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दो दिवसीय रथोत्सव कार्यक्रम में नगर परिक्रमा पर निकलें भगवान नेमिनाथ : संगीत और नृत्य के साथ श्री जी की परिक्रमा


ऋषभदेव मेवाड़ और वागड़ के प्रसिद्ध तीर्थ क्षेत्र ऋषभदेव में हर साल की तरह इस वर्ष भी पर्युषण महापर्व की समाप्ति पर भगवान नेमीनाथ की प्रतीकात्मक बारात के रूप में जिनेन्द्र भगवान को रथ में विराजित कर नगर परिक्रमा निकाली गई। पढ़िए सचिन गंगावत की रिपोर्ट..  


ऋषभदेव मेवाड़ और वागड़ के प्रसिद्ध तीर्थ क्षेत्र ऋषभदेव में हर साल की तरह इस वर्ष भी पर्युषण महापर्व की समाप्ति पर भगवान नेमीनाथ की प्रतीकात्मक बारात के रूप में जिनेन्द्र भगवान को रथ में विराजित कर नगर परिक्रमा निकाली गई। श्री दिगंबर जैन तीर्थ रक्षा कमिटी के अध्यक्ष रमेश चंद्र मेहता ने बताया की पर्युषण पर्व की समाप्ति के बाद एकम और बीज के दिन नगर में रथोत्सव का कार्यक्रम मनाया जाता है। काष्ठ कला से बने तीन रथों को सजाया जाता है फिर श्री जी की प्रतिमा को विराजमान किया जाता है।

तीर्थ रक्षा कमिटी के उपाध्यक्ष पवन कुमार गंगावत ने बताया की कमिटी की तरफ से सभी प्रमुख समाज जनो को निमंत्रित किया जाता है। तीनों रथ शाम को मुख्य मंदिर से देवस्थान विभाग के बैंड, अहमदाबाद से आए नासिक ढोल के साथ निकलें। तीनो रथ मंदिर जी से जोहरी बाजार होते हुए सदर बाजार, नेहरू बाजार, पटुना चोक होते हुए कृष्णघाट पहुंचा। इस दौरान उपेंद्र अनु और दिवाकर त्रिवेदी की टीम, बांसवाड़ा से आए सेवन स्टार आर्केस्ट्रा के आंचल और गिरीश व अन्य कलाकारों ने गीत-भजन गाए और युवा व महिलाओं ने नृत्य के साथ रथ यात्रा पूरी की।

कृष्णघाट पर पंडित वारिशेन ने सोलह कारण पूजा और भगवान आदिनाथ की पूजा अर्चना की और आरती का लाभ लेने वाले परिवार द्वारा आरती की गई। आरती के बाद तीनो रथ पटुना चोक पहुंचा और यहीं देवस्थान विभाग के धुलेवा बैंड ने अपनी प्रस्तुति दी। रात 11 बजे तीनों रथों को कांच के मंदिर में भंडार धुलेव की सलामी के साथ विश्राम के लिए रखा गया। नवयुवक मंडल के अध्यक्ष हितेश भवरा ने बताया की कल तीनो रथों को पुनः पतुना चोक प्रांगण में ले जाया जाएगा।

जहां पर सलामी होगी इसके बाद आरती की जाएगी। वहीं पर पगड़ी वाले पुरुष और चुंदड वाली महिलाओं की गैर प्रतियोगिता भी आयोजित की जाएगी। महिला मंडल की आभा किकावत और सांस्कृतिक मंत्री नीलम भवरा ने बताया कि दो दिवसीय इस आयोजन में महिलाए पहले दिन पीले वस्त्र जिसे दहेज वाला ड्रेस कहते है और दूसरे दिन सभी महिलाए लाल रंग की चुन्दड पहन कर आती है। डांडिया में प्रथम, द्वितीय और तृतीय आने वाले प्रतियोगियों को दूसरे दिन पुरुस्कृत किया जाता है। यहां से रथों को मुख्य मार्गो से होते हुए रात को मुख्य मंदिर जी पहुंचा कर रथ महोत्सव का समापन किया गया।

नवयुवक मंडल के सांस्कृतिक मंत्री पलाश भवरा ने बताया की मंदिर प्रांगण से निकलने वाले तीनों काष्ठ कला से निर्मित रथ सोने चांदी के छतरों से आच्छादित हुए। रथ स्वर्ग से आए भगवान के रजत एवं स्वर्ण रथ की तरह नजर आए। रथों में भगवान की प्रतिमा को विराजित कर रोशनी से सजाया गया। रथोत्सव की सुरक्षा को लेकर पुलिस थाना ऋषभदेव मय जाब्ता तैनात रहा।

संपूर्ण कार्यक्रम के लिए सभी तरह की कमेटिया बनाई गई। इस अवसर पर समस्त समाज के लोग उपस्थित रहे। मंडल कोषाध्यक्ष दीक्षांत किकावत और चिराग गांधी ने बताया की तीसरे दिन पीपली में शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में आयोजित प्रीतिभोज का आयोजन इस बार बोहरा परिवार है। पीपली में शांति नाथ भगवान की पूजा अर्चना की जाएगी। इसके बाद स्वामि वात्सल्य का आयोजन किया जाएगा।

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