जयपुर के समीप जैन समाज के पवित्र धाम पदमपुरा जी तीर्थ में ठहरने की व्यवस्थाओं को लेकर जैन समाज के विविध ग्रुप्स में छिंदवाड़ा के संजय बज का मैसेज वायरल हो रहा है । इस मैसेज में बताया गया कि कैसे जैन संस्थाओं की अजैनियों के लिए बुकिंग हो गई और जैन श्रद्धालूओं को वहां कमरे तक नहीं मिले ।
हालांकि यह नितांत व्यक्तिगत मुद्दा था लेकिन इसमें जैन समाज के श्रद्धालूओं को अजैनियों से जुड़े कार्यक्रम के चलते कमरा न दिए जाने की बात लिखी थी । इसीलिए श्रीफल जैन न्यूज़ ने सामाजिक सरोकार निभाते हुए इसके तथ्य खंगाले । श्रीफल जैन न्यूज ने मैसेज में दिए नंबर पर बात की ।
संजय बज के नाम से दिए गए इन नंबर्स पर बताया गया कि सनावद से कुछ श्रद्धालू परिवार, निवाई में मुनि श्री वर्धमान सागर के दर्शनार्थ निकले और चाकसू में बने पदमपुरा जैन तीर्थ में एक रात्रि का ठहराव लेना चाहा । आरोप था कि वहां के पदाधिकारियों ने दुर्व्यवहार किया और जयपुर में कमरा लेने की सलाह दी क्योंकि पूरे तीर्थ क्षेत्र के कमरे अजैनियों के ( राधा स्वामी सत्संग) के लिए बुक कर दिए थे ।
श्रद्धालूओं के एतराज के बाद, जो कमरे दिए वो बहुत गंदी अवस्था में थे । इस मामले में हमनें पदमपुरा मंदिर प्रबंधन समिति से जुड़े हेमंत सोगानी जी से बात की । हेमंत सोगानी ने श्रीफल जैन न्यूज़ से कहा कि -” ये बात सही है कि कुछ श्रद्धालू आए और उन्होंनें कमरा मांगा, जिसे उपलब्ध करवा दिया गया ।
उनकी मंशा थी कि कमरे बड़े दिए जाएं । इसी बात को लेकर उनकी नाराजगी थी । सोगानी ने श्रीफल जैन न्यूज़ से कहा कि ये सही है कि तीर्थ स्थल में कमरों की बुकिंग राधा स्वामी सत्संग के लिए हुई है । लेकिन 800 में से सिर्फ 28 कमरे ही बुक किए गए हैं । सोगानी ने कहा कि हमारी ये हमेशा व्यवस्थाएं रहती हैं ।
साल के आखिरी दिन हैं , इसीलिए हमें ये भी मालूम रहता है कि जैन श्रद्धालूओं का आगमन रहेगा । इसीलिए हमनें आयोजन और जैन श्रद्धालूओं के आवागमन को ध्यान में रखते हुए ही व्यवस्थाएं की है । पदमपुरा समिति के किसी सदस्य की कभी ये मंशा नहीं होगी कि जैन श्रद्धालू परेशान हों ।
आपसी उलझन के कारण इस तरह का मैसेज वायरल किया गया है कि मानों जैन समाज को हम कमरे नहीं दे रहे । ऐसा बिल्कुल असत्य है । ये जैन तीर्थ है, जैनियों का स्थान है । तीर्थ स्थान की व्यवस्थाएं चलाने के लिए खाली कमरों का उपयोग किया जाता रहा है । राधास्वामी सत्संग वालों के लिए हर साल इस तरह की व्यवस्थाएं की जाती है । वे स्वच्छता,स्थान की पवित्रता का ध्यान रखते हैं । लेकिन जैनियों को जगह न दे पाएं तो हमारी समिति का मतलब ही नहीं है ।
श्रीफल जैन न्यूज़ की राय
सम्मेद शिखर को लेकर घटनाक्रम चल रहे हैं । इस लिहाज से जैन समाज में अपने अधिकारों और दायित्वों को लेकर जागरुकता आई है । ये अच्छी बात है । इस मामले में जैन तीर्थ स्थान समितियों और श्रद्धालू दोनों को एक दूसरे की समस्याएं समझनी चाहिए । श्रद्धालूओं और तीर्थ स्थान समितियों के अपने-अपने व्यावहारिक पक्ष होते हैं । इसे वहीं स्थानीय स्तर पर आपसी समझ से निस्तारण करना चाहिए ।
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