न्यूज़ सौजन्य-कुणाल जैन
प्रतापगढ़। आचार्य सुन्दर सागर जी महाराज ने भक्तजनों और श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए कहा है कि हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। 75 वर्ष पहले आजादी मिली थी, पर आपने इसका मूल्य अभी तक नहीं जाना है। आज भारत कमजोर नहीं है। यहां सभी समुदायों को रहने का अधिकार मिला हुआ है। आजादी का जश्न एकदिन के लिए, पूरे वर्ष के लिए होता है। महोत्सव भी हर रोज, हर क्षण मनाइए। मन में देश के लिए सम्मान होना चाहिए। भगवान महावीर का वीतराग शासन चल रहा है। शासन सत्ता किसी की भी रही हो, वीतराग शासन अनादिकाल से चल रहा है। देश का शासन पांच वर्ष में बदलता है, पर जिनेंद्र देव का शासन तो तीन लोक में मिलता है। शासकों के शासन तो बदल जाते हैं लेकिन वीतराग का शासन अक्षुण्ण है। आप सब पर शासन करते हैं, पर सबसे शासन तो अपने आप पर करना होता है।
आचार्य सुन्दर सागर जी महाराज ने आगे कहा कि धर्म को धर्म ही रहने दें, उसमें राजनीति नहीं आनी चाहिए। इस आजादी में सभी ने योगदान दिया। मुस्लिम, सिख सभी साथ थे। जैन समाज ने तन भी दिया, मन भी दिया और धन भी दिया। गांधीजी ने जैन सिद्दान्तों-जियो और जीन दो, अहिंसा का नारा देकर देश को आजाद कराया। कोरोना आया, सारा विश्व हिल गया, पर दिगम्बर जैन अपनी चर्या से नहीं हिले। जैन समाज के लोग जरूर कम है, पर दम है। डायमंड कम होता है, पर कीमती होता है। आज इतने नेता हुए, किसी ने नहीं कहा कि जैन समाज में आजादी में योगदान दिया है। देश के विकास में जैनियों ने बड़ा काम किया है। ये नेता जानते हैं कि ये अहिंसावादी हैं। अगर इनका नाम नहीं लिया तो इन्हें कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है। क्योंकि जैन नाम में नहीं, काम में विश्वास रखते हैं। देश का सम्मान करिए, धर्म का सम्मान करिए, हरेक का सम्मान करिए। हम देश के हैं, हम धर्म के हैं, हम तिरंगे के हैं। किसी को छेड़ना नहीं है, जो छेड़ें, उन्हें छोड़ना भी नहीं है। भारतवासी कायर नहीं हैं।