दसलक्षण पर्व के दौरान बहुत से श्रावक-श्रावक व्रत या उपवास करते हैं। ऐसे में उपवास की पारणा सही विधि-विधान से करनी आवश्यक है। किसी व्रत या उपवास के दूसरे दिन किया जाने वाला पहला भोजन और तत्संबंधी कृत्य पारणा कहलाता है। व्रत के दूसरे दिन ठीक रीति से पारणा न करें तो पूरा फल नहीं मिलता। पढ़िए अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज का विशेष आले ( प्रस्तुति रेखा संजय जैन, संपादक श्रीफल जैन न्यूज)…
जैन धर्म में कर्मों की निर्जरा के लिए व्रत और तप का विशेष महत्व है। दसलक्षण पर्व के दौरान बहुत से श्रावक-श्रावक व्रत या उपवास करते हैं। ऐसे में उपवास की पारणा सही विधि-विधान से करनी आवश्यक है। किसी व्रत या उपवास के दूसरे दिन किया जाने वाला पहला भोजन और तत्संबंधी कृत्य पारणा कहलाता है। व्रत के दूसरे दिन ठीक रीति से पारणा न करें तो पूरा फल नहीं मिलता। जानते हैं कि उपवास की पारणा की सही विधि क्या है…
5, 8, 10 या 16 उपवास की पारणा में और बाद में इस प्रकार के नियम-विधि का पालन करें…
1. मूंग की दाल, उसका पानी और दाल घी में छौंककर खाएं।
2. उपवास के बाद 20-25 मुनक्का प्रतिदिन अवश्य खाएं।
3. लौकी की सब्जी खाएं।
4. परवल व तुरई की सब्जी के 3-4 टुकड़े ले सकते हैं।
5. अनार के 10-20 दाने खा सकते हैं।
6. दलिया बनाएं, उबालते समय ही घी डालें। ऊपर से घी नहीं डालें अथवा दलिया दूध के साथ भी खा सकते हैं।
7. दूध मीठा ही पीएं।
8. सभी वस्तुओं में नमक कम खाएं। नमक वस्तु बनाते समय से डालें। ऊपर से न खाएं।
9. एक या आधी रोटी गरम व नरम अर्थात रोटी पतली हो नरम हो बनाते ही तत्काल घी चुपड़कर रखी हो तो दाल के पानी में या लौकी की सब्जी में गलाकर खाएं।
10. सामान्य पानी भी उबालकर ठण्डा करके अथवा गुनगुना पियें। यदि कब्ज हो (पेट साफ नहीं हो रहा तो आधा दूध और आधा पानी मिलाकर पियें। बिना प्रयोजन औषधि का प्रयोग नहीं करें।
11. पानी पर्याप्त मात्रा में धीरे-धीरे पियें।
12. सौंफ के 2-4 दाने अथवा सिकी हुई, पिसी हुई सौंफ 1/4 चम्मच खा सकते हैं।
13. मलाई का मोटे आटे वाला मीठा मोहनभोग (केक) भी 2-3 पीस खा सकते हैं।
उपवास के पारणा के बाद इनका सेवन न करें…
1. नींबू, हरी-लाल मिर्ची, केला, किसी भी प्रकार का जूस, तुअर, मसूर, उड़द की दाल, इनसे बनीं चीजें, चावल और चावल से बनीं वस्तुओं का सेवन न करें।
2. मटर, चना, खटाई, मावा, रबड़ी आदि गरिष्ठ वस्तुएं न खाएं। बाटी-परांठे, पूरी, बाफला बाटी न खाएं।
3. इडली, डोसा, सांभर, छोले- भटूरे, दही आदि वस्तुओं का सेवन न करें।
पारणा के 3 दिन बाद सौंठ अवश्य खाएं…
ऐसे बनाएं सौंठ
1. सौंठ को गीले कपड़े से पोंछकर अच्छी तरह पीसकर छान लें।
2. कढ़ाई में ताजा घी गर्म करके नीचे उतार लें।
3. उसमें पिसी हुई सौंठ डालकर अच्छे से चलाएं (घी पर्याप्त होना चाहिए)।
4. बूरा डालकर थोड़ी सिकी और फूली हुई गोंद का चूर्ण भी मिला दें।
5. इसे पारणा के दिन ही बनाकर रख दें। इसके बाद 3 दिन बाद प्रतिदिन (आठ दिन तक) प्रातः 2 चम्मच सौंठ खाकर दूध अवश्य पियें।
विशेष – जिस समय सौंठ खाएं, उस समय किसी भी प्रकार की खटाई न खाएं। न ही अनार, अनन्नास, मौसमी आदि का रस पिएं।
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