जैन समाज ने गणाचार्य विराज सागर की समाधि पर गहरा शोक व्यक्त किया है। समाज के लोगों ने कहा कि यह हमारा दुर्भाग्य है कि 6 माह पूर्व श्रमण संस्कृति के महामहिम आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज समाधिस्थ हुए थे इस दुख से हम सब उ बर ही नहीं पाए थे कि कल श्रमण संस्कृति के महान आचार्यों मे से एक और आचार्य श्री विराग सागर जी महाराज भी समाधिस्थ हो गए। पढ़िए यह रिपोर्ट…
इंदौर। जैन समाज ने गणाचार्य विराज सागर की समाधि पर गहरा शोक व्यक्त किया है। समाज के लोगों ने कहा कि यह हमारा दुर्भाग्य है कि 6 माह पूर्व श्रमण संस्कृति के महामहिम आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज समाधिस्थ हुए थे इस दुख से हम सब उ बर ही नहीं पाए थे कि कल श्रमण संस्कृति के महान आचार्यों
मे से एक और आचार्य श्री विराग सागर जी महाराज भी समाधिस्थ हो गए। इन दोनों महान आचार्यों का श्रमण संस्कृति के विकास में महत्वपूर्ण अवदान रहा है।
लगभग 400 से अधिक मुनि एवं आर्यिकाओं को जैनेश्वरी दीक्षा देकर श्रमण संस्कृति को गौरवांवित करने वाले आचार्य श्री विराग सागर जी महाराज
एक उत्कृष्ट क्षयोपशम धारी और वात्सल्य से भरपूर राष्ट्र संत थे। लगभग 10 वर्ष पूर्व आचार्य श्री ने इंदौर के दलाल बाग छत्रपति नगर में लगभग 70 पिच्छियों के साथ चातुर्मास किया था जिसकी स्मृतियां हम सबके हृदय एवं मस्तिष्क पटल पर आज चंदन गंध की तरह अंकित है। इस दुखद प्रसंग पर आदिनाथ दिगंबर जैन धार्मिक पारमार्थिक ट्रस्ट एवं दिगंबर जैन समाज छत्रपति नगर, अग्रसेन नगर, गौरव नगर एवं महावीर बाग दिगंबर जैन समाज की ओर से हार्दिक विनयांजलि और श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। अध्यक्ष भूपेंद्र जैन, कार्याध्यक्ष डॉ. जैनेंद्र जैन, महामंत्री विपुल बांझल एवं समस्त पदाधिकारी एवं ट्रस्टी गण, मुक्ता जैन अध्यक्ष दिगंबर जैन परवार समाज महिला मंडल, राजेश जैन दद्दू मीडिया प्रभारी ने शोक व्यक्त किया।
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