आलेख श्रीफल ओरिजिनल

बाल दिवस के उपलक्ष्य में बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधी आलेखों की विशेष शृंखला-1 : बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव डालते हैं जंक फूड

बाल दिवस, जिसे "चिल्डर्न्स डे"केनाम से
भी जाना जाता है, हर साल 14 नवम्बर
कोमनाया जाता है। यह दिन बच्चों के 
अधिकारों,उनके विकास और शिक्षा के 
महत्व को उजागर करने के लिए समर्पित 
होता है। बाल दिवस का उद्देश्य बच्चों को 
स्वस्थ,खुशहाल और सुरक्षित वातावरण में 
जीवन जीने का अधिकारदिलाना है। यह 
दिन बच्चों की नकेवल शारीरिक, बल्कि 
मानसिक और भावनात्मक भलाई के लिए 
भी समर्पित है। श्रीफल जैन न्यूज बाल 
दिवस के उपलक्ष्य पर बच्चों के स्वास्थ्य 
जुड़ी समस्याओं और उनके समाधान के 
लिए आलेखों की एक विशेष शृंखला शुरू
कर रहा है। इसकी पहली कड़ी में पढ़ें 
जंक फूड के दुष्प्रभाव के बारे में में....।
यह स्टोरी पाठकों केलिए श्रीफल जैन न्यूज
की संपादक रेखा संजय जैन द्वारा लिखी 
गई है ।

जंक फूड बच्चों के स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा है। इसका अत्यधिक सेवन न केवल बच्चों को शारीरिक बीमारियों का शिकार बना सकता है, बल्कि मानसिक समस्याओं का कारण भी बन सकता है। हालांकि, सही जानकारी और शिक्षा के माध्यम से जंक फूड के सेवन को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे बच्चों को एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाने में मदद मिल सकती है। इसके लिए परिवार, स्कूल और समाज सभी को मिलकर प्रयास करना होगा ताकि बच्चों का भविष्य स्वस्थ और खुशहाल हो। जंक फूड, जिसे हम आम तौर पर तला-भुना, पैकेज्ड और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के रूप में पहचानते हैं, आजकल बच्चों के आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। स्कूलों के कैंटीन, सड़क के किनारे वाले ढाबों, मॉल्स और घरों में, यह आसानी से उपलब्ध और आकर्षक होते हैं, जिससे बच्चे इसे नियमित रूप से खाने की ओर आकर्षित होते हैं। हालांकि जंक फूड का स्वाद बच्चों को भा सकता है, लेकिन यह उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इस आलेख में हम जंक फूड के बच्चों के स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभावों की चर्चा करेंगे…

1. जंक फूड की पहचान और इसके घटक

जंक फूड आमतौर पर उन खाद्य पदार्थों को कहा जाता है जिनमें उच्च मात्रा में कैलोरी, चीनी, वसा, और नमक (सोडियम) होता है, लेकिन इनमें पोषण तत्वों की कमी होती है। इन खाद्य पदार्थों में अक्सर शर्करा, संरक्षक, रंग और स्वाद बढ़ाने के लिए कृत्रिम रसायन होते हैं। उदाहरण के लिए:

-सॉफ्ट ड्रिंक्स (कोल्ड ड्रिंक्स)

-पिज्जा, बर्गर, फ्रेंच फ्राई

– चिप्स, स्नैक फूड, पैकेज्ड बेकरी आइटम

– स्वीट्स, चॉकलेट और कैंडी

इन खाद्य पदार्थों का सेवन बच्चों के विकास, शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है।

2. जंक फूड के सेवन और स्वास्थ्य पर प्रभाव

– मोटापा और बच्चों का वजन

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, जंक फूड का अत्यधिक सेवन बच्चों में मोटापे को बढ़ा सकता है। मोटापा बच्चों में गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है जैसे कि टाइप 2 डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, और हृदय रोग। शोध के आंकड़े:

– एक अध्ययन में पाया गया कि बच्चों में मोटापे के कारण जंक फूड का सेवन लगभग 10-20% बढ़ गया है।

– 2016 में WHO ने चेतावनी दी थी कि दुनिया भर में 5 से 19 वर्ष के बच्चों में मोटापा लगभग दोगुना हो गया है, और इसका मुख्य कारण अस्वस्थ आहार है।

इसके अलावा, जंक फूड में उच्च वसा और चीनी की मात्रा बच्चों के शरीर में अतिरिक्त कैलोरी का संचय करती है, जिससे वे अधिक वजन वाले हो जाते हैं। यह अतिरिक्त वजन केवल शारीरिक समस्याओं का कारण नहीं बनता, बल्कि यह बच्चे के आत्म-सम्मान और मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

-हार्मोनल असंतुलन

जंक फूड में प्रचुर मात्रा में ट्रांस फैट्स और संरक्षक होते हैं, जो बच्चों के हार्मोनल संतुलन को प्रभावित कर सकते हैं। एक अध्ययन में यह पाया गया कि लंबे समय तक जंक फूड का सेवन करने से बच्चों के विकास में बाधा आती है और उनकी शारीरिक वृद्धि पर नकारात्मक असर डाल सकता है। इसके परिणामस्वरूप बच्चों में जल्दी प्यूबर्टी (यौवन) आ सकती है या वे शारीरिक और मानसिक रूप से अपरिपक्व हो सकते हैं।

– पाचन समस्याएं

जंक फूड में फाइबर की कमी होती है, जो पाचन तंत्र के लिए आवश्यक है। इसके परिणामस्वरूप बच्चों में कब्ज, दस्त, गैस, और अन्य पाचन संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। जंक फूड के सेवन से पेट में सूजन और जलन भी हो सकती है।

– मानसिक स्वास्थ्य

जंक फूड का बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। चीनी और उच्च कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों के सेवन से बच्चों में मस्तिष्क के रसायन (neurotransmitters) प्रभावित होते हैं, जिससे मूड स्विंग्स, चिंता और अवसाद की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

शोध के आंकड़े:

– 2013 में एक अध्ययन में पाया गया कि अत्यधिक चीनी और वसा वाले आहार से बच्चों में अवसाद और चिंता की स्थिति बढ़ सकती है।

– एक अन्य अध्ययन में यह सामने आया कि जो बच्चे नियमित रूप से जंक फूड खाते हैं, उनमें मानसिक तनाव और ध्यान की समस्याएं अधिक पाई जाती हैं।

3. जंक फूड और बच्चों के विकास में रुकावट

बच्चों का शरीर विकास के चरण में होता है, और इस समय उन्हें संतुलित आहार की आवश्यकता होती है। जंक फूड में आवश्यक पोषक तत्वों जैसे प्रोटीन, विटामिन, खनिजों और एंटीऑक्सीडेंट्स की कमी होती है, जो बच्चों के समग्र शारीरिक और मानसिक विकास के लिए आवश्यक होते हैं। उदाहरण के लिए, कैल्शियम और विटामिन D बच्चों के हड्डी और दांतों के विकास के लिए जरूरी हैं, लेकिन जंक फूड में इन पोषक तत्वों की मात्रा बहुत कम होती है। इस प्रकार, बच्चों में हड्डियों से संबंधित समस्याएं जैसे रिकेट्स और ओस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ सकता है।

4. शोध और आंकड़े

विभिन्न शोध और आंकड़े जंक फूड के बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रभाव को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं:

– 2014 में हुए एक अध्ययन में यह पाया गया कि जंक फूड का अत्यधिक सेवन करने वाले बच्चों में मोटापे के अलावा दिल की बीमारियां, टाइप 2 डायबिटीज और उच्च रक्तचाप जैसे रोगों का खतरा दोगुना हो जाता है।

– 2017 में अमेरिका में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि 2 से 5 साल के बच्चों में जंक फूड के सेवन के कारण मानसिक विकास में देरी हो सकती है, क्योंकि उनका मस्तिष्क उचित पोषण से वंचित रहता है।

– 2019 में किए गए एक शोध में यह पाया गया कि बच्चों में जंक फूड का सेवन करने से उनकी एकाग्रता की क्षमता और मानसिक विकास में कमी आती है, जिससे पढ़ाई में भी उन्हें समस्याएं आती हैं।

5. जंक फूड के सेवन से बचने के उपाय

– बच्चों को स्वस्थ आहार की आदतें सिखाना

बच्चों को स्वस्थ आहार के महत्व के बारे में समझाना और उन्हें ऐसे खाद्य पदार्थों की ओर आकर्षित करना जो पोषण से भरपूर होते हैं, जैसे ताजे फल, हरी सब्जियां, अनाज और डेयरी उत्पाद, जंक फूड के सेवन को कम कर सकता है।

– परिवार का आहार उदाहरण

परिवार में स्वस्थ आहार का पालन करने से बच्चों को सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अगर माता-पिता स्वयं जंक फूड से बचते हैं और स्वस्थ विकल्प चुनते हैं, तो बच्चों में भी इसी आदत को अपनाने की संभावना अधिक होती है।

– शिक्षकों और स्कूलों की भूमिका

स्कूलों को बच्चों को जंक फूड के हानिकारक प्रभावों के बारे में शिक्षित करना चाहिए और उन्हें स्वस्थ आहार के विकल्प प्रदान करने चाहिए। साथ ही, स्कूलों में जंक फूड की बिक्री पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।

 

 

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Rekha Jain

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