सारांश
मध्यप्रदेश के मुरैना में ज्ञानतीर्थ पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के लिए णमोकार महामंत्र जाप्यानुष्ठान शुरू हो गया है। इस अवसर पर धर्मसभा में आर्यिका स्वस्तिभूषण माताजी ने कहा कि कोई भी कार्य करने के लिए ध्यान की बहुत आवश्यकता होती है। ध्यान से भटक जाएं तो वो कार्य सिद्ध नहीं हो पाता है।
मुरैना (मनोज नायक)। जैन साध्वी गणिनी आर्यिका स्वस्तिभूषण माताजी ने बड़े जैन मंदिर में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि कोई भी कार्य करने में या सुनने में स्थिरता होनी चाहिए। कानों में आवाजें तो बहुत आती हैं लेकिन जिस आवाज का उपयोग होता है वही सुनाई देती है।
आप प्रवचन सुन रहे हैं, आपकी स्थिरिता देखने योग्य हैं। आप हिल भी नहीं रहे हैं, यही तो ध्यान हैं। सुई में धागा भी ध्यान से ही जाता है। नाचते-नाचते हम बात नहीं कर सकते। क्योंकि नाचने में भी ध्यान चाहिए, यदि ध्यान भटक जाए तो नाचना बंद हो जाएगा।
इसी प्रकार धर्म में ध्यान और स्थिरिता का अति आवश्यक है। धार्मिक क्रियाकलापों में बगैर ध्यान और स्थिरिता के सभी अर्थहीन हैं।
ज्ञानतीर्थ पंचकल्याणक से पहले णमोकार जाप
जैन साध्वी इस समय ज्ञानतीर्थ जैन मंदिर की पंचकल्याणक प्रतिष्ठा के निमित्त मुरैना के साधर्मी बन्धुओं में एक नई ऊर्जा संचार कर उन्हें प्रेरित कर रहीं है। ज्ञानतीर्थ पंचकल्याणक के आयोजन से पूर्व मंगलाचरण के निमित्त मुरैना में छः दिन से महामंत्र णमोकार का जाप चल रहा है।
जाप्यानुष्ठान में लगभग 250 महिलाओं एवं पुरुषों ने भाग लेकर चार दिन में सात लाख जाप देकर एक कीर्तमान स्थापित किया है। आज धर्मसभा के समय मुरैना जैन समाज की ओर से नगर में चातुर्मास करने का आग्रह करते हुए पूज्य माताजी को सामूहिक श्रीफल अर्पित किया।
साथ ही सिहोनियाँ अतिशय क्षेत्र कमेटी के संरक्षक आशीष जैन सोनू ने पूज्य माताजी से चातुर्मास के लिए निवेदन करते हुए श्रीफल भेंट किया ।
पंचकल्याणक के लिए मंडलों का गठन
पूज्य गणिनी आर्यिका स्वस्तिभूषण माताजी ने मुरैना जैन समाज के सभी स्वयं सेवक मंडलों, महिला मंडलों की अलग-अलग बैठक लेकर उन्हें पंचकल्याणक महोत्सव में जिम्मेदारियों से अवगत कराया। समाज के युवाओं को एकजुट कर ज्ञानतीर्थ युवा मंडल का गठन किया।
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