दोहे भारतीय साहित्य की एक महत्वपूर्ण विधा हैं, जो संक्षिप्त और सटीक रूप में गहरी बातें कहने के लिए प्रसिद्ध हैं। दोहे में केवल दो पंक्तियां होती हैं, लेकिन इन पंक्तियों में निहित अर्थ और संदेश अत्यंत गहरे होते हैं। एक दोहा छोटा सा होता है, लेकिन उसमें जीवन की बड़ी-बड़ी बातें समाहित होती हैं। यह संक्षिप्तता के साथ गहरे विचारों को व्यक्त करने का एक अद्भुत तरीका है। दोहों का रहस्य कॉलम की बारहवीं कड़ी में पढ़ें मंजू अजमेरा का लेख…
“जीवन में मरना भला, जो मरी जानै कोय।
मरना पहिले जो मरै, अजय अमर सो होय।”
“मरना भला” का अर्थ है आत्मा का अहंकार से मुक्त होना। सच यह है कि मृत्यु कोई भयभीत करने वाली घटना नहीं है, बल्कि आत्मा को सत्य और परमात्मा से मिलाने का मार्ग है। जो सांसारिक जीवन में अपनी इच्छाओं और वासनाओं का त्याग करता है, वही असली मृत्यु को समझता है। सांसारिक वस्तुओं और रिश्तों से आसक्ति व्यक्ति को उसके आध्यात्मिक लक्ष्य से भटका देती है। अतः जीवन का उद्देश्य आत्मा की शुद्धि और ईश्वर की भक्ति ही होना चाहिए। अर्थात, सच्चा जीवन वही है जो सांसारिक अहंकार और बंधनों से मुक्त होकर ईश्वर के साथ एकत्व की अनुभूति कर सके।
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