समन्वय वाणी फाउंडेशन, अ.भा.जैन पत्र संपादक संघ तथा विद्वत्परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित समन्वय वाणी के 43 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में- जैन पत्रकारिता- दशा एवं दिशा- विषय पर संगोष्ठी सम्पन्न हुई, जिसके अध्यक्ष- वरिष्ठ पत्रकार मिलापचन्द डंडिया, मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार प्रवीणचन्द छाबड़ा तथा विशिष्ट अतिथि तीर्क्ष क्षेत्र कमेटी, महावीरजी क्षेत्र कमेटी के पूर्व अध्यक्ष एन.के. सेठी थे। पढ़िए यह विशेष रिपोर्ट…
जयपुर। समन्वय वाणी फाउंडेशन, अ.भा.जैन पत्र संपादक संघ तथा विद्वत्परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित समन्वय वाणी के 43 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में- जैन पत्रकारिता- दशा एवं दिशा- विषय पर संगोष्ठी सम्पन्न हुई, जिसके अध्यक्ष- वरिष्ठ पत्रकार मिलापचन्द डंडिया, मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार प्रवीणचन्द छाबड़ा तथा विशिष्ट अतिथि तीर्क्ष क्षेत्र कमेटी, महावीरजी क्षेत्र कमेटी के पूर्व अध्यक्ष एन.के. सेठी थे। डॉ.अखिल बंसल एवं जिनकुमार शास्त्री ने समस्त अतिथियों का स्वागत एवं मंगलाचरण डॉ. श्रुति जैन ने किया। सर्वप्रथम जर्नलिस्ट डॉ. अखिल बंसल ने समन्वय वाणी की संघर्षमयी 43 साल की विकास यात्रा प्रस्तुत की।
स्मरण रहे कि समन्वय वाणी का प्रथम अंक 5 अप्रैल 1981 को प्रकाशित हुआ था। पत्रिका के उद्भव एवं विकास में राजस्थान के भूतपूर्व मंत्री त्रिलोकचन्दजी जैन, मिलापचन्द डंडिया, प्रवीणचंद छाबडा, डा.संजीव भानावत, पं.बंशीधर शास्त्री, पं.भंवरलाल पोल्याका, रतनलाल कटारिया, विनयचन्द पापडीवाल, बाबू जुगल किशोर युगल, श्रीमती शैल बंसल आदि के प्रारंभिक योगदान को उल्लेखित किया। समन्वय वाणी के पता नहीं बेटा और समवसरण स्तंभ जैसे रोचक स्तम्भ काफी चर्चित रहे। पत्रिका सम सामयिक विषय, शिथिलाचार पर काफी मुखर रही। कटु आलोचन की लेकिन मर्यादा व सम्मान के सलीके का उल्लंघन नहीं किया। चौथे स्तम्भ की रक्षा चौथे पुत्र की भांति की।
किया पत्रकारिता का आलोचनात्मक पक्ष प्रस्तुत
संगोष्ठी की प्रथम वक्ता डॉ. सुषमा सिंघवी ने स्वतंत्रता पूर्व की 143 साल के जैन पत्रकारिता का इतिहास प्रस्तुत किया। जिसमें सन् वार पत्र का नाम, सम्पादन, प्रकाशन, विषय, विशेषता आदि का विवरण मय उद्धरण प्रस्तुत किया, जिसे सभी ने सराहा। द्वितीय वक्ता राजनीतिक विश्लेषक अनिल लोढ़ा ए वन चैनल हैड ने जैन ने पत्रकारिता का आलोचनात्मक पक्ष प्रस्तुत किया। पत्र एवं पत्रकार के प्रति समाज के व्यवहार पर चर्चा की। उन्होंने सत्ता उपासक पत्रकारिता की अपेक्षा लोक उपासक पत्रकारिता को श्रेष्ठ बताया।
चाहे सत्ता समाज, राजनीति, धर्म या धन की हो। जैनपथ प्रदर्शक के संपादक परमात्म प्रकाश भारिल्ल ने जैन धर्म एवं जैन समाज आधारित जैन पत्रकारिता के प्रति अपनी सहमति प्रदान की। इस अवसर पर अ.भा.दिग.जैन विद्वत्परिषद् के राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डॉ. शान्तिकुमार पाटिल, दिग. जैन महासमिति सांगानेर संभाग के अध्यक्ष एवं विद्वत्परिषद् जयपुर महानगर के अध्यक्ष कैलाश मलैया, अ.भा.जैन पत्र सम्पादक संघ राजस्थान के अध्यक्ष डॉ. अरविन्द जैन, जैन पाठशाला समिति जयपुर के अध्यक्ष डॉ. भागचन्द जैन एवं समस्त मंचासीन अतिथियों द्वारा डॉ. अखिल बंसल का तिलक, माला, शॉल, पगडी एवं गिफ्ट प्रदान कर भव्य सम्मान किया गया।
डाला भौतिक एवं वैचारिक चेतना पर प्रकाश
मुख्य अतिथि प्रवीणचंद छाबडा ने पत्रों के भौतिक एवं वैचारिक चेतना पर प्रकाश डाला। सपना नहीं संकल्प के साथ काम करने का आह्वान किया। विशिष्ट अतिथि पूर्व आई ए एस एन.के.सेठी ने समाज सुधार के लिए पत्रकारिता को महत्वपूर्ण बताया। सभाध्यक्ष मिलाप चंद डंडिया ने पत्रकारिता के निर्भीक, निष्पक्ष एवं संघर्षशील गुणों की चर्चा करते हुए समन्वय वाणी के सम्पादक अखिल बंसल को बधाई तथा शुभकामनाएं दीं। अन्त में सभा संचालक डॉ. शान्तिकुमार पाटिल ने सबका आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में डा.एन.के.खींचा, पत्रकार वी.बी.जैन, हीराचंद वैद, महावीर सोनी, प्रो. श्रीयांस सिंघई, प्रो. गजेन्द्र जैन, पं.राकेश शास्त्री, डॉ.महिमा जैन, डॉ.सतेन्द्र जैन, डॉ.दर्शना जैन, प्रो.अध्यात्म जैन , अंशुल जैन आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
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