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सप्तम पट्टाचार्य ज्ञेयसागर का मुरैना में मंगल प्रवेश: मुनिश्री को भव्य शोभायात्रा के साथ जैन मंदिर में लाया गया


सारांश

मुरैना में सप्तम पट्टाचार्य श्री ज्ञेयसागर जी महाराज ने मंगल प्रवेश किया तो ढोल नगाड़ों से उनका स्वागत किया गया। आचार्य संघ का पाद प्रक्षालन एवं आरती की गई। आर्यिका स्वस्तिभूषण माताजी ने नसियां जी मन्दिर के दर्शन किए। पढ़िए मनोज नायक द्वारा लिखित खबर।


 

मुरैना। परम पूज्य षष्ट पट्टाचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज के परम शिष्य आचार्य श्री ज्ञेयसागर जी महाराज एवं मुनिश्री ज्ञातसागर जी महाराज ने ज्ञानतीर्थ से पद विहार करते हुए बड़े जैन मंदिर मुरैना में मंगल पदार्पण किया। मुरैना जैन समाज के साधर्मी बन्धुओं ने के एस मिल वैरियर चौराहे पर पहुंचकर आचार्य संघ की अगवानी की।

वैरियर चौराहे से ढोल नगाड़ों के साथ मुनिश्री को भव्य शोभायात्रा के साथ जैन मंदिर में लाया गया। शोभायात्रा में जगह- जगह आचार्य संघ का पाद प्रक्षालन एवं आरती की गई। मंगल प्रवेश शोभायात्रा में युवा साथी हाथों में पँचरंगे ध्वज लेकर जिनेन्द्र प्रभु की जय- जय कार कर रहे थे।

पूज्य गणिनी आर्यिका स्वस्तिभूषण माताजी ने पूज्य आचार्य संघ की अगवानी की। जैन मंदिर प्रवेश द्वार पर सौभाग्यवती महिलाओं एवं गणमान्य साधर्मी बन्धुओं ने आचार्य संघ का पाद प्रक्षालन एवं आरती कर अगवानी की।

पूज्य गणिनी आर्यिका स्वस्तिभूषण माताजी ने सोमवार को गोविंद गौशाला का निरीक्षण किया। गौशाला पहुंचने पर वहां के पदाधिकारियों ने पूज्य आर्यिका संघ की अगवानी की। गौशाला पदाधिकारियों ने गौशाला के इतिहास से माताजी को अवगत कराया। इस अवसर पर स्वस्तिधाम जहाजपुर ट्रस्ट की ओर से गौशाला को ग्यारह हजार रुपये की सहयोग राशि प्रदान की गई।

मानव शरीर के लिए पुण्य आवश्यकः आर्यिका स्वस्तिभूषण
प्रातःकालीन वेला में आर्यिका संघ श्री महावीर दिगम्बर जैन नसियां जी मन्दिर पहुंचा। नसियां जी मन्दिर में पूज्य आर्यिका संघ ने श्री पार्श्वनाथ भगवान एवं श्री नन्दीश्वर द्वीप जिन मन्दिर के दर्शन किये। इस अवसर पर आर्यिका माताजी ने उपदेश देते हुए कहा कि मानव जीवन पुण्यशाली जीवों को ही प्राप्त होता है।

मानव शरीर को प्राप्त करने के लिए पुण्य का होना आवश्यक है। पूज्य आर्यिका संघ ने सभी भक्तों को आशीर्वाद प्रदान किया

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