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खेत में मिली प्राचीन जैन तीर्थंकर की मूर्ति

कन्नूर।   कन्नूर स्थित मलूर गांव के एक खेत में एक प्राचीन जैन तीर्थंकर की मूर्ति मिली है। यह मूर्ति विजयादशमी के दिन खेत में खुदाई के दौरान मिली थी। बताया जा रहा है कि गांव में एक मडीवाला मंजप्पा की भूमि थी। जब वह खेत को जुताई के लिए समतल कर रहा था, तभी उसका हल किसी चीज से टकराया। उसने सावधानीपूर्वक मिट्टी को अलग किया और मूर्ति साबुत निकाल ली। मूर्ति के साथ कुछ बड़ी-बड़ी जली हुई ईंटें भी मिली हैं। ये ईंटें जैन बसदी की उपस्थिति का संकेत देती हैं। मूर्ति में पर्यंकासन में मध्यमा में तीर्थंकर भगवान बैठे हुए हैं।

मूर्ति के ऊपर बहुत बारीक नक्काशी की गई है। ऊपर प्रभावली में दाखलताओं की छवि बनी हुई है। पास में फलों का एक गुच्छा लटका हुआ है। नक्काशी में फल खाने वाले बंदर भी शामिल किए गए हैं। मूर्ति की लंबाई-चौड़ाई चार गुना चार है। जिस स्थान पर मूर्ति मिली है, उसके पास चिकन सारा नामक खेत है। कहते हैं कि चिक्का अधाना नाम का एक व्यक्ति यहां शासन करता था। माना जा रहा है कि यह भगवान महावीर की मूर्ति है क्योंकि मूर्ति के नीचे शेरों के चित्र हैं। इतिहासकारों का भी यही कहना है कि यह तीर्थंकर की मूर्ति है।

मूर्ति की शिल्पकला 11वां या दूसरी शताब्दी की है। इनका केवल ऊपरी हिस्सा टूटा हुआ है। केंद्रीय तीर्थंकर ने अपने मूल स्वरूप को बरकरार रखा है। स्थानीय जानकार रमेश हिरेजाम्बुर का कहना है कि वह स्थान, जहां मूर्ति पाई गई है, वह प्राचीन राज्य की राजधानी के रूप में मरदा बल्लीगवी के अधिकार क्षेत्र में आती है। व्यापक इतिहास की तस्वीर केवल बल्लीगवी गांव तक ही सीमित नहीं है। मलूर गांव के इतिहास को सामने लाने के लिए काफी काम करना होगा। मूर्ति प्राप्त करने के बाद मंजप्पा ने धर्मस्थल के धर्माधिकारी डॉ. वीरेंद्र हेगड़े को भी इसकी तस्वीर दिखाई थी।

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