मुनिश्री सुधासागर महाराज एवं क्षुल्लक गम्भीर सागर महाराज का मंगल सानिध्य महरौनी नगर को मिला। मुनि श्री के सानिध्य में कई कार्यक्रम हुए। उनका विहार टीकमगढ़ की ओर हो गया है। पढ़िए राजीव सिंघई की रिपोर्ट…
महरौनी (ललितपुर)। चक्रवर्ती का सुख भी सीमित है परंतु वीतरागी प्रभु तो तीन लोक के नाथ हैं। त्रिलोकी प्रभु की महिमा का तो गुणगान जितना करो, उतना कम है। ऐसे तपस्वी संत साधु परमेष्ठी की महिमा बहुत ऊंची है। यह बात मुनिश्री सुधासागर महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही। मुनिश्री ने कहा कि एक फूल के मिलने पर अपने जीवन को सीमित मत कर लेना क्योंकि एक फूल के चक्कर में जीवन की ऊंचाइयों के गुलदस्ते छूट जाएंगे। जिस प्रकार इंद्र समान सुख, वैभव और परिवार को छोड़ दीक्षा लेकर मुनिराज बनते हैं तो अपने पीछे परिवार से अधिक लोग साथ चलने लगते हैं। इसलिए जीवन को इतना सीमित मत करना, उस एक फूल पर मत रुकना। पूज्य गुरुदेव निर्यापक श्रमण श्री सुधासागर जी महाराज ने गुरु मंत्र दिया कि जितना त्यागते जाओगे छोड़ते जाओगे, उतना अधिक ऊंचे उठते जाओगे, इसलिए आगे बढ़ने में लाभ ही है।
मंगल सानिध्य में हुई कई कार्यक्रम
मुनिश्री सुधासागर महाराज एवं क्षुल्लक गम्भीर सागर महाराज का मंगल सानिध्य महरौनी नगर को मिला। मुनि संघ के सानिध्य में भव्य पंचकल्याणक महोत्सव एवं चौबीस समवशरण विधान यशोदय तीर्थ पर हुआ। मुनिश्री की प्रेरणा और आशीर्वाद से श्री अजितनाथ बड़ा जैन मंदिर का पुननिर्माण की आधारशिला रखी गयी और भव्य पाषाण मंदिर, जिसमें मूलनायक अजितनाथ भगवान की वेदी सहित 14 वेदी निर्माण हैं, का शिलान्यास मुनिश्री सुधासागर महाराज के सानिध्य में संपन्न हुआ। सभी धार्मिक क्रियाएं ब्रह्मचारी प्रदीप भैया सुयश द्वारा संपन्न कराई गईं। भव्य पाषाण मंदिर के शिलान्यास का सौभाग्य अजित खंजाची सहित 16 वेदी पुण्यार्जक परिवारों को प्राप्त हुआ।
हुआ मंगल विहार
दोपहर में मुनिपुंगव सुधासागर महाराज का मंगल विहार टीकमगढ़ की ओर हुआ। भक्तजनों ने नम आंखों से मुनिसंघ को मंगल विदाई दी। श्रावकजन मुनिश्री सुधासागर महाराज के सानिध्य को पाकर अपने आपको धन्य मान रहे और दिगम्बर जैन पंचायत कमेटी, यशोदय तीर्थ कमेटी, निर्वतमान नगर पंचायत अध्यक्ष कृष्णा सिंह और बड़ोनिया एजुकेशन के डायरेक्टर दुष्यंत बडौनिया, टीकमगढ़ जैन समाज के राजेंद्र चौधरी राजा कारी, ललितपुर से डॉ. राजीव जैन, अशोक शाह ने मुनि श्री सुधासागर महाराज को श्रीफल अर्पित कर आशीर्वाद लिया। मुनिश्री सुधासागर महाराज को आहार देने का सौभाग्य अजित खंजाची और क्षुल्लक गम्भीर सागर महाराज को आहार देने का सौभाग्य हेमंत सिंघई को प्राप्त हुआ।
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