टीले से निकली भगवान महावीर की मूंगावर्णी अतिशयकारी प्रतिमा का जयकारों के बीच 600 से अधिक श्रद्धालुओं ने किया महामस्तकाभिषेक
जयपुर/ श्री महावीरजी – चांदनपुर वाले बाबा के नाम से पूरे विश्व में प्रसिद्ध भूगर्भ से प्रकटित भगवान महावीर की मूंगावर्णी अतिशयकारी प्रतिमा के महामस्तकाभिषेक महोत्सव में दूसरे दिन सोमवार को 600 से ज्यादा पुण्यार्जक श्रद्धालुओं ने मंत्रोच्चार के साथ महामस्तकाभिषेक किये।
इस मौके पर मंदिर परिसर जयकारों से गुंजायमान हो उठा। महामस्तकाभिषेक महोत्सव 4 दिसंबर तक चलेगा।इस दौरान पुण्यार्जक श्रद्धालुओं एवं इन्द्र-इन्द्राणियों द्वारा 2650 कलशों से भगवान का महामस्तकाभिषेक किया जाएगा। महोत्सव समिति के अध्यक्ष सुधान्शु कासलीवाल एवं महामंत्री महेन्द्र कुमार पाटनी ने बताया कि सोमवार को आचार्य वर्धमान सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में प्रातः 8.15 बजे से हुए महामस्तकाभिषेक में नवरत्न कलश का सौभाग्य अशोक प्रताप मल बिनायक्या एवं परिवारजन को प्राप्त हुआ है।
इससे पूर्व बिन्याक्या परिवार भगवान महावीर स्वामी की भूगर्भ से प्रकटित मूंगावर्णी मूलनायक प्रतिमा का महामस्तकाभिषेक करने हेतु नाचते गाते शुद्ध पीत वस्त्र धारण कर बैण्ड बाजों के साथ विशाल जुलूस के रूप में मुख्य मंदिर पहुंचे।
इस मौके पर पूरा मंदिर परिसर भक्तिमय हो गया। गौरवाध्यक्ष एन के सेठी एवं उपाध्यक्ष सी पी जैन के मुताबिक दिव्य कलश का सौभाग्य डॉ एस के जैन, डॉ श्रेयांस जैन परिवार को मिला।ज्योति कलश का पुण्यार्जन संजय जैन बीड़ी वाले, पन्ना लाल सरावगी,मंयक जैन अनुपम जैन परिवार को मिला।
तत्पश्चात् ईशान इन्द्र राजेश -विमला शाह उदयपुर,सनत कुमार इन्द्र पवन -प्रीति गोधा दिल्ली सहित समाजश्रेष्ठी देवेन्द्र अजमेरा,संजय पाण्डया जयपुर आदि पुण्यार्जक परिवारों सहित लगभग 300कलश 600 श्रद्धालुओं द्वारा दूसरे दिन किये गये।
महोत्सव समिति के कोषाध्यक्ष उमरावमल संघी मंत्रोच्चार के साथ विश्व में सुख शांति और समृद्धि की कामना करते हुए भगवान के सिर पर शांतिधारा की गई।
महोत्सव समिति के प्रचार संयोजक विनोद जैन कोटखावदा ने बताया कि सोमवार,28नवम्बर को प्रातः 8.15 बजे से सायं 4.15 बजे तक भगवान का महामस्तकाभिषेक हुआ। 4 दिसम्बर तक प्रतिदिन प्रातः 8.15 बजे से सायं 4.15 बजे तक महामस्तकाभिषेक होगा।
श्री जैन के मुताबिक रविवार से दर्शनार्थियों के लिए मंदिर दर्शन प्रातः 5.00 बजे से 7.00 बजे तक तथा सायंकाल 6.00 बजे से रात्रि 9.30 बजे तक हो सकेंगे। मंदिर के नीचे स्थापित ध्यान केन्द्र की प्रतिमाओं के दर्शन प्रातः 8.00 बजे से रात्रि 9.00 बजे तक हो सकेंगे। महोत्सव के दौरान जयपुर, इन्दौर, उदयपुर,सीकर,लाडनूं, गुवाहाटी, इम्फाल,चैन्नई, हैदराबाद, बैंगलोर, दिल्ली,कोलकाता,आगरा, सहित सहित पूरे विश्व से लाखों श्रद्धालुओं की सहभागिता होगी।