मजबूरी में नहीं, मजबूती से करें धर्म
न्यूज सौजन्य- कुणाल जैन
प्रतापगढ़। आचार्य सुन्दर सागर जी महाराज ने भक्तजनों और श्रद्दालुओं को सम्बोधित करते हुए कहा है कि आज का दिन बड़ा ही पावन दिवस है जो आपको भगवान महावीर का वीतराग शासन प्राप्त हुआ है। इस शासन में अमीर हो या गरीब, छोटा हो या बड़ा, बच्चे हों या वृद्ध, सभी को एक भगवान आत्मा बनना सिखाता है। इस शासन में जो आनंद, जो विशुद्धि मिलती है, वह किसी शासन में नहीं मिलती है। यदि इच्छा दुखों से छूटने की है, तभी समयसार की वाणी काम की है।
कहा कि, हम सब मजबूरी में धर्म करते हैं, जिस दिन मजबूती से धर्म कर लिया, उसी दिन तर जाएंगे। अपना समय चर्चा में नहीं, चर्या में लगाएं। चर्चा से आजतक किसी को कुछ नहीं मिला। जो चर्या और फिर चर्चा करेगा, उसका कल्याण निश्चित है। उन्होंने उदाहरण दिया कि गुलाब जामुन बनते देखने, छूने से उसका स्वाद नहीं आता है। स्वाद तो खाने से आता है। आनंद और तृप्ति आएगी। जैन शासन देखा-देखी का शासन नहीं है। हमारा धर्म तो समझदारी, श्रद्धा और ज्ञान का धर्म है। जो आत्मा की चर्या करते हैं, उनके पास जाओगे तो आनंद ले पाओगे। राग-द्वैषी के पास जाओगे और वहां समयसार, शास्त्र की चर्चा करोगे तो कल्याण सम्भव नहीं क्योंकि बीमारी का इलाज चिकित्सक ही कर सकता है।
महाराज जी ने कहा कि कर्म करना आपके हाथ में है। फल क्या होगा, यह आपके हाथ में नहीं है। काय, वचन और कर्म से जैसा कर्म करते हो, वैसा ही मिलेगा। कर्म का दोषारोपण भगवान के ऊपर क्यों। आप अपने भाग्य विधाता है, यह मानकर चलेंगे तभी कल्याण है।