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मुनि प्रांजल सागर जी का मंगल प्रवेश अगवानी के लिए उमड़ा जैन समाजः धर्म ध्वजा और नारों से रहा माहौल धार्मिक 


झुमरी तिलिया में जन्मे अखिलेश भैया का 14 वर्षों बाद जैन मुनि प्रांजल सागर जी बनकर अपने दीक्षा गुरु आचार्य श्री विनिश्चय सागर जी के साथ संघ सहित झुमरीतिलैया की धर्म नगरी में मंगल आगमन हुआ। जैन समाज सहित अन्य समाजों ने भी मुनिश्री की अगवानी की। पाद प्रक्षालन के लिए श्रद्धालुओं में होड़ रही। सर्वसमाज ने दर्शन और पूजन कर आरती की। पढ़िए कोडरमा से यह खबर…


कोडरमा। रमता जोगी बहता पानी के कहावत के अनुसार झुमरी तिलिया में जन्मे अखिलेश भैया का 14 वर्षों बाद जैन मुनि प्रांजल सागर जी बनकर अपने दीक्षा गुरु आचार्य श्री विनिश्चय सागर जी के साथ संघ सहित झुमरीतिलैया की धर्म नगरी में मंगल आगमन सुबह 7.30 बजे हुआ। भक्तजनों में कोडरमा गौरव जो 14 वर्षाे के बाद जन्म नगरी में आने की खुशी है। जैन समाज के पुरुष, बच्चे, महिलाओं के साथ युवा श्वेत और केशरिया पारंपरिक परिधान में मुनिश्री की अगवानी के लिए पहुंचे। इस मंगल प्रवेश में इस बार कुछ ऐतिहासिक क्षण दिखा जैन समाज के अलावा अजैनों में भी कोडरमा के मुनिश्री को देखने की उत्सुकता दिख रही थी। इस मंगल प्रवेश में सभी साथ चल रहे थे और अपने-अपने चौक-चौराहे पर मोदी समाज, बंगाली समाज, मोहरी समाज, पंजाबी समाज, अग्रवाल समाज ने मुनिश्री के चरण पखारे और आरती की।

जयकारों के साथ पूरे शहर में भक्ति और श्रद्धा का वातावरण

इस शोभायात्रा में मुनिश्री के साथ सैकड़ों भक्त बैंड पार्टी, ताशा पार्टी, बैंडबाजा, जैन स्कूल बच्चों का बैंड, महिलाओं की कलश यात्रा, जैन धर्म का ध्वज और जैन धर्म के जयकारों के साथ पूरे शहर में भक्ति और श्रद्धा का वातावरण बन गया। सभी एक ही जयकारा लगा रहे थे कि हर मां का लाल कैसा हो प्रांजल सागर जैसा हो आदि नारे लगाकर शहर को गुंजायमान कर दिया। साथ ही छोटे-छोटे ग्रुप बनाकर महिलाएं तरह-तरह के वाद्ययंत्र और स्लोगन लेकर स्वागत कर रही थीं। साथ ही महिलाएं और बालिकाएं डांडिया नृत्य के साथ हाथ में जैन धर्म का झंडा लेकर अपनी भक्ति को प्रदर्शित कर रहे थीं।

सभी समाज ने श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा की

मुनिश्री ससंघ ने नगर भ्रमणकर बड़ा मंदिर स्टेशन रोड पहुंचे। जहां पर सैकड़ों श्रद्धालु भक्तों ने गुरुदेव के चरणों को धोया और अपने माथे पर लगाया। संपूर्ण जैन समाज ही नहीं स्थानीय सभी समाज ने श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा की। भक्तजनों ने भगवान के चरणों में दीप प्रज्वलित किया शास्त्र भेंट किया। मुनि श्री ने मुलनायक 1008 श्री पारस नाथ भगवान के दर्शन कर धर्मसभा को संबोधित किया।

लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए व्यवहार को बदलना होगा

अपने अमृतमय प्रवचन में गुरुदेव ने कहा कि लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए व्यवहार को बदलना होगा। व्यक्ति अच्छाइयों का खजाना होता है परंतु अपने दिमाग को खराब कार्यों में ज्यादा लगता है। जिसके कारण उसकी अच्छाई और योग्यता नजर नहीं आती है। वृक्ष यदि सूख रहा है तो पत्तों को नहीं जड़ों को देखने की आवश्यकता है। कोडरमा की धर्म प्रेमी बंधुआंे का पुण्य का योग है कि यहां पर गुरु महात्मा के चरण हमेशा पढ़ते रहते हैं। झुमरीतिलैया के लोग बड़े ही धर्मात्मा और गुरु के प्रति समर्पित भाव रखते हैं। सचमुच यहां के लोगों का पुण्य के साथ-साथ भाग्य भी अच्छा है। तभी हमेशा यहां पर संत महात्मा का सानिध्य और आशीर्वाद यहां के लोगों को हमेशा मिलते रहता है। मुनिश्री ससंघ का 120 किमी पैदल चलकर आना इस ठंडी में बहुत ही कठिन काम है और आगे इस गर्मी में इंदौर लगभग 1200 किमी की यात्रा करनी है। धर्म प्रभावना के लिए समाज से जुड़ते हैं। गुरु आगमन से धर्म प्रभावना के लिए सबसे बड़ा पर्व होता है, इसमें ना केवल श्रावक, संत से जुड़ता है बल्कि संत भी श्रावकों से जुड़कर धर्म प्रभावना को जन-जन फैलाने का प्रयास करते हैं। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में समाज, महिला समाज जैन युवक समिति के साथ सभी भक्तों ने अपना योगदान दिया। साथ ही पदाधिकारीगण ने अपना मार्गदर्शन दिया। यह सभी जानकारी जैन समाज के मीडिया प्रभारी जैन राजकुमार अजमेरा, नवीन जैन ने दी।

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