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कहानी धरियावद में कुंथुसागर जी की नसियां में बने मंदिर की: जहां चोर लाख कोशिश के बाद भी नहीं घुस पाए…


सारांश

भूगर्भ से निकली जिनबिम्ब प्रतिमा, जिसकी प्रतिष्ठा करने के बाद कई बार चोरों ने यहां चोरी करने के कोशिश की लेकिन मंदिर के भीतर वो ऐसा कर नहीं पाए । जानिए पूरी कहानी …


धरियावद नगर में यहां कुंथुसागर जी की नसियां है । इसी नसियां से तीन किलोमीटर दूर भू-गर्भ से प्रतिमाएं निकली हैं । सन 1958 में, भूगर्भ से पाषाण से जिनबिम्ब प्रकट हुए, जिसको समाज द्वारा नसियां मंदिर में विराजमान किया । नसियां में जब यहां पर आदिनाथ की प्रतिमा लाई गई थी तब एक छोटे से कमरे में रखा गया था ।

उसके बाद धीरे धीरे मंदिर का रूप हो गया । अब इसे भव्य शिखर बंध मंदिर बनाने की योजना है । यहां एक मूर्ति चंद्रप्रभु भगवान की भी ही इसके अलावा छोटे तीर्थंकर की प्रतिमाएं भी है ।

मान्यता है कि जो भी मन्नत मांगते हैं वो पूरी होती है । इस मंदिर में बहुत दिनों चोरों ने चोरी करने की कोशिश की लेकिन वो कामयाब नहीं हो सके । अतिरिक्त भूमि पर कार्य प्रगति पर है ।

जानिए कौन हैं कुंथुसागर जी

कुंतुसागर महाराज का जन्म 2420 संवत कार्तिक शुक्ल द्वितीय को हुआ और महाराज की समाधि समय- आषाढ़ बदी पंचमी , वीर संवत 2471 को हुई । इनकी पुस्तक भावत्रय फलंदर्शी पुस्तक बहुत चर्चा में रही हैं। आचार्य श्री कुंथु सागर महाराज चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शांति सागर महाराज के शिष्य थे और एनापुर दक्षिण भारत के थे।

बात करें इस नसियां की तो यहां तीन छतरियां है। जिनमें एक आचार्य कुंथु सागर महाराज, आचार्य आदि सागर महाराज और विमल सागर महाराज की यहां चरण पादुकाएं हैं। इन छतरियों में आचार्य श्री शांति सागर महाराज के चरण भी हैं साथ ही मुनि श्री सुधर्म सागर महाराज ,मुनि श्री उदय सागर महाराज की चरण पादुकाएं भी हैं ।

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