प्रियंका सेठी,किशनगढ़
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस यानी आठ मार्च को दुनिया के सभी देश, चाहे वह विकसित हों या विकासशील, महिला अधिकारों की बात करते हैं। महिलाओं और उनके आर्थिक अधिकारों के बारे में चर्चा की जाती है और औरतों के तरक्की के विविध पहलूओं पर बातें होती है।
भारत में भी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस बडे उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन महिलाओं के सम्मान में कई समारोह, कार्यक्रम आदि आयोजित किए जाते हैं। समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए महिलाओं को सम्मानित भी किया जाता है। स्त्रियों के लिए काम करने वाले संगठन इस दिन विभिन्न्न प्रकार के प्रशिक्षण शिविर और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन करते हैं। कई संस्थाओं द्वारा गरीब महिलाओं को आर्थिक मदद देने की घोषणा की जाती है।
भारत में महिलओं के मौलिक अधिकारों में मतदान का अधिकार तो है, शिक्षा का अधिकार भी प्राप्त है, लेकिन अभी भी स्त्रियां अभावों में जीवन बिता रही है, हालांकि धीरे-धीरे हालात बदल रहे हैं। आज कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जो महिलाओं से अछूता हो। इंजीनियरिंग से मेडिकल और फिल्मों से प्रशासनिक सेवाएं सभी जगह महिलाएं पुरूषों के साथ कंधा से कंधा मिला कर चल रही हैं। अब बेटे और बेटी के बीच अंतर कम हो रहा है और कुछ ही वर्गों तक सीमित रह गया है। महिलाओं के समक्ष खुला आसमान और फैली हुई धरती है, जिस पर वह अनंतकाल तक अपना परचम लहरा सकती है।
माता का हमेशा सम्मान हो।
हमारे देश में महिलाओं का हमेशा सम्मान होता रहा है। मां के रूप मंे स्त्री धरती पर अपने सबसे पवित्र रूप में मौजूद रहती है। मां को ईश्वर से भी बढ कर माना गया है, क्योंकि ईश्वर की जन्मदा़त्री भी स्त्री ही है। संस्कृत में एक श्लोक है-
यत्र पुज्यते नार्यस्तु, तत्र रमंते देवता
अर्थात जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते है। इस भावना को हमने आदिकाल से माना है लेकिन वर्तमान में नारी आगे भले ही बढती दिख रही हो, लेकिन अपमानित भी बहुत हो रही है। यह बेहद चिंताजनक विषय है, उसे भोग की वस्तु समझ कर इस्तेमाल किया जा रहा है। महिला दिवस पर एक कविता के माध्यम से मैं कुछ कहना चाहती हूं:
नारी तुम आस्था हो, प्यार हो, विश्वास हो
टूटी हुई उम्मीदों की एकमात्र आस हो
अपने परिवार के हर जीवन का तुम आधार हो
इस बेईमानी से भरी दुनिया में, तुम्ही एक मात्र प्यार हो
चलो उठो इस दुनिया में अपने अस्तित्व को सम्भालो
सिर्फ एक दिन ही नहीं बल्कि हर दिन नारी दिवस मना लो
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