दोहे भारतीय साहित्य की एक महत्वपूर्ण विधा हैं, जो संक्षिप्त और सटीक रूप में गहरी बातें कहने के लिए प्रसिद्ध हैं। दोहे में केवल दो पंक्तियां होती हैं, लेकिन इन पंक्तियों में निहित अर्थ और संदेश अत्यंत गहरे होते हैं। एक दोहा छोटा सा होता है, लेकिन उसमें जीवन की बड़ी-बड़ी बातें समाहित होती हैं। यह संक्षिप्तता के साथ गहरे विचारों को व्यक्त करने का एक अद्भुत तरीका है। दोहों का रहस्य कॉलम की 84वीं कड़ी में पढ़ें मंजू अजमेरा का लेख…
मार्ग चलते जो गिरा ताको नहीं दोष।
यह कबीरा बैठा रहे तो सिर करड़े दोष।।
कबीरदास जी इस दोहे के माध्यम से हमें यह सिखा रहे हैं कि कर्मशीलता जीवन की अनिवार्य शर्त है। यदि कोई व्यक्ति जीवन के संघर्षों में आगे बढ़ता है और कभी असफल हो जाता है, तो यह दोष नहीं है। लेकिन यदि कोई व्यक्ति डर, आलस्य, या निष्क्रियता के कारण कुछ भी नहीं करता, तो उसका दोष सबसे बड़ा है। परिश्रम और प्रयास ही सफलता के वास्तविक आधार हैं।
जैसे कोई छात्र यदि परीक्षा में असफल होता है, लेकिन वह परिश्रम करता रहा, तो यह उसकी गलती नहीं, बल्कि सीखने का अवसर है। लेकिन यदि कोई पढ़ाई ही नहीं करता और परीक्षा देने से डरता है, तो असली दोष उसी का है।
इस दोहे में समाज के लिए भी गहरा संदेश है। जो समाज आगे बढ़ने के लिए संघर्ष करता है, वह कभी दोषी नहीं होता, चाहे असफल ही क्यों न हो। लेकिन जो लोग केवल शिकायत करते रहते हैं और स्वयं कोई प्रयास नहीं करते, वे सबसे बड़े दोषी हैं। समाज में सकारात्मक बदलाव तभी संभव है जब हर व्यक्ति अपने स्तर पर कुछ करने का प्रयास करे।
इस दोहे में गीता के निष्काम कर्मयोग सिद्धांत की झलक मिलती है। भगवान कृष्ण ने अर्जुन को यही सिखाया था कि “कर्म करना तुम्हारा धर्म है, परिणाम की चिंता मत करो।” इसी प्रकार, जो व्यक्ति ईश्वर के मार्ग में प्रयास करता है, वह गलतियाँ कर सकता है, लेकिन यह यात्रा आवश्यक है। लेकिन जो व्यक्ति डर, मोह, या आलस्य के कारण जीवन को निष्क्रिय बना लेता है, वह आध्यात्मिक पतन की ओर बढ़ता है।
कबीरदास जी का यह दोहा हमें सिखाता है कि विफलता जीवन का हिस्सा है, लेकिन प्रयास करना सबसे महत्वपूर्ण है। इसलिए, विफलता से घबराने की बजाय कर्म करते रहना ही सच्चा धर्म है। परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। जैसा कि कहा गया है: “उद्यमेन ही सिद्ध्यंति कार्याणि न मनोरथे,” अर्थात कार्य करने से ही सफलता प्राप्त होती है, केवल सोचने भर से नहीं।
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