12 दिवसीय श्री समयसार प्रशिक्षण शिविर का चतुर्थ सोपान
ललितपुर.राजीव सिंघई। श्री अभिनन्दनोदय तीर्थ में भक्तों को संबोधित करते हुए निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव सुधासागर महाराज ने कहा है कि प्रत्येक वस्तु का अपना गुणधर्म है, अपना स्वभाव है। जैसे नमक का स्वभाव खारापन, पानी का स्वभाव शीतलता है, उसी प्रकार कुत्ते की टेढ़ी पूंछ ही उसका स्वभाव है। व्यक्ति सांप को देखता है तो काल नजर आता है क्योंकि उसमें जहर है। और अगर सांप से पूंछो तो वह कहेगा मेरे पास जहर है, यही मेरी जिन्दगी है, जहर ही उसका रक्षक है। हम सांप को सांप की दृष्टि से नहीं देख रहे, हम उसे अपनी दृष्टि से देख रहे हैं। हम अपना नफा नुकसान देखते हैं, इसलिए प्रत्येक वस्तु को अपने नजरिये से देखते हें।
मुनिश्री ने आगे कहा कि दुनिया में दो दृष्टिकोण होते हैं- एक दुश्मन का और दूसरा उपकारी का। दुश्मन का दृष्टिकोण यह होता है कि वह सामने वाले वयक्ति को कुछ अच्छा देना नहीं चाहता क्योंकि अगर हम इसको कुछ अच्छी वस्तु, अच्छी बातें या अच्छा रास्ता बता देंगे तो ये सुखी हो जायेगा क्योंकि वह सामने वालों को सुखी देखना ही नहीं चाहता। बुरा दृष्टिकोण वाला सामने वाले की भलाई कर ही नहीं सकता। उन्होंने कहा कि सब लोग अपने गिरेवान में झांके कि सामने वाले के प्रति तुम्हारा कैसा नजरिया है। क्या तुम सामने वाले को सुखी देखना पसंद करते हो या उसकी बर्बादी के लिए भगवान से दुआएं मांगते हो।
उन्होंने कहा कि महावीर की वाणी है कि तुम सामने वाले को दुखी करने का भाव क्यों करते हो क्योंकि व्यक्ति का जब भी बुरा होगा, उसके अपने कर्मों के द्वारा होगा। तुम क्यों उसके बारे में बुरा सोचकर पाप कमा रहे हो। दूसरा दृष्टिकोण होता है मित्रवत- जो परम उपकारी हैं व्यक्ति वस्तु मांग रहा, पर वो नहीं दे रहा क्योंकि उस वस्तु के देने से उसका अहित हो सकता है, मांगने पर भी नहीं दे रहा। जैसे बेटा मांग रहा और मां नहीं दे रही क्योंकि देने से बच्चे का अहित हो सकता है। समझ लेना वह परम उपकारी है, हितेषी है। मां को मालुम है इसलिए वह बच्चे को भी अच्छी वस्तु को देने से इंकार कर देती है। यह है परम उपकारी का दृष्टिकोण। बेटा प्राणों से प्यारा है, फिर भी वस्तु देने से इंकार कर रही है। उन्होंने कहा कि वैद्य जहर भी देगा तो तम्हें निरोग करने के लिए देगा, वह जहर भी अमृत बन जाता है और दुश्मन के हाथ का अमृत भी विष का काम करता है। उन्होंने कहा कि वैद्य हमारा अहित नहीं कर सकता और दुश्मन कभी अच्छा नहीं सोच सकता। प्रभु श्री राम के जीवन का बहुत सुन्दर प्रसंग सुनाते हुए मुनि श्री ने कहा कि जब लक्ष्मन जी को शक्ति लग गई और उपचार बताया गया तो दुश्मन पक्ष के वैद्य को लंका से बुलाया गया। प्रभु राम ने कहा कि भले ही वैद्य लंका से आया हो, पर मुझे विश्वास है कि वैद्य किसी पक्ष का नहीं होता। वैद्य तो रोग का उपचार करता है। वैद्य कभी भी अहित नहीं करता। रावण पक्ष का वैद्य होने पर भी संदेह नहीं किया।
गुरुवार को निर्यापक मुनि श्री सुधासागर महाराज को पडगाहन एवं आहारदान का सौभाग्य राकेश जैन जिजयावन परिवार एवं मुनि पूज्यसागर महाराज पडगाहन एवं आहार का सौभाग्य अनिल खिरिया परिवार को, ऐलक धैर्य सागर को पडगाहन व आहार सुबोध मडावरा परिवार एवं क्षुल्लक गम्भीर सागर को पडगाहन व आहार का सौभाग्य किरन प्रकाश शास्त्री कोटा वालों को क्षेत्रपाल मंदिर धर्मशाला में प्राप्त हुआ।
संत सुधासागर बालिका महाविद्यालय एवं छात्रावास सांगानेर जयपुर एवं श्रमण संस्कृति संस्थान के छात्र- छात्राओं का 12 दिवसीय श्री समयसार प्रशिक्षण शिविर के चतुर्थ सोपान में सुबह एव दोपहर में प्रशिक्षण शिविर मुनि सुधासागर महाराज, पूज्य सागर महाराज के मुखारविन्द से चल रहा है जिसमें सैकड़ों छात्र छात्रायें एवं धर्मप्रेमी लोग धर्मलाभ ले रहे हैं और समयसार के महत्व का बारीकी से अध्ययन कर रहे हैं। आज मुनिश्री के मुखारविन्द से हुई शान्तिधारा का सौभाग्य सुरेन्द्र कुमार अभिनंदन एवं हेमंत जैन रमेश जैन दीपक बुखारिया परिवार को प्राप्त हुआ। इसकी व्यवस्थाओं में ब्र. मनोज भैया, ब्र. सविता दीदी, अनीता मोदी सहित महिला मंडल का सक्रिय योगदान मिल रहा है। आयोजन की व्यवस्थाओं में जैन पंचायत अध्यक्ष अनिल अंचल, मंदिर प्रबंधक राजेन्द्र थनवारा, मोदी पंकज जैन पार्षद संजीव ममता स्पेार्ट, जिनेन्द्र डिस्को, आलोक
मोदी, सत्येन्द्र गदयाना निरन्तर संलग्न हैं।