दिशाशूल एक भारतीय ज्योतिषीय अवधारणा है, जिसमें व्यक्ति के लिए अनुकूल और प्रतिकूल दिशाओं का संकेत दिया जाता है। इसे विशेष रूप से यात्रा करने से पहले देखा जाता है। यदि किसी दिशा में जाने से दिशा शूल होता है, तो उसे अशुभ माना जाता है और उस दिशा में यात्रा करने से बचने की सलाह दी जाती है। पढ़िए यह विशेष आलेख…
आज के आधुनिक जीवन में यात्रा अति आवश्यक हो गई है। वैसे भी कुछ नया हासिल करने को यात्रा करना ही होती है। जीवन बिना यात्रा के ठहर सा जायेगा, ठहरे हुए पानी की तरह। अक्सर हम सुनते हैं एक शब्द दिशाशूल। इसके मायने हैं- दिन विशेष को किसी दिशा में की जाने वाली यात्रा के दोष। किस वार को किस दिशा में जाने से दोष लगता है, ये जानना जरूरी है।
आज की इस जिंदगी में काम को रोकना मुश्किल है इसलिए अलग-अलग दिशाओं में दिशा में यात्रा करनी भी पड़े तो उसके निवारण के कुछ आसान से उपाय होते हैं। जिन्हें जानकर यात्रा को निर्विघ्न और सफल बनाया जा सकता है।
किस दिन किस दिशा में यात्रा से बचें
पूर्व दिशा – सोमवार, शनिवार।
पश्चिम दिशा – रविवार, शुक्रवार।
दक्षिण दिशा – गुरुवार।
उत्तर दिशा – मंगलवार, बुधवार।
अग्निकोण – सोमवार, गुरुवार
नैऋत्य कोण – रविवार, शुक्रवार
वायव्य कोण – मंगलवार
ईशान कोण- बुधवार, शनिवार
दिशाओं के सामने दिए गए वारों में उक्त दिशा में दिशाशूल होता है। अतः उक्त दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए। रविवार, गुरुवार, शुक्रवार के दोष रात्रि में प्रभावित नहीं होते हैं।
सोमवार, मंगलवार, शनिवार के दोष दिन में प्रभावी नहीं होते हैं। किंतु बुधवार तो हर प्रकार से त्याज्य है।
इन उपायों को अपनाकर करें यात्रा – अत्यावश्यक होने पर रविवार को पान या घी खाकर, सोमवार को दर्पण देखकर या दूध पीकर, मंगल को गुड़, खाकर, बुधवार को धनिया या तिल खाकर, गुरुवार को जीरा या दही खाकर, शुक्रवार को दही पीकर और शनिवार को अदरक या उड़द खाकर प्रस्थान किया जा सकता है।
विशेष ध्यान रखें – यदि एक दिन में गंतव्य स्थान पर पहुँचना और फिर उसी दिन वापस आना निश्चित हो तो दिशाशूल विचार की आवश्यकता नहीं है। इस स्थिति में बिना दिशाशूल के उपाय भी यात्रा कर सकते हैं।
चंद्र राशि के अनुसार दिशाशूल
पूर्व -मेष, सिंह और धनु
दक्षिण -वृष, कन्या, मकर
पश्चिम -मिथुन, तुला, कुंभ
उत्तर -कर्क, वृश्चिक, मीन
इस बात का हमेशा रखें ध्यान
यदि एक दिन के भीतर ही किसी स्थान पर पहुँचना और फिर वापस आना निश्चित हो तो दिशाशूल का विचार नहीं किया जाता है। यात्रा के दौरान चंद्रमा यदि सामने अथवा दाहिने हो तो शुभ फलदायक और बाएं या पीछे हों तो विपरीत फलदायक होते हैं।
इस उपाय से भी दूर होगा दिशाशूल
यदि किसी दिशा में दिशाशूल हो और उस दिशा में जाना बहुत जरूरी हो तो उस दिशा से संबंधित दोष को निम्नलिखित चीजों को धारण करके दूर किया जा सकता है।
रविवार का दिशाशूल दूर करने के लिए पान, सोमवार को चंदन, मंगलवार को मिट्टी, बुधवार को पुष्प, गुरुवार को दही, शुक्रवार को घी और शनिवार को तिल धारण करके निकलने पर दिशा संबंधी दोष दूर हो जाता है।
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया
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