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अंतिम समय में जैन साध्वी बनकर नश्वर देह का किया त्याग : मुरैना की मनोरमा जैन की हुई संल्लेखना समाधि


नगर की विदुषी महिला मनोरमा जैन ने अपने जीवन के अंतिम समय में जैन साध्वी की दीक्षा ग्रहण की और संल्लेखना समाधि लेकर अपने नश्वर शरीर का त्याग किया। समाधिमरण के पश्चात लाल चौक दिगंबर जैन मंदिर से उनका डोला निकाला गया। डोला यात्रा में हजारों की संख्या में बंधुवर, माता बहिनें एवं युवा साथी सम्मिलित हुए। पढ़िए मनोज जैन नायक की रिपोर्ट…


मुरैना। नगर की विदुषी महिला मनोरमा जैन ने अपने जीवन के अंतिम समय में जैन साध्वी की दीक्षा ग्रहण की और संल्लेखना समाधि लेकर अपने नश्वर शरीर का त्याग किया। प्राप्त जानकारी के अनुसार दर्जी गली दत्तपुरा मुरैना निवासी, आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के संघस्थ बाल ब्रह्मचारी संजय भैयाजी की माताजी मनोरमा जैन कुछ समय से अस्वस्थ चल रहीं थी । अस्वस्था के वावजूद वे प्रतिदिन जिनेंद्र प्रभु की भक्ति में लीन रहती थी ।

प्रतिदिन स्वाध्याय, जाप, पाठ, माला जपना उनकी दिनचर्या में शामिल था। उनकी चेतना पूर्ण रूप से जाग्रत थी । जब उन्हें लगा कि उनका अंतिम समय निकट है, तो उन्होंने खजुराहों में विराजमान पूज्य गुरुदेव आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के पट्ट शिष्य आचार्य श्री समयसागर महाराज से आशीर्वाद लेकर 10 प्रतिमाओं के व्रत स्वीकार करते हुए पूर्ण रूप से अजीवन अन्न का त्याग करते हुए सल्लेखना समाधि की तैयारी शुरू करदी। पूज्य गुरुदेव आचार्य श्री समय सागर महाराज ने उन्हें सद उपदेश एवम आशीर्वाद देकर सतना मध्य प्रदेश में विराजमान आर्यिका श्री रिजुमति माताजी के पास भेज दिया । पूज्य आर्यिका श्री ने मनोरमा जैन की भावना के अनुसार गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर जैन साध्वी की दीक्षा प्रदान की ओर उनका नामकरण किया साधिका समयश्री माताजी ।

आर्यिका माताजी ने उन्हें उपदेश देते हुए सल्लेखना समाधि की तैयारी कराई । मंगलवार 23 जुलाई 2024 को मनोरमा जैन जैन साध्वी साधिका समयश्री माताजी ने पूर्ण चेतना अवस्था में णमोकार मंत्र सुनते हुए, सभी को क्षमा करते हुए एवं सभी से क्षमा मांगते हुए इस नश्वर शरीर का त्याग किया। समाधि मरण के समय सैकड़ों की संख्या में उपस्थित साधर्मी बंधुओं ने उनके पुण्य की अनुमोदना की। समाधिमरण के पश्चात लाल चौक दिगंबर जैन मंदिर से उनका डोला निकाला गया। डोला यात्रा में हजारों की संख्या में बंधुवर, माता बहिनें एवं युवा साथी सम्मिलित हुए। तत्पश्चात उनका अंतिम संस्कार किया गया।

ज्ञातव्य हो कि साधिका मनोरमा जैन के पति स्वर्गीय सुभाषचंद जैन मूल रूप से अम्बाह तहसील के ग्राम रूअर के निवासी थे, जो काफी समय पहले मुरैना आकार रहने लगे थे। आपके एक पुत्र संजय जैन प्रारंभ से ही बाल ब्रह्मचारी बनकर आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के संघस्थ होकर संयम की साधना कर रहे हैं। दूसरे पुत्र अजीत जैन सतना में ठेकेदारी का व्यवसाय करते हैं ।

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