सारांश
ललितपुर में जन्म कल्याणक पर विशाल शोभायात्रा निकाली गई और धर्मसभा आयोजित की गई । इस धार्मिक समारोह में मुनि पुंगव श्री सुधासागर जी महाराज की धर्मसभा भी हुई । जिसमें हज़ारों लोगों ने महाराज श्री से आशीर्वचन लिया । विस्तार से पढ़िए हमारे सहयोगी राजेश जैन दद्दू की रिपोर्ट
दयोदय महासंघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता विजय धुर्रा ने बताया कि आज ललितपुर में परम पूज्य निर्यापक श्रमण मुनि पुंगव श्रीसुधासागरजी महाराज ससंघ के सान्निध्य में चल रहे शाही पंचकल्याणक महोत्सव में भव्य विशाल जन्मभिषेक यात्रा शहर के प्रमुख मार्गों से निकली गई जहां शहर वासियों ने शोभायात्रा का अभूतपूर्व स्वागत किया । भगवान की भक्ति करते हुए नृत्य, गान और बैंड बाजे की ध्वनि से अपनी भक्ति प्रस्तुति की इस शोभायात्रा में सौधर्म इन्द्र ऐरावत हाथी पर बालक प्रभु को लेकर कुबेर इन्द्र रत्न वृष्टि करते हुए अन्य इन्द्र जय-जयकार करते हुए चल रहे थे ये शोभायात्रा पाडूकशिला पर पहुंच कर जन्मभिषेक में बदल गई जहां प्रभु का जन्माभिषेक भक्तों द्वारा किया गया।
पांडुशिला पर भक्तों की भीड़ ने किया अभिषेक
इसके पहले धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए मुनि पुगंव श्रीसुधासागरजी महाराज ने कहा कि अतिशय तो कुछ विशिष्ट होना चाहिए इनका छेदन भेदन नहीं हो सकता । संसार का कोई व्यक्ति जन्मा हो तो अपवित्रता तो आयेगी लेकिन तीर्थकर बालक के जन्मते किसी को एक क्षण का सूतक नहीं लगता । वे इतने पवित्र होते हैं सौधर्म इन्द्र की शचि सदया जात बालक को सचि लाती है, नवन करतीं हैं। भगवान के सौंदर्य को देखकर राग नहीं जगता वैराग्य जागता है । एक मां का अपने बालक के अन्दर वात्सल्य जागता है तो स्तनों में दूध आ जाता है।बिना स्वयं की शक्ति के अतुल बल नहीं मिल सकता । ये तीर्थकर बालक की स्वयं की उपादान शक्ति थी, उनकी भक्ति रही होगी सुन्दर वस्तु को देख कर लोग अपने परिणामों को बिगाड़ते हैं। गर्भ से जन्मे वाला बालक इतना अपवित्र होता है कि उसे परिवार वाले भी नहीं छूते।लेकिन तीर्थकर बालक की दस अतिशय के साथ जन्म लेते हैं ये उपादान शक्ति को लेकर जन्मे हैं ये उन्होनें कठोर तपस्या से प्राप्त किया ।
तीर्थंकर भगवान को भी इस धरा पर आना पड़ा – मुनि सुधासागर जी महाराज
मुनि सुधासागर जी ने कहा कि तीर्थंकर भगवान को भी इस धरा पर आना पड़ा, उनकी भी वीआईपी व्यवस्था नहीं हो सकती थी । तीर्थकर, बालक को भी माता की गोद में जन्म लेना पड़ा।बालक जन्म लेता है तब सारे घर को सुतक लगा देता है ऐसी माताएं जिन्होंने कभी भगवान के दर्शन के बिना पानी भी नहीं पिया वे पैंतालीस दिन प्रभु के दर्शन नहीं मिलता । महाराज श्री ने आगे कहा कि मोक्ष जाने के लिए सबसे बड़ी निमित्त शक्ति मनुष्य पर्याय है । उपादान कुछ नहीं किया जा सकता उपयोग को शुद्ध नहीं कर सकते । नैमत्तिक शक्ति वह तीसरे वह अपने मन मानें मार्ग से नहीं चल सकते । स्वयं पढ लेने से प्रमाण पत्र नहीं मिल सकता । सज्जन की अपनी अलग पहचान होती है वह सतमार्ग पर चलते हैं वह किसी को अपने से बड़ा स्वीकार करते हैं । सज्जन जिस रास्ते से गुजरते हैं वहीं रास्ता सत मार्ग कहलाता हैं।
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