शिव वाटिका में आचार्य श्री विनिश्चय सागर जी एवं मुनिश्री प्रांजल सागर जी, मुनिश्री प्रत्यक्ष सागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में जुलूस निकाला। उन्हें बड़ा मंदिर जी से शिव वाटिका लेकर जाया गया। यहां नागरिक अभिनंदन हुआ। कोडरमा से पढ़िए यह खबर…
कोडरमा। शहर की शिव वाटिका में आचार्य श्री विनिश्चय सागर जी एवं मुनिश्री प्रांजल सागर जी, मुनिश्री प्रत्यक्ष सागर जी महाराज ससंघ को गाजे-बाजे के साथ जूलूस के माध्यम से बड़ा मंदिर जी से शिव वाटिका लेकर जाया गया। जैन समाज के बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। मुनिश्री का मौहरी समाज, वर्णवाल समाज, पंजाबी समाज, ब्राह्मण समाज, बंगाली समाज, मारवाड़ी युवा मंच, प्रेरणा शाखा, रोटरी क्लब आदि संस्थाओं ने मुनिश्री को पूजा-अर्चना कर श्रीफल अर्पित किया। जैन समाज के सदस्यों ने सभी शाखाओं के प्रतिनिधियों का तिलक लगाकर स्वागत अभिनंदन किया।
चित्र अनावरण में ये समाजजन मौजूद रहे
कार्यक्रम में द्वीप प्रज्वलन और चित्र अनावरण राज छाबड़ा मंत्री, सुरेंद्र काला, कोषाध्यक्ष एवं मुख्य पुण्यार्जक सुरेश पांडया, पूर्व अध्यक्ष,सुशील छबड़ा पूर्व अध्यक्ष, प्रदीप पांडया, पूर्व अध्यक्ष, सुरेश झांझरी, पूर्व उपाध्यक्ष कमल सेठी, पूर्व मंत्री जयकुमार गंगवाल, पूर्व मंत्री ललित सेठी पूर्व मंत्री, प्रदीप छबड़ा, किशोर पांडया महिला समाज की अध्यक्ष नीलम सेठी और मंत्री आशा गंगवाल, जैन युवक समिति के अध्यक्ष राजीव छाबड़ा एवं इस कार्यक्रम के संयोजक लोकेश पाटोदी, राहुल छाबड़ा,अभिषेक गंगवाल, रौनक कासलीवाल, प्रशम सेठी आदि ने किया।
बच्चों ने भक्ति नृत्य किया
सुबोध गंगवाल ने मुनिश्री का भव्य पूजन किया। साथ ही इस कार्यक्रम में मंच संचालन संजय छाबड़ा ने किया। साथ ही समाज के सदस्यों ने मुनि को श्रुत वारिधि की उपाधि भी दी। जिसे सुरेश झांझरी ने पढ़कर सुनाया। इस कार्यक्रम में छोटे-छोटे बच्चों ने भक्ति नृत्य कर पूरे समारोह में जोश भर दिया।
महावीर जैन और कुसुम जैन को सम्मानित किया
पूज्य मुनि श्री ने अपने पूर्व जीवन घटनाओं को सभा के मध्य रखा। जिसमें उन्होंने मानमल झांझरी का नाम लेकर उन्ही के धार्मिक संस्कार से ही में आज इस पद पर पहुंच पाया। मौके पर समाज के पदाधिकारियों ने मुनिश्री प्रांजल सागर जी महाराज के गृहस्थ अवस्था के पिता महावीर जैन और माता कुसुम जैन को सम्मानित भी किया गया।
आत्मा को जानने की जरूरत
आचार्य श्री विनिश्चय सागर जी ने कहा हमें समय अर्थात आत्मा को जानने की जरूरत है। जिसने आत्मा को जान लिया। वे मोक्ष मार्ग प्राप्त कर सकते हैं। हमारा शरीर नष्ट होता है। जीव द्रव्यका कुछ नहीं होता। हम सबको मोक्ष मार्ग पर चलने का प्रयास करना चाहिए।
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