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धुलिया में मिला प्राचीन नंदीश्वर जिन प्रतिमा फलक – डाॅ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’

दोंडिचा महा. 23 मई। दिनांक 23 मई रविवार को दाडिचा, जिला धुलिया महाराष्ट्र पिन-425408 से  एक किसान को खेत में बावन जिन मूर्तिफलक प्राप्त हुआ है जो जैन पुरातत्व व मूर्तिकला की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। दर्षन जैन व पं. धरणेन्द्रकुमार बेलागांव ने सूचना दी है कि महाराष्ट्र के धुलिया जिला से नंदुरबार की ओर ’लगभग 4 किमी पर ’रामी’ के खेत में काम करते हुए किसान को 11 इंच का धातु का जैन-प्रतिमा-फलक प्राप्त हुआ है। इसमें चारों ओर 13-13 ऐसी 52 जिन प्रतिमाएं बनी हुई हैं। जैन ग्रन्थों के अनुसार यह नंदीश्वर द्वीप के बावन चैत्यालय के स्वरूप का संक्षिप्त और लघु स्वरूप है। तीन खण्ड वाले चतुर्मुखी प्रतिमांकन में प्रथम बीच में चारों ओर पद्मासन एक एक बड़ी प्रतिमा और उसके दोनों तरफ दो-दो (चार) इस तरह पन्द्रह प्रतिमाएं हैं। द्वितीय खण्ड में एक एक दिशा में पांच-पांच कुल बीस प्रतिमाएं और उपरिम खण्ड में प्रत्येक दिशा में तीन-तीन कुल बारह प्रतिमाएं हैं। इस तरह तीनों खण्डों की चारों तरफ की कुल बावन जिन प्रतिमाएं हैं। सभी पद्मासन हैं। चारों ओर की मुख्य प्रतिमाओं के नीचे पुरा लिपि में एक-एक पंक्ति का लेख है, जो बहुत महत्वपूर्ण है। इस लेख के पठन से प्रतिमा की प्राचीनता आदि की वस्तु स्थिति ज्ञात हो जायेगी।

जैनागम के अनुसार आठमा द्वीप नंदीश्वर द्वीप है। जहां अकृत्रिम जिन चैत्यालय हैं। यहां ४ अंजनगिरि, १६ दधिमुख और ३२ रतिकर ये ५२ जिनमंदिर हैं। प्रत्येक जिनमंदिर में पद्मासन जिन प्रतिमायें विराजमान हैं। इन मंदिरों विविध प्रकार से वर्णन है। चारों प्रकार- ज्योतिषी, वानव्यंतर, भवनवासी और कल्पवासी देव यहां पूजा करते हैं। जैन समाज में अष्टाह्निका अर्थात् कार्तिक, फाल्गुन और आषाढ़ माह के अन्त के आठ दिन यहां की पूजा करने का विशेष महत्व है। इस अष्टाह्निक पर्व पर मण्डल विधान, पूजा आराधना की जाती है।

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