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श्रीफल खास श्रीफल जैन न्यूज पर जानें पूजन और निर्वाण लड्डू चढ़ाने की समस्त विधि : कैसे करें पूजन, कैसे चढ़ाएं निर्वाण लड्डू


जैन समाज में दिवाली एक धार्मिक, सामाजिक और आध्यात्मिक पर्व है, जो न केवल भगवान महावीर के निर्वाण की स्मृति में मनाया जाता है, बल्कि आत्म-ज्ञान और समाज सेवा का भी प्रतीक है। इस पर्व के माध्यम से जैन अनुयायी अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करते हैं। पढ़िए संपादक रेखा संजय जैन की  विशेष रिपोर्ट…


इंदौर। भगवान महावीर का 2550 निर्वाण महोत्सव समग्र जैन समाज मनाएगा। सभी अपने सामर्थ्य के अनुसार पूजन कर निर्वाण लड्डू चढ़ाएंगे। श्रीफल जैन न्यूज दिवाली के दिन होने वाली पूजन की विधि लेकर आया है। आइए जानते हैं कैसे पूजन, निर्वाण लड्डू आदि करके दिवाली मनाएं।


पूजन की विधि:

1. ब्रह्म मुहूर्त में सबसे पहले उठें और स्नान करें।

2. फिर घर से मंदिर के लिए निकलें।

3. मंदिर में प्रवेश करते समय पैर धोएं और घंडी बजाएं।

4. वेदी की तीन परिक्रमा लगाएं। परिक्रमा करते समय प्राचीन पाठ में से कोई एक पाठ बोल सकते हैं।

5. भगवान के सामने  णमोकार मंत्र बोलकर हाथ में जो सामग्री है, वह चढ़ाएं। मूलनायक भगवान को अर्घ्य चढ़ाए या  पंच परमेष्ठि के पांच पुंज  चढ़ाएं।

6. इसके बाद भगवान को पंचांग या अष्टांग नमस्कार करें।

7. मंदिर में विराजमान मां जिनवाणी और गुरु विराजमान है तो उनका दर्शन करे उनको अर्घ्य  चढ़ाएं ।



पूजन के लिए आवश्यक सामग्री:

1. अष्ट द्रव्य

2. दो थाली

3. तीन लोटे

4. एक छोटी प्लेट

5. ठोना



पूजन विधि:

1. एक थाली में अष्ट द्रव्य को क्रम से रखें और दूसरी थाली में मंत्र बोलकर द्रव्य चढ़ाएं।

2. एक लोटे में जल, एक में चंदन और तीसरा जल,चंदन चढ़ाने के काम आएगा ।

3. ठोने में स्थापना करें और छोटी प्लेट से द्रव्य चढ़ाएं।



अष्ट द्रव्य:

1. जल

2. चंदन

3. अक्षत

4. पुष्प

5. नैवेद्य

6. दीप

7. धूप

8. फल

9. अर्घ्य

इन द्रव्यों को प्रासुक जल से धोकर एक थाली में क्रम से रखें:



-पहले जल का लोटा

-दूसरे पर चंदन का लोटा

-तीसरे पर अक्षत

-चौथे पर पुष्प

-पांचवे पर नैवेद्य

-छठे पर दीप

-सातवें पर धूप

-आठवें पर फल

– नवें स्थान पर अर्घ्य



दूसरी थाली में  केसर या चंदन से स्वस्तिक बनाएं और उसी पर पूजन का द्रव्य मंत्र बोल कर चढ़ाएं  और ठोने पर स्वस्तिक बनाकर  भगवान की पूजन की स्थापना करें।


पूजन प्रक्रिया:

मंदिर में निर्वाण लड्डू चढ़ाने से पहले देव, शास्त्र, गुरु या नव देवता की पूजा करें।

भगवान महावीर की पूजा के साथ मूलनायक की पूजा भी करें और महार्घ्य चढ़ाएं।


निर्वाण लड्डू:

बूंदी का लड्डू बनाकर उसमें ऊपर दीपक और कर्पूर रखें, साथ में अर्घ्य रखकर पहले निर्वाण काण्ड बोलें। फिर भगवान महावीर के निर्वाण कल्याण का अर्घ्य बोलते हुए निर्वाण लड्डू चढ़ाएं। प्राचीन परंपरा यही है, हालांकि पंथ के नाम पर अन्य प्रकार के लड्डू भी बनने लगे हैं। जहां जैसी मंदिर की परंपरा हो, वैसा ही करें।


 

इसके अलावा महावीर अष्टक, चालीसा आदि का पाठ भी कर सकते हैं।

 

नोट: पूजन, निर्वाण काण्ड आदि मंदिर में विराजमान जिनवाणी में उपलब्ध हैं।

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Rekha Jain

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