अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज के सानिध्य में पर्युषण पर्व के नौवे दिन श्री आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर, संविद नगर, कनाडिया रोड पर मुनि श्री ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि आकिंचन्य धर्म आत्मा की उस दशा का नाम है जहां पर बाहरी सब छूट जाता है किंतु आंतरिक संकल्प विकल्पों की परिणति को भी विश्राम मिल जाता है। पढ़िए रेखा संजय जैन की यह विशेष रिपोर्ट…
इंदौर। अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज के चातुर्मास धर्म प्रभावना रथ के चतुर्थ पड़ाव के 16वें दिन व पर्युषण पर्व के नौवे दिन श्री आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर, संविद नगर, कनाडिया रोड पर बड़े ही हर्षोल्लास के साथ धर्म प्रभावना हुई।
सर्वप्रथम श्रीजी के अभिषेक और शांति धारा हुई। तत्पश्चात मंगलाचरण की प्रस्तुति इंद्रा पापड़ीवाल ने दी। मुनि श्री के पाद प्रक्षालन और शास्त्र भेंट के पुण्यार्जक संजय नीलम जैन, इंद्रा पापड़ीवाल रहे।
धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री ने कहा दसलक्षण धर्म
का नवां कदम है आकिंचन्य धर्म। आकिंचन्य धर्म आत्मा की उस दशा का नाम है जहां पर बाहरी सब छूट जाता है किंतु आंतरिक संकल्प विकल्पों की परिणति को भी विश्राम मिल जाता है। बाहरी परित्याग के बाद भी मन में ‘मैं’ और ‘मेरे पन’ का भाव निरंतर चलता रहता है, जिससे आत्मा बोझिल होती है और मुक्ति की ऊर्ध्वगामी यात्रा नहीं कर पाती। परिग्रह का परित्याग कर परिणामों को आत्मकेंद्रित करना ही अकिंचन धर्म माना गया है।
आकिंचन्य यानि त्याग करना, छोड़ने का दिन। मैं और मेरा का त्याग करना ही आकिंचन्य धर्म है। घर लौटने का नाम भी आकिंचन्य कहा गया है। घर से मतलब आत्म में लौटना। इसे थोडा यूं समझें कि आप सांप सीढ़ी के अंतिम पायदान 98 पर पहुंच गए। यहां से 99 पर गए तो यहां से गिरे तो जहां से यात्रा शुरू की थी वही पहुंच जाएंगे और 100 पर गए तो विजेता हो जाएंगे।
अपने अंतर्मन में झांककर आत्मा की आवाज सुनते हुए त्याग करना सही मायने में इस धर्म को जीना है। आकिंचन्य धर्म की भावना करो कि यह आत्म शरीर से भिन्न है, ज्ञानमयी है, उपमा रहित है, वर्ण रहित है, सुख संपन्न है, परम उत्कृष्ट है, अतींद्रिय है और भयरहित है। इस प्रकार से आत्मा का ध्यान करो, यही आकिंचन्य है।
ये भी रहे मौजूद
इस अवसर पर धर्म सभा में समाज अध्यक्ष एल.सी. जैन, सचिव महावीर जैन, पवन मोदी, महावीर सेठ, सत्येंद्र जैन, आनंद पहाड़िया, राजेश जैन, लाल मंदिर कनाडिया रोड महिला मंडल, कमलेश जैन, टीना जैन व अन्य समाजजन मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन महावीर जैन ने किया।
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