इंदौर के जैन मंदिरों की पहचान देश ही नहीं विदेशों तक हैं। यहां के तीर्थ मंदिरों की कलात्मकता से आने वाला रूबरू होता ही है। जैन समाज के सबसे बड़े तीर्थ सम्मेदशिखरजी में बन रहे गुणायतन तीर्थ का 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। यह सर्वसुविधा युक्त तीर्थ होगा। इंदौर से पढ़िए …… की यह खास रिपोर्ट…
इंदौर के विश्व विख्यात तीर्थ सम्मेदशिखजी में गुणायतन तीर्थ का निर्माण चल रहा है। इसके निर्माण में गुलाबी पत्थरों को पहले लैब में टेस्ट किया जा रहा है ताकी सालों साल मंदिर का वैभव ज्यो का त्यो रहे। इसमें दावा किया जा रहा है कि लैब टेस्टिंग में पत्थर की गुणवत्ता को जांचकर लगाने से यह 1500 सालों तक नए जैसा ही रहेगा।
इंदौर के हैं 25 से अधिक दानदाता
गुणायतन तीर्थ में मप्र के 6 हजार 500 और देशभर के 19 हजार से अधिक लोग इसमें अपने स्तर पर सहयोग प्रदान कर रहे हैं। इंदौर शहर से ही 25 से अधिक दानदाताओं को परम शिरोमणि टस्टी, शिरोमणि, टस्टी और टस्टी बनाया गया है। जानकारी के अनुसार यह मंदिर मुनिश्री प्रमाण सागरजी महाराज की प्रेरणा से बनाया जारहा है।
2007 में की थी कल्पना
गुणायतन तीर्थ के बनाए जाने की कल्पना 2007 में की गई और अगले वर्ष इसका कार्य आरंभ कर दिया गया। इस मंदिर को पंचायतन शैली में बनाया जा रहा है। इस तरह का दिगंबर जैन समाज का पहला मंदिर है। शिरोमणि तीर्थ सम्मेद शिखरजी की तलहटी में इसे बनाया जा रहा है।
लाल स्टोन से बन रहा है मंदिर
राजस्थान के लाल स्टोन, जिन्हें गुलाबी पत्थर भी कहा जाता है। इसका निर्माण किया जा रहा है और इस राजस्थानी पत्थर पर ओडिसा के कारीगर शिल्पकारी कर रहे हैं। पूरे मंदिर में कहीं भी लोहा उपयोग में नहीं लाया जा रहा है। इससे 2025 में कंप्लीट कर लिया जाएगा।
इसकी खासियत यह हैः-
7 मंजिल में सहस्त्र कूट जिनालय बन रहा है।1008 अरिहंत भगवानों की प्रतिमाएं होंगी। 400 लोगों की क्षमता का प्रवचन हाल तथा 58 फ्लैट भी बनकर तैयार हो रहे हैं। इसके अलावा गुणायतन तीर्थ में थीम पार्क, 4डी ऑडिटोरियम, बनाया गया है। यहां 270 डिग्री पर विजुअल इफेक्ट के साथ 14 गुण स्थान पर बनी 108 मिनट की यात्रा ‘आत्मा से परमात्मा’ दिखाई जाएगी। इसे 144 लोग एक साथ बैठकर देख सकते हैं।
प्रभु का मोक्षगमन भी दिखाया जाएगा
यहां प्रभु का मोक्ष गमन भी देख सकते हैं। समवरण पर आधारित 16 मिनट की धार्मिक राइड भी होगी। इसे विजुअल इफेक्ट के जरिए दिखाया जाएगा। साक्षात अनुभूति के लिए इसमें दर्शक जमीन से 12 मीटर उपर आ जाएंगे। यहां पर भवसागर भी होगा। एलईडी ऑडिटोरियम में भवसागर की संपूर्ण यात्रा भी दिखाई जाएगी।
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