चारों प्रकार के आहार का त्याग करने के बाद, मुनि श्री दर्शन सागर महाराज का समाधिमरण 1 दिसंबर को शाम 5 बजे त्रिमूर्ति क्षेत्र, सुसनेर में हुआ। 2 दिसंबर को प्रातः 9 बजे मुनि श्री का डोला गाजे-बाजे के साथ निकाला गया, जिसमें पांच हजार से ज्यादा भक्तों ने हिस्सा लिया। पढ़िए यह विशेष रिपोर्ट…
सुसनेर। चारों प्रकार के आहार का त्याग करने के बाद, मुनि श्री दर्शन सागर महाराज का समाधिमरण 1 दिसंबर को शाम 5 बजे त्रिमूर्ति क्षेत्र, सुसनेर में हुआ। 2 दिसंबर को प्रातः 9 बजे मुनि श्री का डोला गाजे-बाजे के साथ निकाला गया, जिसमें पांच हजार से ज्यादा भक्तों ने हिस्सा लिया। सभी की आंखें नम थीं। भक्तजन आपस में मुनि श्री द्वारा किए गए धार्मिक अनुष्ठानों की चर्चा कर रहे थे। डोला यात्रा त्रिमूर्ति क्षेत्र सुसनेर से शुरू होकर, मैना रोड, बड़ा मंदिर, इतवारिया, छोटा मंदिर, बिचला मंदिर होते हुए त्रिमूर्ति क्षेत्र परिसर पहुंची। डोला यात्रा के दौरान सुसनेर का पूरा बाजार बंद रहा।
हर समाज के लोग इसमें शामिल हुए। इसके अलावा, आसपास के बीस गांवों के लोग, साथ ही इंदौर, उज्जैन, नलखेड़ा, झालावाड़, पाटन, कोटा सहित अन्य कई स्थानों से लोग डोला यात्रा में पहुंचे। पुरुषों, महिलाओं और बच्चों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। सुसनेर के राजमल जैन, प्रेम चंद जैन, कोमल चंद जैन, नरेंद्र वेद (इंदौर), अशोक काला (इंदौर), पंडित नितिन झांझरी, महावीर झांझरी सहित अनेक लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। धार्मिक विधि-विधान के साथ मुनि श्री के शरीर का अग्निसंस्कार दिल्ली निवासी राजेश नेमिचन्द्र जैनी ने किया।
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