प्रथमाचार्य श्री शांति सागरजी आचार्य पद शताब्दी महोत्सव अंतर्गत आचार्यश्री वर्धमान सागरजी की प्रेरणा से जैन धार्मिक पाठशाला पुन प्रारंभ की गई है। शताब्दी महोत्सव को स्थाई बनाने के लिए आचार्यश्री शांति सागरजी के शिष्य आचार्य कुन्थू सागरजी के नाम से सन 1970 से नगर में धार्मिक पाठशाला प्रारंभ की गई थी। वर्ष 2023 में कोरोना महामारी के बाद से पाठशाला का संचालन स्थगित हो गया था। पढ़िए राजेश पंचोलिया द्वारा पारसोला की यह पूरी खबर…
पारसोला। वात्सल्य वारिधी पंचम पट्टाधीश आचार्यश्री वर्धमान सागरजी 30 साधुओं सहित पारसोला नगर में विराजित है। प्रथमाचार्य श्री शांतिसागरजी महाराज आचार्य पद शताब्दी महोत्सव के अंतर्गत कार्यक्रम का शुभारंभ पारसोला से ही हुआ है, जो अक्टूबर 2025 तक निरंतर चलेगा। शताब्दी महोत्सव को स्थाई बनाने के लिए आचार्यश्री शांति सागरजी के शिष्य आचार्य कुन्थू सागरजी के नाम से सन 1970 से नगर में धार्मिक पाठशाला प्रारंभ की गई थी। वर्ष 2023 में कोरोना महामारी के बाद से पाठशाला का संचालन स्थगित हो गया था। विगत दिनों नगर में जैन संस्कार के लिए आध्यात्मिक शिविर का आयोजन आचार्यश्री संघ सानिध्य में किया गया। जिसमें आचार्य श्री वर्धमान सागरजी ने अपने प्रवचन में नगर के बच्चों को धार्मिक संस्कार हेतु पाठशाला प्रारंभ करने का उपदेश और महत्वपूर्ण प्रेरणा दी।
जैन पाठशाला को पुनः प्रारंभ हुई
आचार्य श्री वर्धमान सागर ससंघ की प्रेरणा एवं सानिध्य में स्थानीय जैन समाज ने आचार्य पद शताब्दी महोत्सव अंतर्गत आचार्यश्री कुन्थुसागर जैन पाठशाला को पुनः शुरू करने का मानस बनाया है। आचार्यश्री के मंगल आशीर्वाद से पंडित कीर्तिश वगेरिया व पंडित अशोक जैन के निर्देशन में पाठशाला के शिक्षकगण को मनोनीत किया गया। गज्जू भैया एवं राजेश पंचोलिया अनुसार आचार्यश्री ने बताया कि नगर में पूर्व में जैन पाठशाला चलती थी।
बच्चों में धर्म के संस्कारों का बीजारोपण
जैन पाठशाला से बच्चों में बचपन से धर्म के संस्कारों का बीजारोपण होता है। बचपन में सीखे धर्म के संस्कार जीवन को उन्नति के मार्ग पर ले जाते है। धर्म के संस्कार से जीवन का निर्माण ही नहीं निर्वाण को भी प्राप्त कर सकते हैं। सभी समाजजनों की जिम्मेदारी है कि वो जैन पाठशाला को नियमित रूप चलाये और समय-समय स्वयं पाठशाला का अवलोकन करते हुए बालकों में आध्यात्मिक ज्ञान की वृद्धि करने का पुरुषार्थ करें।
नियमित अध्ययन हेतु कृतसंकल्पित
जयंतीलाल कोठारी अध्यक्ष जैन समाज, ऋषभ पचौरी अध्यक्ष वर्षायोग समिति, वीरेंद्र सेठ ने बताया कि जैन पाठशाला में बाल बोध प्रथम द्वितीय, द्रव्य संग्रह, श्रावकाचार, छहढाला, तत्वार्थ सूत्र, स्वाध्याय आदि का नियमित अध्ययन वीणा घाटलिया, माला घाटलिया, ममता पचौरी, अंकिता पचौरी, सुनीता पचौरी, चेतना घाटलिया, बिंदु वगेरिया, पूजा घाटलिया, चेतना पचौरी व पुष्पा देवी द्वारा बालक-बालिका युवाओं को धर्मशिक्षा देने के लिए ससंघ के सानिध्य में पूज्य मुनिश्री हितेंद्र सागर ने संकल्प दिलाया।
महिला मंडल का प्रयास व संचालन हेतु राशि दान की गई
पाठशाला संचालन के लिए संघस्थ गज्जू भाई ने 11 हज़ार व तारा सेठी दादी ने पांच हजार रुपये की राशि भेंट की तथा नगर के अनेक साधर्मियों ने रूपये 500 के अनुसार दान राशि की घोषणा की। सभी शिक्षकगणों का स्थानीय जैन समाज ने सम्मान किया। पारसोला में आचार्यश्री कुन्थु सागर जैन पाठशाला की स्थापना 70 के दशक में प्रथमाचार्य श्री शांति सागरजी के शिष्य एनापुर वाले आचार्यश्री कुन्थु सागरजी महाराज द्वारा की गई थी। हाल ही में कोरोना काल के कारण वर्ष 2021 से पाठशाला बंद हो गई थी। जिसे महिला मंडल के द्वारा पुनः पाठशाला शुरू करने का संकल्प लिया है।
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