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श्री 1008 मजिज्नेंद्र पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव एवं विश्व शांति महायज्ञ का गजरथ परिक्रमा के साथ समापन: टीकमगढ़ शहर के आसपास ग्रामीण क्षेत्रों से करीब 50000 लोग महोत्सव के साक्षी बने


पंचकल्याणक महोत्सव की गजरथ परिक्रमा शुरू हुई । गजरत फेरी मे पांच रथ शामिल थे। रथो के पीछे इंद्र इंद्राणी चल रहे थे। इसके बाद महायज्ञ एवं हवन की क्रिया संपन्न हुई ।यज्ञ में सभी महा पात्रों एवं इंद्र इंद्राणीओ ने आहुति दी। पूरे शहर में लोगों में उत्साह रहा। नंदीश्वर युवक मंडल वीर व्यायामशाला के युवा साथी जय जिनेंद्र कार्यकारिणी के युवा साथ में चल रहे थे। इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम की रिपोर्ट दे रहे हैं टीकमगढ़ से राजीव सिंघई


टीकमगढ़। शहर के ढोगा प्रांगण में 17 तारीख से चल रहे श्री 1008 मजिज्नेंद्र पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव एवं विश्व शांति महायज्ञ का गुरुवार को गजरथ परिक्रमा के साथ समापन हो गया है। गुरुवार को प्रातः 5:30 बजे से मंगलाष्टक शांति मंत्र 6:00 से श्रीजी का अभिषेक शांतिधारा नित्यम पूजन जिनवाणी पूजन देव शास्त्र गुरु पूजन संपन्न हुई ।7:38 पर भगवान को निर्वाण की प्राप्ति हुई। यज्ञ में सभी महा पात्रों एवं इंद्र इंद्राणीओ ने आहुति दी। आज शांति धारा का सौभाग्य अशोक जैन अतुल जैन आहार परिवार को प्राप्त हुआ।

जहां-जहां ज्ञान है वहां ज्ञान चेतना होना चाहिए – मुनि श्री
मुनि श्री ने अपने प्रवचन में कहा कि अनंत शक्तियों की ऐ आत्मा भव्य हो या अभव्य निगोदिया हो या मनुष्य सभी को शक्तियों को एक समान मानकर दिया है। व्यक्ति के पास धन होकर वह धनी नहीं है। हमारे पास ज्ञान है। लेकिन हम ज्ञानी नहीं हैं। क्योंकि यह मोह माया हमारे ज्ञानी होने में बाधक है। भगवान अभी तक ज्ञानवान है। आप ज्ञानी हो गऐ, ज्ञान है, लेकिन ज्ञान की चेतना नहीं है। धन है लेकिन धनी नहीं । मुनि श्री ने कहा ज्ञान अलग चीज है ज्ञान चेतना अलग चीज है जहां-जहां ज्ञान है वहां ज्ञान चेतना होना चाहिए। लेकिन आज कह रहा हूं सम्यक ज्ञान नहीं ज्ञान चेतना की आवश्यकता है सम्यक ज्ञान शास्त्रों के अनुसार पशु पक्षी भी प्राप्त कर लेता है एक नारकीय भी समय दृष्टि हो जाता है सम्यक ज्ञान का इतना महत्व नहीं है जितना ज्ञान चेतना का महत्व है ।

धर्म सास्वत है, सदा है सदा रहेगा
मुनि श्री ने कहा का ज्ञान नहीं ज्ञानी पूजा जाता है धर्म नहीं धर्मी पूजा जाता है। मुनि श्री ने कहा धर्म सास्वत है ।सदा है सदा रहेगा। मुनिश्री ने कहां पंचकल्याणक में भगवान तो 6 दिन में बन गए हैं अगर तुम जीवन भर में भगवान के भक्त बन गए तो तुम्हारे कर्मों की निर्जरा होना निश्चित है। हे भव्य जीव तुम्हारी आत्मा का कल्याण निश्चित है। आदिनाथ धाम त्रिकाल चौबीसी की प्रतिष्ठा हो चुकी है आप लोगों को प्रतिदिन भगवान का अभिषेक शांति धारा एवं पूजन करनी है भक्तामर का पाठ भी करना है निश्चित ही आप सभी परेशानियों से निजात पा जाएंगे ।

कार्यक्रम की मीडिया प्रभारी प्रदीप जैन बम्होरी ने बताया कि दोपहर 2:20 पर पंचकल्याणक महोत्सव की गजरथ परिक्रमा शुरू हुई । गजरत फेरी मे पांच रथ शामिल थे। रथो के पीछे इंद्र इंद्राणी चल रहे थे। नंदीश्वर युवक मंडल वीर व्यायामशाला के युवा साथी जय जिनेंद्र कार्यकारिणी के युवा साथ में चल रहे थे । गजरथ फेरी में निर्यापक मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज छुल्लक 105 गंभीर सागर जी महाराज चल रहे थे सौधर्म इंद्र कुबेर महाराज, भगवान के माता पिता ,महायज्ञ नायक हाथी के रथ पर सवार होकर चल रहे थे। यज्ञ नायक राजा सोम राजा श्रेयांश भरत बाहुबली ब्रह्मइंद्र सहित अनेक इंद्र, महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर , रथ पर सवार होकर परिक्रमा में चल रहे थे 4:20 बजे गजरथ की सात परिक्रमा पूरी हुई। गजरथ देखने के लिए शहर सहित देश के अनेक शहरों से अनेक नगरों से टीकमगढ़ शहर के आसपास ग्रामीण क्षेत्रों से करीब 50000 लोग आज महोत्सव के साक्षी बने। टीकमगढ़ विधायक राकेश गिरी ने अपनी पत्नी लक्ष्मी गिरी के साथ पंचकल्याणक महोत्सव में पधार कर मुनि श्री से आशीर्वाद प्राप्त किया। कमेटी द्वारा उनका स्वागत एवं सम्मान किया कमेटी की ओर से नंदीश्वर कमेटी के लुईस चौधरी ,विमल जैन ,डीके जैन, गुलाब दाऊ, अशोक जैन थूबोन जी कमेटी से विजय जैन आहार बाबा नायक ,जिनेंद्र जैन निखिल जैन, सुधीर जैन चंचल जैन ,स्वरूप चंद जैन ,प्रकाश जैन, आदि लोग शामिल रहे।

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