समाचार

अहमदाबाद में सुभूषणमति माताजी का उद्बोधन: श्रावकों पर बरसाया सुवचनों का अमृत

श्री अजितनाथ दिगम्बर जैन मंदिर शाहपुर अहमदाबाद में ससंघ विराजमान सुभूषणमति माताजी ने सुधी श्रोताओं को उद्बोधन देते हुए कहा कि “योग्य समय पर योग्य कार्य करना समझदारी है । जिस प्रकार अजीर्ण होवे तो, पकवान भी अच्छे नहीं लगते हैं और ऑपरेशन थियेटर में डॉक्टर के हाथ में छुरी भी खराब नहीं लगती है । उसी प्रकार यदि नगर में साधु नहीं है तो खूब भक्तिभाव से पूजन करो । परंतु यदि नगर में साधु है तो साधु के श्रीमुख से निसृत धर्म के रहस्य को अवश्य समझो । फिर देखिए पूजा में अवश्य ही आनंद आएगा। रटी-रटाई पूजन बोल कर अधिक पूजन करने से श्रेष्ठ है, एक पूजन कम करो पर समझ कर करो । यही भाव गुरुजन समझाते हैं । सरकार साक्षरता अभियान चलाती है । मगर साधु समझदारी अभियान चलाता है । अर्थात हित -अहित, योग्य -अयोग्य, हेय – उपादेय का ज्ञान देता है । जिसने हेय-उपादेय-ज्ञेय तीनों को समझ कर आत्मसात कर लिया, मोक्ष उसकी हथेली पर है । प्रथमानुयोग पढ़कर समझदार तो बन गए ।
करणानुयोग से यह जानने का प्रयास करें कि कौन सा कारण कौन सी भावनाएं सुख-दुख के है कारण
माताजी ने कहा कि करणानुयोग का अर्थ है – करण(परिणाम या भाव) अनुयोग । ध्यान रखना काय योग की शुद्धता तो दंड के माध्यम से सरकार बचा सकती है । वचन योग की शुद्धता समाज ,परिवार , पड़ोसी संभाल लेते हैं । परंतु मनोयोग की शुद्धता तो जिनेंद्र भक्ति , आगम व गुरु ही संभाल सकते हैं । क्योंकि सागर की अन्तहीन लहरों जैसे विचार मन को उद्वेलित करते रहते हैं । इसलिए गुरु माँ से जाने और अपने मन, वचन , काय तीनों योगों को संभाले।

आप को यह कंटेंट कैसा लगा अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे।
+1
4
+1
0
+1
1

About the author

Shreephal Jain News

Add Comment

Click here to post a comment

You cannot copy content of this page

× श्रीफल ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें