पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आचार्य विद्यासागरजी महाराज द्वारा दिए गए सुझावों के बारे में एक कार्यक्रम में अपनी बात साझा की। उन्होंने जनता को बताया कि आचार्यश्री ने उन्हें भारत को भारत बनाने और हिन्दी को राष्ट्र भाषा बनाने का सुझाव दिया था। उनके बताए इस महती कार्य पर अब भारत में महत्वपूर्ण प्रकल्प आरंभ हो गए हैं। पढ़िए बदनावर से ओम पाटोदी की यह खबर…
बदनावर (वर्द्धमानपुर)।पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हाल ही में हुए सामाजिक कार्यक्रम में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज द्वारा दिए गए उद्बोधन को जनता के सामने रखा। उन्होंने कहा कि एक कार्यक्रम में जैन तीर्थ रामटेक में मुझे विद्यासागर जी महाराज के दर्शन करने का सुअवसर मिला था, जो आज हमारे बीच नहीं हैं। उस समय आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने मुझे अकेले में दो बातें कही थीं कि राष्ट्रपति आप का ध्यान इन दो बातों पर आकर्षित करना चाहता हूं कि भारत को भारतवर्ष ही बोला जाए और दूसरा हिंदी सिर्फ राजभाषा, संपर्क भाषा ही नहीं राष्ट्र भाषा बनें। उनकी एक हिदायत की तो प्रारंभिक शुरुआत मेरे राष्ट्रपति काल में ही की जा चुकी थी और मुझे इस बात की खुशी है कि आगामी गणतंत्र दिवस का आमंत्रण पत्र जो मुझे प्राप्त हुआ उसमें भी ‘द प्रेसिडेंट ऑफ़ भारत’ लिखा गया है।
आधारभूत प्रकल्पों की हुई शुरूआत
वर्द्धमानपुर शोध संस्थान के ओम पाटोदी एवं पत्रकार स्वप्निल जैन ने बताया कि आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज का भारत को ‘भारत’ बनाने का महत्वपूर्ण सपना था, जिसे मूर्तरूप देने के लिए उन्होंने कई आधारभूत प्रकल्पों की शुरुआत अपने भक्तों और जन नायकों के माध्यम से की। जो भारतीय संस्कृति को पुनर्स्थापित करने सशक्त माध्यम बन रही है।
इन प्रकल्पों के माध्यम से सुदृढ़ हो रहा भारत
जिसमें हथकरघा, प्रतिभा स्थली, प्रतिभा चयन, छात्रावास, पूर्णायु, शांतिधारा, गोशाला, तीर्थ रक्षा, धर्म रक्षा, मातृभाषा प्रचार-प्रसार, प्राचीन साहित्य का पुनः लेखन सृजन, जीवंत तीर्थाें का सृजन जैसे दर्जनों प्रकल्प शामिल हैं। आइए, हम सब साथ मिलकर इस गणतंत्र दिवस को कुछ खास बनाएं। आचार्य श्री विद्यासागर जी के ‘भारत बने भारत’ का आह्वान साथ मिलकर दोहराएं।
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