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साहित्यकार डीसी जैन ‘मासूम’ की प्रथम पुण्यतिथि मनाई: मरीजों को वितरित हुआ पौष्टिक आहार


कवि गीतकार डीसी जैन ‘मासूम’ की प्रथम पुण्यतिथि पर साहित्यकारों, मनीषियों ने उन्हें याद करते हुए नमन किया। इस अवसर पर चिकित्सालय में मरीजों को पौष्टिक आहार का वितरण किया गया। उनकी प्रथम पुण्यतिथि पर साहित्यकारों, मनीषियों ने उन्हें याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। ग्वालियर से पढ़िए मनोज जैन नायक की खबर…


ग्वालियर। कवि गीतकार डीसी जैन ‘मासूम’ की प्रथम पुण्यतिथि पर साहित्यकारों, मनीषियों ने उन्हें याद करते हुए नमन किया। इस अवसर पर चिकित्सालय में मरीजों को पौष्टिक आहार का वितरण किया गया। जैन छात्रावास ग्वालियर के महामंत्री डॉ. मुकेश जैन ने बताया कि डीसी जैन की प्रथम पुण्यतिथि के अवसर पर हजीरा सिविल अस्पताल में पौष्टिक आहार बांटा गया। उल्लेखनीय है कि वरिष्ठ नागरिक सेवा संस्थान हजीरा डे केयर सेंटर सिविल अस्पताल हजीरा में भर्ती मरीजों एवं उनके परिजनों को पौष्टिक आहार वितरण कार्यक्रम प्रति मंगलवार और रविवार को करता है। सोमवार को डीसी जैन की स्मृति में उनके सुपुत्र आलोक जैन (संचालक खबर हरपल न्यूज) की ओर से मरीजों को पौष्टिक आहार वितरित किया गया।

जैन की गिनती श्रेष्ठतम साहित्यकारों में की जाती थी

डीसी जैन मासूम आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से अनुबंधित साहित्यकार थे। शहर में होने वाले अधिकांशतः शासकीय कार्यक्रमों का वे संचालन करते थे। जैन शासकीय अध्यापक होकर साहित्य की सेवा में अपना समय व्यतीत करते थे। जैन ने काफी समय तक अखिल भारतीय मंचों पर काव्य पाठ किया था। बड़े-बड़े मंचों पर गीत, गजल एवं व्यंग्य के माध्यम से आपने साहित्य जगत में अपनी एक अलग पहचान बनाई थी। उनकी गिनती शहर के श्रेष्ठतम साहित्यकारों में की जाती थी। साहित्य जगत में कई पुरस्कार एवं उपाधियों से नवाजा गया था। शासकीय सेवा से सेवा निवृत होने के बाद आप अपना पूरा समय हिंदी साहित्य की सेवा में देते थे। आपने अपने जीवनकाल में अनेकों कविताएं, गीत, गजल, व्यंग्य, भजन लिखकर काफी शोहरत हासिल की। जैन दर्शन पर सैकड़ों भजन लिखकर आपने खूब नाम कमाया था।

मैंने पापा को जब भी देखा बेफिक्र ही देखा

साहित्यकार, कवि डीसी जैन मासूम के पुत्र आलोक जैन बताते हैं कि आज पापा की पहली पुण्यतिथि है। पर लगता नहीं कि आज पापा हमारे बीच नहीं हैं। आज भी लगता है कि वे हमारे साथ हैं। मैंने पापा को जब भी देखा बेफिक्र ही देखा। उन्होंने कभी हमें यह एहसास नहीं होने दिया कि कोई परेशानी है। उनके रहते हमें कभी किसी चीज का अभाव नहीं रहा और आज जब वे नहीं हैं तो लगता है सब होते हुए भी हमारे पास कुछ नहीं है। ईश्वर से यही प्रार्थना है कि दिव्य आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें। उनकी प्रथम पुण्यतिथि पर साहित्यकारों, मनीषियों ने उन्हें याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।

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