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पिच्छी है दिगंबर साधु की पहचान : गणिनी आर्यिका सरस्वती माताजी ससंघ का पिच्छी परिवर्तन समारोह संपन्न


संयम का पाठ सिखाने वाला पिच्छी परिवर्तन समारोह आज नगर में आयोजित किया गया। यह समारोह विशेष रूप से दिगंबर साधुों के द्वारा वर्षा ऋतु में एक स्थान पर आत्म साधना करने और श्रावकों को भी आत्म साधना की प्रेरणा देने का महत्व दर्शाता है। यह उद्गार नगर में चतुर्मासरत आर्यिका सरस्वती माताजी ने पिच्छी परिवर्तन समारोह के अवसर पर धर्मसभा में व्यक्त किए। पढ़िए सन्मति जैन काका की रिपोर्ट…


सनावद। संयम का पाठ सिखाने वाला पिच्छी परिवर्तन समारोह आज नगर में आयोजित किया गया। यह समारोह विशेष रूप से दिगंबर साधुों के द्वारा वर्षा ऋतु में एक स्थान पर आत्म साधना करने और श्रावकों को भी आत्म साधना की प्रेरणा देने का महत्व दर्शाता है। पिच्छी दिगंबर साधु की पहचान होती है, और इसके मुलायम पंखों के माध्यम से यह संदेश दिया जाता है कि हमें भी अपने जीवन को मृदुतायुक्त और संयमित बनाना चाहिए। संयम और दया के इस उपकरण को वही प्राप्त करते हैं, जो जीवन में कुछ संकल्प और नियम लेते हैं और देव, शास्त्र, गुरु तथा संस्कृति के प्रति अपनी श्रद्धा और आस्था को मजबूत बनाए रखते हैं। यह उद्गार नगर में चतुर्मासरत आर्यिका सरस्वती माताजी ने पिच्छी परिवर्तन समारोह के अवसर पर धर्मसभा में व्यक्त किए।

इन्हें मिला सौभाग्य

पिच्छी परिवर्तन समारोह की शुरुआत आचार्य श्री देशभूषण सागर जी महाराज के छाया चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन से की गई, जिसमें मुकेश कुमार बांसवाड़ा, संतोष बाकलीवाल, पवन कुमार जैन, और सुधीर कुमार चौधरी ने भाग लिया। इसके बाद मंगलाचरण संगीता बाकलीवाल ने किया और आराध्या विशाल सराफ ने स्वागत नृत्य प्रस्तुत किया।पिच्छी परिवर्तन समारोह के दौरान आर्यिका सरस्वती माताजी ससंघ के पाद प्रक्षालन का सौभाग्य संतोष कुमार बाकलीवाल परिवार को प्राप्त हुआ, वहीं शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य सुनील कुमार डीपीएस परिवार को मिला। वस्त्र भेंट करने का सौभाग्य भी कई साधर्मी परिवारों को प्राप्त हुआ आर्यिका अनंत मति माताजी को शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य सुधीर कुमार नवलचंद चौधरी परिवार को प्राप्त हुआ, वहीं वस्त्र भेंट करने का सौभाग्य अन्य साधर्मी परिवारों को प्राप्त हुआ। साथ ही, आर्यिका महोत्सव मति माताजी को शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य राजकुमारी प्रेमचंद जैन और शुभम पेप्सी परिवार को प्राप्त हुआ, जबकि वस्त्र भेंट करने का सौभाग्य अन्य साधर्मी परिवारों को प्राप्त हुआ। इसके बाद, आर्यिका माताजी के विहार में संघपति बनने वाले परिवारों का सम्मान किया गया। इन परिवारों में सावित्री बाई कैलाश चंद जटाले परिवार, स्व. विमला बाई विमलचंद जैन बड़ूड़ परिवार, नीलेश कुमार चांदमल मास्टरसाब एवं किरण बाई वीरेंद्र कुमार कुंदन कैमिस्ट परिवार शामिल थे। इन्हें माला, दुपट्टे, हार, और श्रीफल देकर सम्मानित किया गया।

संकट करती है दूर

इसके बाद सभी आचार्यों को अर्घ्य समर्पित किया गया। आर्यिका अनंत मति माताजी ने संक्षिप्त उद्बोधन में कहा कि पिच्छिका का कोई वजन नहीं होता, लेकिन इसमें संकटों को दूर करने की अद्भुत क्षमता होती है। यह संसार से विरक्ति पैदा करके जीवन का सार बताती है। उन्होंने सभी से इच्छाओं को त्याग कर संयम को अपनाने का आह्वान किया। समारोह के अंतिम चरण में, आर्यिका सरस्वती माताजी की पुरानी पिच्छी प्राप्त करने का सौभाग्य श्रीमती रेखा राकेश जैन परिवार को प्राप्त हुआ, जबकि नई पिच्छी देने का सौभाग्य श्रीमती नीतू प्रशांत जैन को मिला। इसके अतिरिक्त, आर्यिका अनंत मति माताजी की पुरानी पिच्छी प्राप्त करने का सौभाग्य सुनीता भूपेंद्र लश्करे को और नई पिच्छी देने का सौभाग्य राजेश कुमार जटाले को प्राप्त हुआ।

प्रस्तुत किए भजन

आर्यिका महोत्सव मति माताजी को नवीन पिच्छिका देने का सौभाग्य अंजू सुरेंद्र पाटनी परिवार को प्राप्त हुआ, जबकि पुरानी पिच्छिका प्राप्त करने का सौभाग्य प्रीति श्रीकांत जटाले परिवार को मिला। कार्यक्रम का सफल संचालन प्रशांत जैन मोनू ने किया, और संगीतकार कमल जैन पार्टी बड़वाह ने अपनी मधुर भजनों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। अंत में आभार व्यक्त करते हुए मुनि सेवा समिति के अध्यक्ष मुकेश जैन ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर सभी समाजजन बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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