कीर्ति स्तंभ की स्थापना अगली पीढ़ी को देशभक्ति की प्रेरणा देने की पहल -पटेल
छतरपुर (राजेश जैन “रागी” बकस्वाहा)। जिले के तीर्थधाम सिद्धायतन द्रोणगिरि में नव निर्मित कीर्ति स्तंभ का लोकार्पण समारोह आयोजित किया गया, जिसमें मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने आभासी माध्यम से कीर्ति स्तंभ का अनावरण किया। कीर्ति स्तंभ अनावरण कार्यक्रम को पटेल ने राजभवन से वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा कि कीर्ति स्तंभ की स्थापना अतीत से प्रेरणा लेकर भविष्य के निर्माण के लिए आत्म चिंतन और आत्म अवलोकन का प्रसंग है। यह भावी पीढ़ी को देश भक्ति, समाज सेवा के लिए सदैव समर्पित रहने की प्रेरणा और प्रोत्साहन देने की अनुकरणीय पहल है।
राज्यपाल पटेल ने कहा कि बच्चे देश का भविष्य होते हैं, उन्हें नैतिक और आध्यात्मिक रूप से मजबूत बनाना, राष्ट्र निर्माण में योगदान के लिए सार्थक और सराहनीय रूप से मजबूत बनाना राष्ट्र निर्माण में योगदान का सार्थक और सराहनीय प्रकल्प है। उन्होंने कहा कि हमें अपने हर प्रयास और कार्य में यह सोचना चाहिए कि इससे देश को क्या लाभ होगा? देश के गरीब का कल्याण कैसे होगा? राज्यपाल ने कहा कि गांधीजी के आध्यात्मिक दृष्टि पर जैन दर्शन का गहरा प्रभाव था। जैन साधक और कवि श्रीमद् राजचंद्र से गांधी जी को आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्राप्त हुआ था।
उन्होंने कहा कि सभी धर्मों के मूल में पूरी मानवता के कल्याण की भावना विद्यमान है। जैन दर्शन का अहिंसा परमो धर्म: का सिद्धांत मानवता के कल्याण का पथ है। इस अवसर पर समारोह के विशिष्ट अतिथि छतरपुर जिले के प्रभारी एवं विज्ञान और प्रौद्योगिक, सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा भी वर्चुअली शामिल हुए। उन्होंने कहा कि जैन समाज केवल स्तंभ का निर्माण ही नहीं करता बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा या समाज की किसी भी जरूरत के समय आगे रहता है और ऐसा समाज जो भावनाओं को जागृत रखने में इ, युग में भी तन, मन और धन से अपना समर्पण, समय व सर्व सेवाएं देता है, वह अभिवंदनीय है। इस अवसर पर क्षेत्रीय विधायक प्रद्युमन सिंह ने भी विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर तीर्थधाम सिद्धायतन में नव निर्मित कीर्ति स्तम्भ के लिए अर्थ सहयोग प्रदाता व स्वप्नद्रष्टा व सिद्धायतन के संस्थापक अध्यक्ष, वरिष्ठ समाजसेवी, वयोवृद्ध मास्टर चंद्रभान जैन घुवारा एवं कीर्ति स्तंभ को आकार देने वाली युवा आर्किटेक्ट कुमारी हर्षिका जैन का सम्मान महामहिम राज्यपाल महोदय की ओर से क्षेत्रीय विधायक द्वारा किया गया।
कीर्ति स्तंभ की विशेषताएं
चंद्रभान जैन द्वारा इस स्तंभ का निर्माण समाज के गौरवशाली इतिहास को जीवंत बनाए रखने एवं आचार्य कुंदकुंद देव, गुरुदेव श्री कांजी स्वामी एवं अमर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों एवं भारतीय संविधान निर्मात्री सभा के सदस्यों के त्याग एवं बलिदान को जीवंत बनाए रखने एवं युवा पीढ़ी को उनसे परिचित कराने के लिए कराया गया है। यह बुंदेलखंड के जैन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों एवं अमर शहीदों को समर्पित है। एक साल से राजस्थान के कारीगरों द्वारा निर्मित किया गया कीर्ति स्तंभ अध्यात्म एवं राष्ट्र भावना से ओतप्रोत होकर तैयार कराया गया है।
यह 21 फीट ऊंचा का भारत में पहला कीर्ति स्तंभ है, जिस पर समयसार संप्रति शताब्दी वर्ष एवं आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष के उपलक्ष्य में दिगंबर आचार्य कुंदकुंद देव द्वारा रचित समयसार नामक ग्रंथ में से प्राकृत भाषा में एवं हिंदी पद्यानुवाद 200 गाथाएं अंकित हैं। इसमें भारत की स्वतंत्रता में अहम भूमिका निभाने वाले बुंदेलखंड के जैन 281 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों तथा 20 अमर शहीदों के अलावा संविधान निर्मात्री समिति के पांच जैन सदस्य तथा दांडी यात्रा में अपना अदम्य साहस दिखाने वाली सरलादेवी साराभाई जैन के अलावा बुंदेलखंड के जैन समाज में फैली कुरीतियों को मिटाने में तथा समाज में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले महानुभावों के नाम अंकित किए गए हैं।
इस समारोह में स्वागत भाषण पं. राजकुमार शास्त्री उदयपुर ने दिया गया तथा ट्रस्ट मंत्री प्रदुमन फौजदार ने राज्यपाल मंगुभाई पटेल के सम्मान में प्रशस्ति पत्र का वाचन किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. ममता जैन उदयपुर ने किया तथा आभार ट्रस्ट के अध्यक्ष विनोद डेवडिया ने दिया। इस अवसर पर सिद्धायतन के संरक्षक महेंद्र कुमार गंगवाल जयपुर, सिद्धक्षेत्र द्रोणगिरि के मंत्री भागचंद पीली दुकान, उपाध्यक्ष व ट्रस्टी सुनील घुवारा, कोषाध्यक्ष नरेन्द्र व्याजू सहित क्षेत्र के अनेक जनप्रतिनिधि, सामाजिक व राजनैतिक नेता कार्यकर्ता और प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे।