मुनि महाराज के नाम के आगे 108 क्यों लगाते हैं
संकलन – संदीप सेठी,गुवाहाटी
इसके तीन कारण हैं…
1. दरअसल मनुष्य 108 प्रकार से पाप करता है। मुनि महाराज उन पापों को रोकने के लिए मुनि बनते हैं, इसलिए उनके नाम के आगे 108 लगाते हैं।
2. मुनि महाराज के 28 मूलगुण, 22 परीषहजयी, 13 प्रकार की चारित्र, 12 तप, 12 भावनाएं, 10 धर्म, 6 षट् काय के जीवों की रक्षा, 5 पंचाचार होते हैं, जिनका योग 108 होता है। इसलिए भी वह अपने नाम के 108 लगाते हैं।
3. 108 अंक ब्रह्म का प्रतीक होता है। ब्रह्म शब्द ब+र+ह+म से मिलकर बना है। अगर इनके स्थान को देखें तो क से लेकर ब तक 23, क से लेकर र तक 27, क से लेकर ह तक 33 तथा क से लेकर म तक 25 स्थान होते हैं। इन चारों का योग 23+27+33+25= 108 होता है। इसी कारण 108 को ब्रह्म का प्रतीक माना जाता है, ब्रह्म अर्थात् आत्मा। यह भी नाम के आगे 108 लगाने का कारण है।