महाराज ने आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज द्वारा रखी गई स्वर्ण भद्र कूट मंदिर की आधारशिला को पूरा करने का संकल्प लिया और इस दिशा में उल्लेखनीय प्रयास किए। मुनि श्री विनम्र सागर जी महाराज ने चातुर्मास के दौरान इंदौर में आयोजित कार्यक्रमों में शिष्य और गुरु के रिश्ते को मजबूत करने, जैन धर्म के सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार और समाज को सही दिशा देने का कार्य किया। इस चातुर्मास का उद्देश्य केवल धर्म के प्रचार तक सीमित नहीं था, बल्कि इसे समाज में जागरूकता फैलाने और देशभक्ति की भावना को भी बढ़ावा देने के लिए किया गया।
चातुर्मास में किए गए विशेष प्रयास
1. देशभक्ति और सैनिकों का सम्मान
इस चातुर्मास के दौरान उन सैनिकों का सम्मान किया गया जिन्होंने देश की रक्षा में अपनी जान दी। यह कार्यक्रम देश के प्रति श्रद्धा और सम्मान की भावना को प्रोत्साहित करने वाला था।
2. बच्चों का उपनयन संस्का
हिंदुस्तान के इतिहास में पहली बार जैन समाज ने इतनी बड़ी संख्या में बच्चों का उपनयन संस्कार किया। लगभग 3000 बच्चों को जैन धर्म के नियमों और वचनों से अवगत कराते हुए उनका उपनयन संस्कार किया गया। इस संस्कार से आने वाली पीढ़ी को धार्मिक दिशा मिली और जैन धर्म के प्रति उनकी श्रद्धा और आस्था मजबूत हुई। इस वर्ष पहली बार लड़कियों का भी उपनयन संस्कार किया गया, जो एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
3. सोशल मीडिया और गलत संस्कारों का विरोध
मुनि श्री विनम्र सागर जी ने सोशल मीडिया पर चल रहे गलत संस्कारों और वीडियो का सार्वजनिक रूप से विरोध किया। उन्होंने समाज को जागरूक किया कि वे सोशल मीडिया से दूर रहें और धर्म से जुड़कर अपने जीवन को सही दिशा दें।
4. सर्व धर्म सभा का आयोजन
चातुर्मास के दौरान एक सर्व धर्म सभा का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न संप्रदायों के संतों ने सत्य, अहिंसा और शाकाहार पर अपने विचार रखे। यह सभा लगभग 150 देशों में प्रसारित की गई, जिससे जैन धर्म का प्रचार-प्रसार हुआ और अहिंसा के सिद्धांत की चर्चा पूरी दुनिया में हुई।
5. चातुर्मास के दौरान अनुशासन और साधन
पूरे चातुर्मास के दौरान न तो कोई प्रदर्शन हुआ, न कोई आडंबर या वैभव दिखने को मिला। यह समय केवल गुरु के सपनों को साकार करने और जैन धर्म को नई दिशा देने का था। मुनि श्री विनम्र सागर जी द्वारा किए गए इस चातुर्मास में पूरी तरह से अनुशासन और साधना की झलक देखने को मिली, जैसा कि परम पूज्य आचार्य विद्यासागर जी महाराज और आचार्य श्री संयम सागर जी महाराज के अनुशासन में था। चातुर्मास समिति के सभी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने इस अनुशासन का पालन पूरी निष्ठा से किया, और इसका प्रत्यक्ष रूप से प्रभाव समाज पर पड़ा।
6. सार्थक चातुर्मास और नई दिशा
यह चातुर्मास न केवल गुरु के सपनों को पूरा करने के लिए था, बल्कि यह जैन समाज को एक नई दिशा देने और जैन धर्म के प्रभावों को लोगों तक पहुंचाने के लिए भी एक महत्वपूर्ण प्रयास था। मुनि श्री विनम्र सागर जी महाराज के नेतृत्व में यह चातुर्मास पूरी तरह से सफल हुआ। समाज के प्रत्येक व्यक्ति ने इस चातुर्मास से बहुत कुछ सीखा और धर्म के प्रति अपनी श्रद्धा और आस्था को और अधिक मजबूत किया।
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