गोनेर में तीन दिवसीय शिखर ध्वज दण्ड स्थापना समारोह
आर्यिका स्वस्तिभूषण माताजी का भव्य मंगल प्रवेष शनिवार को
जयपुर । श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर के जीर्णोद्धार के उपलक्ष्य में गोनेेर में तीन दिवसीय शिखर ध्वज दण्ड स्थापना समारोह का आयोजन 25 से 27 जून तक किया जाएगा। आर्यिका स्वस्तिभूषण माताजी के ससंघ सान्निध्य में होने वाले इस समारोह में विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष राजेन्द्र सेठी ने बताया कि कार्यक्रम का शुभारम्भ 25 जून को प्रातः आर्यिका स्वस्ति भूषण माताजी के भव्य मंगल प्रवेश के साथ होगा। इसी दिन सुबह अभिषेक, शांतिधारा, झंडारोहण, आचार्य निमंत्रण, देवाज्ञा, जाप्यानुष्ठान आदि कार्यक्रम होंगे। इसके बाद आर्यिक स्वस्तिभूषण माताजी के मंगल प्रवचन होंगे। दोपहर 2 बजे से वृहद वास्तु विधान पूजन होगा। शाम को महाआरती, शास्त्र प्रवचन एवं ऋद्धि सिद्धि मंत्रों सहित भक्तामर अनुष्ठान होगा।
प्रबंध समिति के महावीर पाटनी ने बताया कि रविवार 26 जून को सुबह अभिषेक, शांतिधारा एवं यागमण्डल विधान तथा ध्वजशुद्धि विधान पूजन किया जाएगा। इसके बाद आर्यिकाश्री के प्रवचन, शिखर ध्वज दण्ड स्थापना के कार्यक्रम होंगे। दोपहर में मुनिसुव्रतनाथ विधान के बाद धर्मसभा एवं भव्य सम्मान समारोह आयोजित किया जाएगा। शाम को महाआरती एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।
पदम पाटनी ने बताया कि अंतिम दिन सुबह नित्य अभिषेक एवं पूजन के बाद श्रीजी की भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी। आर्यिकाश्री के प्रवचन के बाद समारोह का समापन होगा। समस्त विधान एवं पूजन आदि कार्यक्रम जैन दर्शनाचार्य पं. प्रद्युम्न कुमार शास्त्री एवं वास्तुविद् राजकुमार कोठ्यारी के मार्गदर्शन में सम्पन्न होंगे। समारोह में देश-प्रदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का आगमन होगा।
डिजिटल कांच डिस्पले वर्क के साथ हुआ मंदिर का जीर्णोद्धार
मंदिर प्रबंध समिति के सदस्य महावीर कुमार सेठी एवं संजय सेठी ने बताया कि गोनेर स्थित आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर का निर्माण करीब 500 वर्ष पूर्व चूने एवं पत्थर से हुआ था। इसके प्राचीन एवं हैरिटेज स्वरूप को यथावत रखते हुए इसका जीर्णोद्धार करवाया गया है। जिनालय में भगवान आदिनाथ की अतिशयकारी मूल नायक प्रतिमा विराजमान है। जीर्णोद्धार कार्य के तहत मंदिर में दीवारों पर कांच का अत्याधुनिक डिजिटल वर्क करवाया गया है, जिसमें विभिन्न देव स्थानों के साथ ही भक्तामर काव्य का कलात्मक चित्रण किया गया है। मंदिर परिसर में संतों एवं मुनियों के विश्राम एवं आहारषाला की समुचित व्यवस्था की गई है। अरुण सेठी एवं रामबाबू पाटनी ने बताया कि जैन अतिषय क्षेत्र बाड़ा पदमपुरा एवं आगरा रोड स्थित चूलगिरी जाने के लिए प्रायः गोनेर होकर ही संतों एवं श्रद्धालुओं का आवागमन होता है। ऐसे में विहार के दौरान संत एवं मुनि आदि गोनेर में अल्प विश्राम के लिए रूकते हैं।
रिपोर्टर- अरूण सेठी,जयपुर