वर्णी नगर वासियों ने नगर की सीमा से मुनि पूज्य सागर जी ससंघ की गाजे बाजे के साथ भव्य आगवानी की। पढ़िये प्रियंक सर्राफ की विशेष रिपोर्ट…
मड़ावरा। ललितपुर शाही पंचकल्याणक को सानन्द सम्पन्न कराने के उपरांत महामुनि सुधासागर जी के संघस्थ मुनि पूज्य सागर, ऐलक धैर्य सागर का पद विहार आचार्य भगवन विद्यासागर जी के दर्शनार्थ डोंगरगढ़, छत्तीसगढ़ के लिए चल रहा है। इस दौरान मंगलवार को मुनि संघ की भव्य आगवानी करने का सौभाग्य वर्णी नगर मड़ावरा वासियों को प्राप्त हुआ।
कार्यक्रम के शुभारंभ के पूर्व बाहर से पधारे साधर्मी बन्धुओं ने आचार्य भगवन विद्यासागर जी मुनिमहाराज के चित्र का अनावरण व दीप प्रज्वलन किया। इसके बाद मुनि पूज्य सागर जी के पाद प्रक्षालन का सौभाग्य पवन जैन, प्रभाष जैन दुकानवाला परिवार को प्राप्त हुआ।
भक्त बनकर भगवान भी बनो
सभागार में उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए मुनि पूज्य सागर जी ने कहा कि अभी तक मड़ावरा की पहचान पूज्य संत गणेश प्रसाद वर्णी महाराज के नाम से थी। अब यह निर्यापक श्रमण अभय सागर जी मुनिराज के ऐतिहासिक चातुर्मास व मड़ावरा नगर से आचार्य भगवन के हस्त कमलों नवदीक्षित क्षुल्लक निर्धूम सागर के नाम से जाना जाता है। उन्होंने बताया कि किसान बीज डालता है लेकिन उसका फल तुरंत नहीं मिलता। ऐसे ही मड़ावरा वासियों द्वारा बोया गया बीज अब फलीभूत होने लगा है। आचार्य भगवन विद्यासागर जी की कृपा अब मड़ावरा पर बरसने लगी है। अभी मड़ावरा वासियों ने अपने असीम पुण्य की पूंजी जोड़ ली है, जिसे जोड़े रखना जरूरी है लेकिन जब हम अपने सांसारिक जीवन के परिणामों में बुरे परिणाम लाने लग जाते हैं तो हमारे पुण्य की पूंजी जाने लग जायेग़ी इसलिए हमेंशा पुण्य की पूंजी सुरक्षित रखना ही हमारा कर्तव्य होना चाहिए। धर्म कहता है कि अकेले भक्त न बनो, भक्त बनकर भगवान भी बनो। इस दौरान सकल दिगम्बर जैन समाज मड़ावरा सहित महरौनी, ललितपुर, साडूमल, सैदपुर, टीकमगढ़ व क्षेत्रीय ग्रामों का जैन समाज उपस्थिति रहा।
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