धर्मतीर्थ . राजीव सिंघई । धर्मतीर्थ में एक अतिशय हुआ है। यहां भगवान नेमीनाथ की खंडित प्रतिमा महाव्रती आचार्य श्री गुप्तिनंदी जी की साधना से जुड़ गई।
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धर्मतीर्थ में देवलगाँवराजा में नेमिनाथ भगवान खंडित हो गए थे। वहाँ श्रावकों ने 10 दिन तक घी शक्कर में उन्हें रखा और णमोकार मंत्र का पाठ भी किया लेकिन भगवान नहीं जुड़ें।
फिर वहाँ के बड़े बूढ़े लोगों ने कहा कि कोई महाव्रती आचार्यों के हाथ से ही अपने भगवान जुड़ेंगे। फिर समाज के लोग भगवान को संदूक में रखकर आचार्य श्री गुप्तिनंदी जी गुरूदेव के पास लेकर आये।
वह मूर्ति आचार्य श्री के आदेश द्वारा धर्मतीर्थ पर ही घी के संदूक में रखकर उसके सामने मंत्र और अनुष्ठान किया गया। इस अनुष्ठान के बाद जब उस संदूक को जब शनिवार को खोला तो भगवान ने अपने अखंडित रूप(पूर्ण रुप) में दर्शन दिए। पूरी समाज में हर्षोल्लास छा गया। शनिवार को प्रतिमा जी प्रागट्य महोत्सव मनाया गया।।