दैनिक जीवन की सभी छोटी-बड़ी प्रवृत्ति सावधानीपूर्वक करें। ‘आत्मनः प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेत‘ इस प्राचीन सूत्र के अनुसार ऐसा कोई भी आचरण न करें, जो दूसरों के लिए प्रतिकूल हो। मुनिश्री प्रणम्य सागरजी महाराज की पुस्तक खोजो मत पाओ व अन्य ग्रंथों के माध्यम से श्रीफल जैन न्यूज Life Management निरंतरता लिए हुए है। पढ़िए इसके दसवें भाग में श्रीफल जैन न्यूज के रिपोर्टर संजय एम तराणेकर की विशेष रिपोर्ट….
दैनिक जीवन में इन्हें अपनाओ
1. व्यर्थ में बिजली, पानी, हवा खर्च न हो, इसका ध्यान रखें।
2. घर के सामने कूड़ा-कचरा न फेंकें।
3. नहाने धोने में अतिसीमित जल का उपयोग करें।
4. साबुन, तेल, क्रीम, ब्रश, टूथपेस्ट, नेलपालिश, लिपिस्टिक, पाउडर, कपड़े, जूते और अन्य रोजमर्रा की जिंदगी में काम आने वाली चीजों को प्रयोग में लाने से पहले एक मिनिट उस वस्तु को लेकर देखें कि कहीं इसमें किसी प्राणी की चीख तो नहीं छिपी है।
5. ऊपर की मंजिल पर खड़े होकर नीचे न थूकें। वाहन में बैठकर बाहर न थूकें। चलते हुए रास्ते में न थूकें।
6. किसी की वस्तु छूट जाने पर या पड़ी हुई मिल जाने पर उसे न उठाएँ। यदि अमुक व्यक्ति की यह वस्तु छूटी है, ऐसी जानकारी हो तो उस तक पहुँचाने का प्रयास करें।
7. वाहन से चलते हुए सड़क के नियमों का उल्लंघन न करें।
8. अपने गुरुजनों और परिवारजनों को क्रोध में उत्तर न दें।
9. पति/पत्नी एक-दूसरे के अलावा अन्य किसी से सम्बन्ध की इच्छा न करें, न उनके साथ घूमें और न मनोरंजन करें।
10. ऐसी वस्तु का ही प्रयोग करें, जिससे प्लास्टिक का कचरा न बढ़े।
11. विद्यार्थी जीवन में निजी मोबाईल न रखें :-
पढ़ने वाले विद्यार्थी का पढ़ाई तक के लिए मोबाईल का उपयोग नहीं करना लक्ष्य प्राप्ति में बहुत श्रेयस्कर है। मोबाइल रखने वाले विद्यार्थी का मन कई सम्बन्धों को बनाने में लग जाता है। जो अनावश्यक समय व्यर्थ करते हैं। मैसेज जब मोबाइल पर आता है तो अपना ही मित्र द्विअर्थीय वाले संदेश भेजता है जिससे मन खराब होता है। मन की चंचलता बढ़ती है। गाने सुनने का शौक बढ़ जाता है जिससे पढ़ाई में मन लगना अपने आप कम हो जाता है। गुप्त अपराधों की प्रवृत्तियाँ बढ़ने का एक बहुत बड़ा सुलभ माध्यम है, यह मोबाइल।
12. बेटियों को जीन्स, टी-शर्ट पहनने से पहले उन्हें समझाएं :-
लड़कियों को आजकल जीन्सपेन्ट और टी-शर्ट पहनना बहुत रुचता है। अत्यधिक कसे हुए ऐसे कपड़े पहनने से कामुकता बढ़ती है, अपने शरीर के अंगों को उभारकर दिखाने का भाव उत्पन्न होता है और दूसरों को अपनी ओर आकर्षित करने की प्रबल मानसिकता जन्म लेती है। यह मानसिकता धर्म विरूद्ध है क्योंकि ऐसे भावों से आत्मा मं ऐसे कर्मों का बंध होता है कि उनका फल भी बुरे रूप में मिलता है। आखिर आपने ही तो चाहा कि लड़के हमारी ओर आकर्षित हों और उसी का फल मिलता है कि बाद में हमारी अनिच्छा के जबदस्ती बलात्कार होता है। ऐसे कर्मों के फल अगले जन्म में इस रूप में भी मिलते हैं कि लड़की का जीवन कामुकता के कारण बर्बादी के रास्ते पर चलकर उसे वैष्या तक बना देता है। पति से तलाक का दुःख, घर में कलह और अस्थिर मानसिकता ऐसे ही भावों का फल है।
इसके अलावा जीन्स आदि तंग कपडे़ पहनने से नपुंसकता बढ़ती है, जीवन शैली बिगड़ जाती है और हृदयाघात, अवसाद (Depression) की स्थिति बहुत ज्यादा बनती है, यह बात मनोवैज्ञानिक सिद्ध कर चुके हैं।
पहनावा संस्कृति विरूद्ध
जीन्स पहनने के साथ-साथ मोबाइल, बाइक, स्कूटी, कैन्टीन, कैफे आदि के शौक भी बढ़ते हैं जिससे जीवन धीरे-धीरे पतन और कष्ट के रास्ते पर चला जाता है। टी-शर्ट, जीन्स पहनने वाले भले ही अपने आपको स्मार्ट (Smart) और पढ़ा-लिखा (Literate) समझें परंतु सभ्य व्यक्ति को यह पहनावा संस्कृति विरूद्ध और बेहूदा ही लगता है। यदि माता-पिता को ऐसे पहनावे लड़कियों के लिए अच्छे लगते हैं तो इसका मतलब है कि वे स्वयं भी कामुक और विलासी स्वभाव के हैं तथा कन्याओं का हित नहीं चाहते हैं। इतना ध्यान रखें कि शालीनता और सभ्य चाल-चलन ही एक अच्छे व्यक्तित्व की पहचान है।
13. टी.वी. पर WWF देखना एवं मुर्गियों, कुत्तों, भैंसों, ऊँटों की लड़ाई देखना और खुश होना रौद्र विचारों को अपने अंदर पहुँचाना है जो अत्यंत पाप का कारण है।
14. बच्चों को बाजार की वस्तु खरीदने के लिए पैसे न देें।
15. पटाखे चलाकर धन को व्यर्थ नष्ट न करें एवं पर्यावरण को दूषित न करें ।
16. टी.वी. सीरियल देखते समय पारिवारिक मर्यादा का ख्याल रखें।
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