समाचार

टाइम को मैनेज किया तो आपकी लाइफ का मैनेजमेंट सुधरेगा: श्री 108 आदित्यसागर जी महाराज: कोटा में धर्म सभा में दिया मुनिश्री ने प्रबोधन


श्रुत संवेगी श्रमण श्री आदित्यसागर जी महाराज ने राजस्थान कोटा में अपने प्रवचन में कहा कि टाइम मैनेजमेंट आपकी लाइफ का मैनेजमेंट है। इस प्रवचन में बड़ी संख्या में जिन समाज जन मौजूद थे। पढ़िए इंदौर से राजेश जैन दद्दू की खबर…


इंदौर। जयदु जिणिंदो महावीरों। श्रुत संवेगी श्रमण श्री आदित्यसागर जी महाराज ने कोटा (राजस्थान)में अपने प्रवचन में कहा कि टाइम मैनेजमेंट आपकी लाइफ का मैनेजमेंट है। आप श्रावकों की जिंदगी का वक्त बिखरा हुआ पडा है। न धागे से संभल पा रहे हैं, ना ईंटों से इतना बिखरा पड़ा है। क्योंकि, टाइम मैनेजमेंट ही नहीं है। कोई काम आपके पास आया कर लेंगे, हो जाएगा। स्लीपिंग मैनेजमेंट नहीं है।

मोबाइल ने छीन लिया समय

मोबाइल पर लगे हुए हैं। अंगुलियां घिस गई लोगों की, अंगुलियों में सेन्स खत्म हो गया है। फिर भी घिसे जा रहे है। रात के दो बज गए हैं, फिर भी घिसे ही रहे हैं। कोई लाइफ मैनेजमेंट ही नहीं बचा है। कोई टाइम मैनेजमेंट ही नहीं बचा है। दो बजे सो रहे हैं। तीन बजे सो रहे हैं, कई तो ऐसे हैं पांच बजे सो रहे हैं। हे,भगवान थोडी बुद्धि दो इन लोगों को।

जो समय को साध लेते हैं वहीं ऊंचाइयां छूते हैं

समय निकलने के बाद सिर्फ पछतावा होता है ध्यान रखना। जितना समय दूसरों के लिए दिया है,उतना समय खुद के लिए देते तो ऊंचाइयां पा लेते। कोई बात नहीं दे दिया तो दे दिया। अब जो टाइम बचा है। उसे तो रखिए अपने पास। खुद को समय दीजिए और ऊंचाइयां पा लिजिए।

उच्च शिक्षा और संपन्नता त्याग बने ‘आदित्य’

आध्यात्म योगी, चर्या शिरोमणि, दिगंबराचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज जी के शिष्य श्रमण मुनि श्री आदित्य सागर जी महाराज जिन्होने MBA (Gold Medalist) और BBA जैसी शैक्षणिक योग्यता, संपन्न एवं समृद्ध परिवार, स्वर्ण-आभूषणों के प्रतिष्ठित व्यापार और सुकुमारिता से भरे भविष्य की कामनाओं को एक पल में किसी तृण के समान छोड़ देने का साहस किया।

जिनका स्पर्श मणि के समान

‘विशुद्ध-सागर’ में ऐसी डुबकी लगाई कि सागर के अंदर जो गया वह थे “सन्मति”पर जो बाहर आए वह थे ‘आदित्य’| जिन्होंने अनेकों को सत्य पथ दिखाया है। श्रुत संवेगी श्रमण श्रीआदित्यसागर जी महाराज धरातल पर प्रत्यक्ष दर्शन देने वाली उन भव्य आत्माओं में से एक हैं। जिनका सान्निध्य, पारस मणि के स्पर्श के समान है। ‘नमोस्तु शासन जयवंत हो।’

आप को यह कंटेंट कैसा लगा अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे।
+1
1
+1
1
+1
0

About the author

Shreephal Jain News

Add Comment

Click here to post a comment

You cannot copy content of this page

× श्रीफल ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें