बाल दिवस, जिसे "चिल्डर्न्स डे" के नाम से भी जाना जाता है,हर साल 14 नवम्बर को मनाया जाता है। यह दिन बच्चों के अधिकारों, उनके विकास और शिक्षा के महत्व को उजागर करने के लिए समर्पित होता है। बाल दिवस का उद्देश्य बच्चों को स्वस्थ, खुशहाल और सुरक्षित वातावरण में जीवन जीने का अधिकार दिलाना है । यह दिन बच्चों की न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक और भावनात्मक भलाई के लिए भी समर्पित है। श्रीफल जैन न्यूज ने बाल दिवस के उपलक्ष्य पर बच्चों के स्वास्थ्य जुड़ी समस्याओं और उनके समाधान के लिए आलेखों की एक विशेष शृंखला शुरू की है। इसकी पांचवी कड़ी में पढ़ें ऐसा क्या करें पेरेंट्स कि बच्चे न पड़ें बीमार..। पढ़िए श्रीफल जैन न्यूज की संपादक रेखा जैन का आलेख ।
आजकल के दौर में बच्चों की सेहत एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। बढ़ते प्रदूषण, बदलते मौसम, गलत खानपान, और अन्य स्वास्थ्य संबंधी कारणों से बच्चों को विभिन्न बीमारियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में, पेरेंट्स के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण है कि वे अपने बच्चों की सेहत का ख्याल रखें और उन्हें एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रोत्साहित करें। एम्स दिल्ली, जो भारत का प्रमुख चिकित्सा संस्थान है, बच्चों की सेहत को लेकर पेरेंट्स के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव देता है। इन सुझावों का पालन करके न केवल बच्चों की सेहत को बेहतर किया जा सकता है, बल्कि उन्हें बीमारियों से भी बचाया जा सकता है।
1. संतुलित और पोषक आहार
पेरेंट्स के लिए सबसे पहला और महत्वपूर्ण कदम यह है कि वे अपने बच्चों को एक संतुलित और पोषक आहार दें। सही आहार से बच्चे न केवल शारीरिक रूप से मजबूत बनते हैं, बल्कि उनका इम्यून सिस्टम भी बेहतर होता है। संतुलित आहार का मतलब है कि बच्चे को हर प्रकार के पोषक तत्व मिलें – जैसे प्रोटीन, विटामिन, खनिज, फाइबर, और कार्बोहाइड्रेट्स। एम्स दिल्ली के चिकित्सक यह सुझाव देते हैं कि बच्चों के आहार में हरी सब्जियां, ताजे फल, साबुत अनाज, और दालें शामिल करनी चाहिए। आहार में कैल्शियम, आयरन, और जिंक जैसी महत्वपूर्ण चीजों का होना बहुत जरूरी है, क्योंकि ये हड्डियों, रक्त, और इम्यून सिस्टम के लिए आवश्यक होते हैं। इसके अलावा, बच्चों को पर्याप्त पानी पीने के लिए भी प्रेरित करना चाहिए, ताकि उनका शरीर हाइड्रेटेड रहे और त्वचा की समस्या से बचाव हो। इसके साथ ही, पेरेंट्स को बच्चों को जंक फूड और अधिक चीनी से दूर रखने की कोशिश करनी चाहिए, क्योंकि यह उनकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है और इम्यून सिस्टम को कमजोर कर सकता है।
2. स्वच्छता और हाइजीन का ध्यान रखना
स्वच्छता और हाइजीन बच्चों की सेहत के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। बच्चों को यह सिखाना चाहिए कि वे अपनी सफाई का ध्यान रखें और नियमित रूप से हाथ धोने की आदत डालें। एम्स दिल्ली के विशेषज्ञ यह सलाह देते हैं कि बच्चों को विशेष रूप से खाने से पहले और शौचालय जाने के बाद हाथ धोने की आदत डालनी चाहिए। इससे बैक्टीरिया और वायरस के संक्रमण से बचाव होता है। इसके अलावा, बच्चों को अपनी नाक, मुंह और आंखों को बार-बार छूने से भी मना करना चाहिए, क्योंकि इन अंगों के माध्यम से कई तरह के वायरस शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। घर और बच्चों के आसपास के वातावरण को साफ रखना बहुत महत्वपूर्ण है। पेरेंट्स को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चों के खेलने का स्थान, बाथरूम और बेडरूम साफ रहें, ताकि संक्रमण से बचाव किया जा सके।
3. नियमित टीकाकरण
बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर एम्स दिल्ली की ओर से एक और महत्वपूर्ण सुझाव है कि पेरेंट्स को बच्चों के सभी आवश्यक टीकाकरण समय पर करवाने चाहिए। बचपन में दी जाने वाली वैक्सीनेशन बच्चों को खतरनाक बीमारियों से बचाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण होती है। पोलियो, टीबी, काली खांसी, डिप्थीरिया, हेपेटाइटिस, और कण्ठमाला जैसी बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण जरूरी है। इन टीकों के द्वारा बच्चों को ऐसी बीमारियों से बचाया जा सकता है, जिनसे उनके जीवन पर गंभीर असर पड़ सकता है।
4. शारीरिक गतिविधियों और खेलों का महत्व
बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए खेल और शारीरिक गतिविधियाँ जरूरी हैं। एम्स दिल्ली के विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों को बाहर खेलकूद में भाग लेने के लिए प्रेरित करना चाहिए। यह न केवल उनके शारीरिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है। दूसरी ओर, शारीरिक गतिविधियां बच्चों के इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करती हैं। बाहर खेलने से बच्चों को ताजगी मिलती है और उनका शरीर स्वस्थ रहता है। बच्चों को ताजी हवा और धूप का भी लाभ होता है, जो उनके शरीर को जरूरी विटामिन D प्रदान करता है। विटामिन D हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है और इम्यून सिस्टम को भी बेहतर बनाता है।
5. पर्याप्त नींद का महत्व
बच्चों के विकास के लिए नींद बेहद महत्वपूर्ण है। एम्स दिल्ली के विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों को पर्याप्त नींद मिलनी चाहिए, ताकि उनका शरीर और मस्तिष्क पूरी तरह से रीचार्ज हो सके। बच्चों को कम से कम 8-10 घंटे की नींद लेनी चाहिए। छोटे बच्चों को 12 घंटे तक की नींद की जरूरत होती है। यदि बच्चों को पर्याप्त नींद नहीं मिलती, तो उनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है और वे जल्दी बीमार पड़ सकते हैं।
6. मानसिक तनाव से बचाव
बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी बहुत महत्वपूर्ण है। एम्स दिल्ली के विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों को मानसिक तनाव से बचाना चाहिए, क्योंकि तनाव से उनका शारीरिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हो सकता है। बच्चों को खुशहाल माहौल और पर्याप्त समय देना चाहिए, ताकि वे मानसिक रूप से स्वस्थ रहें। उन्हें पर्याप्त समय देना चाहिए ताकि वे अपनी रुचियों और पसंदीदा गतिविधियों में भी हिस्सा ले सकें। इसके अलावा, बच्चों को स्क्रीन टाइम (टीवी, मोबाइल आदि) को नियंत्रित करना चाहिए, क्योंकि अत्यधिक स्क्रीन समय से उनका मानसिक और शारीरिक विकास प्रभावित हो सकता है।
7. मौसम और जलवायु का ध्यान रखना
बच्चों को बदलते मौसम में विशेष ध्यान रखना चाहिए। सर्दी, गर्मी और बरसात में बच्चों को सही कपड़े पहनने के लिए प्रेरित करें। सर्दियों में बच्चों को गर्म कपड़े पहनने की आदत डालें, जबकि गर्मियों में हलके और आरामदायक कपड़े पहनने के लिए कहें। अत्यधिक गर्मी या सर्दी में बच्चों को बाहर जाने से बचाएं और उन्हें पर्याप्त जलयोजन की सलाह दें।
8. तनाव और पारिवारिक जीवन
बच्चों की सेहत पर पारिवारिक माहौल का भी गहरा असर पड़ता है। एक सकारात्मक और खुशहाल माहौल बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। पेरेंट्स को बच्चों के साथ समय बिताने की आदत डालनी चाहिए और उन्हें प्यार और ध्यान देने का अवसर देना चाहिए। इससे बच्चों को मानसिक रूप से स्थिरता मिलती है और उनका इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।
निष्कर्ष
एम्स दिल्ली के विशेषज्ञों के द्वारा दी गई ये सभी सलाह बच्चों की सेहत को बेहतर बनाने और उन्हें बीमारियों से बचाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। पेरेंट्स को अपने बच्चों की देखभाल में इन सुझावों को शामिल करना चाहिए ताकि उनके बच्चे स्वस्थ रहें, मानसिक रूप से खुशहाल रहें, और किसी भी प्रकार की बीमारियों से बच सकें। संतुलित आहार, स्वच्छता, टीकाकरण, खेलकूद, पर्याप्त नींद, मानसिक तनाव से बचाव, और सही पारिवारिक माहौल बच्चों की सेहत के लिए आवश्यक हैं। अगर पेरेंट्स इन सुझावों का पालन करते हैं, तो उनके बच्चे न केवल बीमारियों से बचेंगे, बल्कि उनका शारीरिक और मानसिक विकास भी सही तरीके से होगा।
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