फरवरी माह में दो बड़े ग्रहों सूर्य और शनि की युति बनने जा रही है। सूर्य और शनि की युति । दोनों ही ग्रहों में शत्रु भाव रहता है। जबकि सूर्य पिता और शनि पुत्र हैं और कुंभ शनि की राशि है। वे 13 फरवरी को सूर्य कुंभ राशि में आएंगे और शनि पहले से ही वहां विद्यमान हैं। पढ़िए विस्तार से
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार13 फरवरी से फिर सूर्य-शनि एक साथ कुंभ राशि में रहेंगे। इसके बाद 15 मार्च को सूर्य मीन राशि में चला जाएगा, जिससे 14 अप्रैल तक फिर से सूर्य-शनि का अशुभ द्विर्द्वादश योग रहेगा। यानी 14 अप्रैल तक लगातार सूर्य-शनि के संयोग से प्राकृतिक आपदाएं आने का खतरा बना रहेगा। ज्योतिष में सूर्य और शनि को एक-दूसरे का शत्रु माना जाता है। जब भी ऐसे योग बनते हैं तब देश-दुनिया में अनचाहे बदलाव और दुर्घटनाएं होती हैं। तनाव, अशांति और डर का माहौल भी बनता है। जिससे ज्यादातर लोगों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। कई लोग मानसिक और शारीरिक तौर से तो परेशान रहेंगे ही साथ ही सेहत संबंधी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ सकता है। शनि-सूर्य का अशुभ योग बनने से राजनीतिक नजरिये से समय अनुकूल नहीं रहेगा। बड़े बदलाव और विवाद होने की आशंका है।
सूर्य देव 13 फरवरी को सुबह 09:57 बजे मकर राशि से निकल कर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। उस समय सूर्य की कुंभ संक्रांति होगी। शनि ग्रह 17 जनवरी को रात 08:02 बजे से कुंभ राशि में है। ऐसे में कुंभ राशि में सूर्य और शनि की युति 13 फरवरी से बन रही है। सूर्य देव 15 मार्च को सुबह 06:47 बजे कुंभ से निकलकर मीन में प्रवेश करेंगे। तब शनि और सूर्य की युति खत्म होगी। सूर्य एक राशि में लगभग 30 दिनों तक रहता है। फिर सूर्य दूसरी राशि में गोचर करता है। 30 दिनों के बाद 12 राशियां बदलने का मतलब है कि सूर्य का पारगमन एक कैलेंडर वर्ष में 12 बार होता है। सूर्य के गोचर का प्रभाव आपकी चंद्र राशि पर निर्भर करता है। मूल रूप से जन्म के चंद्रमा से तीसरे, छठे, दसवें और ग्यारहवें भाव में स्थित सूर्य जातक को अच्छे परिणाम देता है। लेकिन अन्य भावों में सूर्य जातक को प्रतिकूल परिणाम दे सकता है। सूर्य अधिकार, शक्ति, पिता और सम्मान का ग्रह होने के कारण करियर और वैवाहिक जीवन पर एक अलग प्रभाव डालता है जहां जातक को करीबी लोगों के साथ बातचीत करनी होती है। सूर्य का सकारात्मक गोचर सभी रिश्तों और कार्यस्थलों में दूसरों पर बढ़त हासिल करने मंर असाधारण परिणाम दे सकता है। उसी प्रकार सूर्य का प्रतिकूल गोचर जातक को कमजोर और दूसरों के दबाव के आगे झुक सकता है।
देश-दुनिया पर असर
ज्योतिष में सूर्य और शनि को एक-दूसरे का शत्रु माना जाता है। जब भी ऐसे योग बनते हैं तब देश-दुनिया में अनचाहे बदलाव और दुर्घटनाएं होती हैं। तनाव, अशांति और डर का माहौल भी बनता है। ज्यादातर लोगों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। कई लोग मानसिक और शारीरिक तौर से तो परेशान रहेंगे ही साथ ही सेहत संबंधी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ सकता है। शनि-सूर्य का अशुभ योग बनने से राजनीतिक नजरिये से समय अनुकूल नहीं रहेगा। बड़े बदलाव और विवाद होने की आशंका है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि के साथ शेयर बाजार फिर से बढ़ने की भी संभावना रहेगी। इससे अर्थव्यवस्था मजबूत होने के योग बनेंगे। राजनीतिक उथल-पुथल एवं प्राकृतिक आपदाओं की आशंका बढ़ेगी। लोगों को विशेष लाभ मिलेगा। शिक्षा प्रणाली में सुधार के भी योग बनेंगे। धरना जुलूस प्रदर्शन आंदोलन गिरफ्तारियां होगी। रेल दुर्घटना होने की संभावना। बड़े नेताओं का दुखद समाचार मिलने की संभावना।
उपाय
दिगंबर साधुओं का आशीर्वाद ले और अपने परिचित ज्योतिषाचार्य चर्चा कर उपाय करें.
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