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जैन समाज जागरूक बने-इन्टरनेशनल एसोसिएशन ऑफ जैन फोरमः हक और नागरिक अधिकारो पर विषयागत विचार करें। 


जैन स्थानक में बॅटने के बजाय अपने आप को सिर्फ जैन कहें और अपने लिए संवैधानिक नागरिकता हक स्थापित करें। हाल ही में इंदौर कोर्ट द्वारा हिंदू मैरिज एक्ट में अल्पसंख्यक वर्ग की अर्जी पर फैसला ना दंे। फैमिली कोर्ट हाई कोर्ट ने इस प्रकार की टिप्पणी की है। समग्र जैन समाज महासम्मलेन करें और समग्र जैन एकता के साथ भविष्य के लिए अपने हक और नागरिक अधिकारो पर विषयागत विचार करें। पढ़िए राजेश जैन दद्दू की यह पूरी खबर इंदौर से…


इंदौर। समग्र जैन दिगंबर-श्वेतांबर मंदिर स्थानक में बटने के बजाय अपने आप को सिर्फ जैन कहें और अपने लिए संवैधानिक नागरिकता हक स्थापित करें। फोरम के प्रमुख अशोक मेहता ने बताया कि हाल ही में इंदौर कोर्ट द्वारा हिंदू मैरिज एक्ट में अल्पसंख्यक वर्ग की अर्जी पर फैसला ना दे फैमिली कोर्ट, हाई कोर्ट ने इस प्रकार की टिप्पणी की है (ज्ञात रहे 27 जनवरी 2014 को केंद्र सरकार ने जैन समाज को अल्पसंख्यक घोषित किया था) प्रश्न यह है कि जैन समाज का अपना कोई मैरिज एक्ट नहीं बना हुआ है। अभी तक हिंदू मैरिज एक्ट के तहत सुनवाई होती थी।

जैन समाज कानूनी पहलूओं पर ध्यान दें

जैन समुदाय आपस में बटते रहें पर कानूनन पहलूओ पर ध्यान नहीं दिया। आने वाले समय में और भी गंभीर समस्याएँ आएगी। समय आ गया हैं कि हम समग्र जैन एकता पर गंभीरता से आगे बढ़े वरना यह मुहावरा ‘एक नहीं तो नेक नहीं‘ कहीं हम पर लागू न हो जाए। समग्र जैन समाज महासम्मेलन करें और समग्र जैन एकता के साथ भविष्य के लिए अपने हक और नागरिक अधिकारो पर विषयागत विचार करें।

सतत समग्र जैन एकता के लिए समर्पित

’इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ जैन फोरम’ के अशोक मेहता, कांतिलाल बंम निर्मल कासलीवाल एवं समस्त समाजजनों द्वारा प्रसारित अपील।

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