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धनबाद से निकली सम्मेद शिखर के लिए एक सार्थक पहल: हमें पर्वत नहीं, पर्वत की पवित्र परिक्रमा चाहिए – अनिल कुमार


सारांश
श्रीफल जैन न्यूज़ लगातार कह रहा है कि सोशल मीडिया पर जैन और आदिवासियों में वैमनस्य की नहीं, सद्भाव की बात कीजिए । मिसाल देखिए, झारखंड के धनबाद से अनिल कुमार, सकल जैन समाज की भावना को इस रूप में संवार रहे हैं कि आदिवासी भी उनकी पहल के कायल हो जाएंगे । पढ़िए विस्तार से…

 


मूलवासी आदिवासी हैं और उन्हें साथ में लेकर कैसे हम सम्मेद शिखर को परम पवित्र धार्मिक तीर्थ बनाए रख सकते हैं ? आदिवासी-जैन समुदाय के बीच वैमनस्य की भावना न आए, ऐसा क्या किया जाए …इन सवालों पर चिंतन-मनन तो सब करते हैं

लेकिन धनबाद के अनिल कुमार ने 14-15 जनवरी को आदिवासी समुदाय को जोड़ने की अनूठी पहल शुरु की है वो ही कहीं और से नहीं बल्कि हमारे प्यारे, पवित्र पारसनाथ क्षेत्र से…पढ़िए क्या लिखा है उन्होनें अपने सोशल मीडिया मैसेज में…


साधर्मी जैन बंधुओ,
सादर जय जिनेन्द्र,
जोहार,

विषय: सरकार से लड़कर श्री सम्मेद शिखर जी को पर्यटक क्षेत्र घोषित करने की घोषणा रोकने के बाद कुछ पत्रकारों और राजनेताओं के चेहरा चमकाने और वोट बैंक साधने की कुटिल चाल से जैन समाज और मूलवासी आदिवासी समुदाय आमने सामने लड़ने को तैयार हो गए हैं।

हमारी लड़ाई सरकार की गलत नीतियों से हैं। किसी अन्य समुदाय, समाज से नहीं है। ये साबित करने के लिए आगामी 14,15 जनवरी को सभी प्रमुख जैन समाज के लोग मधुबन पारसनाथ पहुंचे ।

साथियों,
“मेरी ये पोस्ट हर वो जैनी पूरा पढ़ें जो श्री सम्मेद शिखर जी पर आस्था विश्वास रखते हैं। जो पारसनाथ पर्वत पर नए विवाद का शांति पूर्ण समाधान के साथ जैन धर्म की आस्था की विजय भी चाहते हैं । मैं अनिल कुमार जैन, आदिवासी महाजूटान के समय मधुबन पारसनाथ में था । मैंने कई चीजें महसूस की । उसकी जानकारी आप सभी को देना चाहता हूं ।

श्री सम्मेद शिखर को अगर परम पवित्र धार्मिक तीर्थ क्षेत्र के रूप मे स्थापित करना चाहते हैं तो काम पारसनाथ मधुबन की धरती पर आकर स्थानीय लोगों का दिल जीतना होगा ।

उनकी गलतफहमियां दूर करनी होगी। ये काम दिल्ली, मुंबई कोलकाता में रैली करके, प्रेस मिडिया को इंटरव्यू देकर नहीं होगा । महाजुटान के दिन जैन समाज की एक कमिया मुझे दिखी हैं ।

1. अपना जो भी press,media हैं वो आराम पसन्द है । हमारे जितने भी news channel हैं वो पैसे को अहमियत दे रहे हैं। किसी भी news channel ने पारसनाथ मधुबन पर जबरदस्त कवरेज नहीं किया है।

2. हमारे जैन समाज के नेताओं को फोटो बाजी और मिडिया के सामने अपनी छवि चमकाने से फुरसत नहीं है। वे लोग मधुबन की जमीनी सच्चाई से बहुत दूर है।

3. महाजुटान में जितने भी प्रेस मिडिया के पत्रकार भाई बहन थे वे आदिवासी नेताओं की बोली बोल रहे थे। कोई भी निष्पक्ष पत्रकार बनकर लोगों से सही सवाल नही कर रहे थे। पूरा माहौल anti jain बनाने की पुरजोर कोशिश की गईं। काश हमारे जैन channel वहा रहते और निष्पक्ष कवरेज करते सही सवाल करते।

4. बाहर से जो भी आदिवासी समुदाय के लोग आए उन्होंने माहौल ऐसा बना दिया की स्थानीय आदिवासी समुदाय जो जैन समाज के साथ हैं। वो भी हमारे खिलाफ़ बयान देने लगा।

5. कुल मिला कर हमारी उपस्थिति मधुबन में शुन्य हैं।हमारी भावनाओं को समझाने वाला कोई नहीं था । अगर ऐसा ज्यादा दिन चला तो पारसनाथ मधुबन तीर्थ क्षेत्र हमारे हाथों से निकल जाएगा। ये जानकारी नहीं सच्चाई है ।

अब सुधार करने के लिए हम जैनियों को क्या करना चाहिए,ये जानिए

1. 14-15 जनवरी को पारसनाथ मधुबन में हजारों की संख्या में श्रद्धालु आदिवासी समुदाय, मूलवासी समुदाय के लोग आएंगे।

2. उस दिन हमें उनसे संवाद स्थापित करना है । उनकी गलतफहमियां दूर करनी है। उन्हे बताया जा रहा है कि जैन समाज पुरे पर्वत पर कब्जा कर लेगा। उन्हे पर्वत पर चढ़ने नहीं दिया जाएगा । सभी आदिवासियों को पारसनाथ छोड़कर पलायन करना होगा इत्यादि ।

3. जोशी मठ उत्तराखंड में पर्यटन संबंधी जबरदस्त तोड़ फोड़ से पूरा शहर ही बर्बाद हो गया है। सबके घर बार टूट गए हैं ।
हम जैनी भी नहीं चाहते हैं कि वैसा कोई हादसा पारसनाथ मे हो इसीलिए पूरा जैन समाज पारसनाथ को पर्यटन क्षेत्र घोषित होने के विरोध मे एकजुट हुआ। वहा पर्वत पर ज्यादा निर्माण कार्य नहीं होना चाहिए। भूधसान, जमीन फटना इत्यादि घटना नहीं हो।

4. जैन समाज और आदिवासी समुदाय दोनो प्रकृति की पूजा करते हैं । दोनों इस बात पर एक राजी हैं की पर्वत पर कम से कम सीमेंट कंक्रीट का निर्माण किया जाएं । जहां बहुत ज्यादा जरूरी हो, वहीं किया जाएं ।

5.14,15 जनवरी को बहुत सारे जैन मीडिया, पत्रकार, चैनल वाले मधुबन आए। सही निष्पक्ष पत्रकार बनकर लोगों को जागरूक करें। सही जानकारी दे। लोगों की मन की बात को समझे ।

सभी से निवेदन अनुरोध करना चाहते हैं कि। 14/15 जनवरी को जैन समाज मधुबन में उपस्थित हो । गुड़, तिलकुट, दही चूड़ा का स्टॉल लगाए । सभी आने वाले लोगों का स्वागत करें । माइक लगाकर उन्हें अपनी भावनाओं से अवगत करवाया जाए ।

जैन समाज की तरफ़ से एक हैंड बिल छपवाया जाए । जिसमे ऊपर लिखी अन्य बातों के अलावा ये स्पष्ट रूप से लिखा हों ।

जैन समाज को पर्वत नही पारसनाथ पर्वत की पवित्रता चाहिए, वहां शुद्धता चाहिए, गंदगी, दूषित पर्यावरण नहीं चाहिए उसे आने वाले लोगों को दिया जाए । ताकि वो कागज वे अपने घरों तक ले जाएं ।

मेरा मानना है कि जैसे सिख समुदाय के लोग कार सेवा करते हैं । वैसे ही जैन समाज को भी उस दिन मधुबन में कार सेवा करना चाहिए । जो लोग भी 14,15 जनवरी पर पारसनाथ पर्वत मधुबन आयेंगे। अन्य समुदाय जो दुष्प्रचार कर रहे हैं, उनको पूरा मौका मिलेगा भोले भाले आदिवासी समुदाय को बरगलाने का …।

हम लोग अगर आगे बढ़ कर सही जानकारी नहीं देंगे तो उन लोगों के दुष्प्रचार को वो सही मान लेंगे । सारे भारत में हमारे खिलाफ़ माहौल बन जाएगा ।

जैन समाज को अभी नहीं तो कभी नहीं कि तर्ज पर इस मौके का सदुपयोग करना चाहिए । कही ऐसा नहीं हो की कहना पड़े। अब पछतायत होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत

उम्मीद ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि पूरा जैन समाज एकजुट होकर मकर संक्रांति पर्व के पावन पर्व पर एक अच्छी पहल करेगा ।

आदिवासी मूलवासी समुदाय का दिल जीतकर पारसनाथ मधुबन को परम पवित्र धार्मिक स्थल घोषित करने की दिशा में अग्रसर होगा ।

आपका अपना साथी
अनिल कुमार जैन
धनबाद झारखंड

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